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मीरा (1979 फ़िल्म)

मीरा
चित्र:मीरा.jpg
मीरा का पोस्टर
निर्देशकगुलज़ार
लेखकगुलज़ार
पटकथागुलज़ार
कहानी भूषण बनमाली
निर्माता प्रेमजी,
जे.एन. मनचंदा
अभिनेताहेमामालिनी,
विनोद खन्ना,
शम्मी कपूर,
श्रीराम लागू,
ओम शिवपुरी,
ए के हंगल,
भारत भूषण,
दीना पाठक,
दिनेश ठाकुर,
टी पी जैन,
सुधा चोपड़ा,
अमज़द ख़ान,
विद्या सिन्हा,
छायाकार के. वैकुंठ
संपादक वामन भोसले,
गुरुदत्त शिरली
प्रदर्शन तिथियाँ
लम्बाई
138 मिनट
देशभारत
भाषाहिन्दी

मीरा (अंग्रेजी: Meera)1979 में प्रेमजी निर्मित गुलज़ार निर्देशित हिन्दी भाषा की फिल्म है। प्रमुख राजपूत संत-कवयित्री एवं कृष्ण भक्त मीरा बाई की जीवनी पर आधारित इस फिल्म में हेमामालिनी ने मीरा का पात्र निभाया है। गुलज़ार ने इस फिल्म में मीरा की जीवनी पौराणिक एवं भक्ति की परिदृष्टि से नहीं अपितु एक ऐतिहासिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से दर्शाया है। समकालीन समाज में नारी अपनी गरिमा, मुक्ति तथा अध्यात्मिक आनन्द के लिए करते प्रयत्नों को मीरा के रूप में दर्शाया है।

मीरा बाई की प्रमुख भक्ति रचनाओं को इस फिल्म में गीत के रूप में लिया एवं प्रमुख सितार वादक पंडित रवि शंकर ने इसमें संगीत दिया है। इन गीतों को विख्यात गायिका वाणी जयराम ने स्वर दिया है। फिल्म गुड्डी से हिंदी फिल्म जगत में विख्यात वाणी जयराम को इस फिल्म का गीत "मेरे तो गिरिधर गोपाल" के लिए 'फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका पुरस्कार' तथा अन्य राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कथानक

कहानी 1580 के आसपास राजा अकबर के समय की है। बीरमदेव (डॉ। श्रीराम लगू) राजस्थान के एक प्रांत मेदता के राजा हैं। उनकी दो बेटियां, मीरा (हेमा मालिनी) और कृष्णा (विद्या सिन्हा) और एक बेटा जयमल (दिनेश ठाकुर) है। मीरा भगवान कृष्ण के साथ गहरे भावनात्मक प्रेम में है, इतना कि वह भगवान कृष्ण को अपना पति मानती है। अकबर (अमजद खान) दिन-ब-दिन मजबूत होता जा रहा है और इसलिए अन्य छोटे प्रांत उसके खिलाफ जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे ही एक राजनीतिक समझौते में मेदता ने राजा विक्रमाजीत (शम्मी कपूर) से हाथ मिलाने का फैसला किया। इस समझौते के एक हिस्से के रूप में मीरा ने विक्रमजीत के बेटे, राणा भोजराज (विनोद खन्ना) से शादी की है। लेकिन शादी के बाद भी भगवान कृष्ण के प्रति उनका प्रेम बना रहता है और वह अपने आदर्शों और जीवन जीने के तरीके का पालन करती हैं जो भोजराज और उनके परिवार के लिए बहुत स्वीकार्य नहीं हैं। एक बात दूसरे की ओर जाती है और एक दिन मीरा को एक बहिष्कृत और देशद्रोही घोषित कर दिया जाता है जो अपने पति के प्रति पत्नी के कर्तव्यों को निभाने में विफल रही, अपने परिवार के प्रति सवारी के कर्तव्यों और समाज के प्रति एक महिला के कर्तव्यों को निभाया। उसे जेल हो जाती है और उसकी किस्मत का फैसला करने के लिए एक सार्वजनिक मुकदमा चलाया जाता है। लेकिन मीरा अभी भी अस्थिर है और उसकी आध्यात्मिकता उसे बनाए रखती है। वह मौत से भी नहीं डरती। अंत में उसे मौत की सजा दी जाती है और उसे जनता के सामने एक कप जहर पीने का आदेश दिया जाता है।

मुख्य कलाकार

दल

  • निर्देशनगुलज़ार
  • कथा – भूषण बनमाली
  • पटकथागुलज़ार
  • संवादगुलज़ार
  • निर्माण – प्रेमजी, जे.एन. मनचन्दा
  • संपादन – वामन भोसले, गुरुदत्त शिरली
  • छायांकन – के. वैकुंठ
  • कला निर्देशन – देश मुखर्जी, मरुतिराव काले
  • वस्त्राभिकल्पकभानु अथैया
  • नृत्य निर्देशन – गोपी किशन
  • संगीत निर्देशनपंडित रवि शंकर, विजय राघव राव
  • गीतमीरा बाई
  • पार्श्वगायन – दिनकर कैकिनी, वाणी जयराम

संगीत

सभी गीतों की रचना मीरा बाई की एवं संगीत पंडित रवि शंकर ने दिया है|

गीतगायक
"हरी ओम तानसेन" (आलाप)दिनकर कैकिनी
"ऐरी मैं तो प्रेम दीवानी"वाणी जयराम
"बाला मैं बैरागन हूँगी"वाणी जयराम
"बदल देख डारी"वाणी जयराम
"जागो बंसीवाले"वाणी जयराम
"जो तुम तोड़ो पिया"वाणी जयराम
"करना फकीरी फिर क्या दिलगिरी"वाणी जयराम
"करुणा सुनो श्याम मोरे"वाणी जयराम
"मैं सावरे के रंग रची"वाणी जयराम
"मेरे तो गिरिधर गोपाल" (१)वाणी जयराम
"प्यार दर्शन दीजो आज"वाणी जयराम
"राणाजी मैं तो गोविंद"वाणी जयराम
"श्याम माने चाकर"वाणी जयराम

रोचक तथ्य

परिणाम

बौक्स ऑफिस

समीक्षाएँ

नामांकन और पुरस्कार

  • 1980 फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका पुरस्कार - विजयी - वाणी जयराम

बाहरी कड़ियाँ