मुखर्जी आयोग
मुखर्जी आयोग (Justice Mukherjee Commission of Inquiry into the alleged disappearance of Netaji Subhas Chandra Bose) एकसदस्यीय बोर्ड था जिसे १९९९ में गठित गया। इसे १९४५ में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की रहस्यमय मृत्यु जी जाँच करने के लिये गठित किया गया था। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश न्यायमूर्ति मनोज मुखर्जी इसके अध्यक्ष थे। ७ वर्ष की जाँच बाद ०६ मई २००६ को आयोग ने अपनी रपट प्रस्तुत की। इसमें आयोग ने पाया कि नेताजी की मृत्यु विमान दुर्घटना में नहीं हुई थी। भारत सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया।
आयोग ने मुख्यत: निम्न निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं-[1]
- नेताजी अब जीवित नहीं हैं, पर वे 18 अगस्त, 1945 में ताईपेई में किसी विमान दुर्घटना का शिकार नहीं हुए थे।
- ताईवान ने कहा-18 अगस्त, 1945 को कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई।
- रेनकोजी मंदिर (टोक्यो) में रखीं अस्थियां नेताजी की नहीं हैं।
- गुमनामी बाबा के नेताजी होने का कोई ठोस सबूत नहीं।
सन्दर्भ
- ↑ नेहरू के सुभाष विरोधी कृत्य को छिपाने के लिए फिर सरकार ने किया नेताजी से छल Archived 2012-10-25 at the वेबैक मशीन (पाञ्चजन्य)
इन्हें भी देखें
- [[सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु
|सुभाषचन्द्र बोस की मृत्यु]]