मुक्तिका उपनिषद्
मुक्तिका एक उपनिषद है जिसमें १०८ उपनिषदों की सूची दी गयी है। 'मुक्तिका' का शाब्दिक अर्थ 'मोती' है।
किसी भी उपनिषद का रचनाकाल ठीक-ठीक पता नहीं है। सब्से पुराने उपनिषदों की रचना ईसा से लगभग ८०० वर्ष पूर्व हुई थी। सभी मुख्य उपनिषदों की रचना पहली सहस्राब्दी ईसापूर्व में हो गयी थी। अधिकांश उपनिषदों की रचना सम्भवतः १०० ईसापूर्व से ३०० ई के कालखण्ड में हुई थी। इसी प्रकार ७ संन्यास उपनिषद की रचना तीसरी शताब्दी में हुई थी। मुक्तिका उपनिषद की रचना सम्भवतः 1656 में दार्शनिक दारा शिकोह द्वारा उपनिषद के फारसी अनुवाद से पहले हुआ होगा।
मुक्तिका उपनिषद् में दिये हुए १०८ उपनिषदों की सूची निम्नलिखित है-
उपनिषद का नाम / अन्य नाम
- ईश / ईशावास्य
- केन
- कठ
- प्रश्न
- मुण्ड / मुण्डक
- माण्डुक्य
- तैत्तिरी / तैत्तिरीय
- ऐतरेय
- छान्दोग्य
- बृहदारण्यक
- ब्रह्म
- कैवल्य
- जाबाल
- श्वेताश्व / श्वेताश्वतर
- हंस
- आरुणी / आरुणिक / आरुणेय
- गर्भ
- नारायण
- परमहंस
- अमृतबिंदू
- अमृतनाद / अमृतनादबिंदू
- अथर्वशिर / अथर्वशिरस
- अथर्वशिखा
- मैत्रायणी
- कौषितकीब्राह्मण / कौषितकी
- बृहज्जाबाल
- नृसिंहतापिनी
- कालाग्निरुद्र
- मैत्रेय
- सुबाल
- क्षुरिक
- मान्त्रिक
- सर्वसार
- निरालम्ब
- शुकरहस्य
- वज्रसूचिका / वज्रसूची
- तेजोबिंदू
- नादबिंदू
- ध्यानबिंदू
- ब्रह्मविद्या
- योगतत्त्व
- आत्मबोध
- नारदपरिव्राजक
- त्रिशिखी / त्रिशिख ब्राह्मण
- सीता
- योगचुडामणी
- निर्वाण
- मण्डलब्राह्मण
- दक्षिणामूर्ती
- शरभ
- स्कन्द / त्रिपादविभूती
- त्रिपादविभूती महानारायण
- अद्वयतारक
- रामरहस्य
- रामतापिनी
- वासुदेव
- मुद्गल
- शाण्डिल्य
- पैंगल
- भिक्षू / भिक्षुक
- महत / महा
- शारीरक
- योगशिखा
- तुरीयातीत
- संन्यास / बृहतसंन्यास
- परमहंस-परिव्राजक
- अक्षमालिका
- अव्यक्त
- एकाक्षर
- अन्नपूर्णा
- सूर्य
- अक्षी
- अध्यात्म
- कुण्डिका
- सावित्री
- आत्मा
- पाशुपत / पाशुपत ब्रह्मण
- परब्रह्म
- अवधूतक / अवधूत
- त्रिपुरतापिनी
- देवी
- त्रिपुर
- कठरुद्र / कठश्रुती
- भावना
- रुद्रहृदय
- योग-कुंडली / योग-कुंडलिनी
- भस्म / भस्मजाबाल
- रुद्राक्ष / रुद्राक्षजाबाल
- गणपती
- दर्शन
- तारासार
- महावाक्य
- पंचब्रह्म
- प्राणाग्निहोत्र
- गोपालतापिनी
- कृष्ण
- याज्ञवल्क्य
- वराह
- शाट्यायनि
- हयग्रीव
- दत्तात्रेय
- गरुड
- कलिसंतरण
- जाबाली / जाबालदर्शन
- सौभाग्यलक्ष्मी
- सरस्वती-रहस्य
- बह्वृच / बह्वऋच
- मुक्तिका
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- Muktika Upanishad - Translated by: Dr. A. G. Krishna Warrier The Theosophical Publishing House, Chennai
- 108 Upanishads of the Muktika