मिर्ज़ापुर
मीरजापुर Mirzapur | |
---|---|
मिर्ज़ापुर में गंगा नदी का घाट | |
मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश में स्थिति | |
निर्देशांक: 25°08′46″N 82°34′08″E / 25.146°N 82.569°Eनिर्देशांक: 25°08′46″N 82°34′08″E / 25.146°N 82.569°E | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मिर्ज़ापुर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 2,33,691 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 231001 |
दूरभाष कोड | 05442 |
वाहन पंजीकरण | UP-63 |
लिंगानुपात | 0.903 (2011) |
साक्षरता | 68.48% (2011) (78.97%♂; 56.86%♀) |
वेबसाइट | mirzapur |
मिर्ज़ापुर (Mirzapur) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्ज़ापुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2]
विवरण
पर्यटन की दृष्टि से मिर्ज़ापुर उत्तर प्रदेश का काफी महत्वपूर्ण जिला माना जाता है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक वातावरण बरबस लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। मिर्ज़ापुर में स्थित विंध्याचल धाम भारत के प्रमुख हिन्दू धार्मिक स्थलों में से एक है। इसके अतिरिक्त सीताकुण्ड, लाल भैरव मंदिर, मोती तालाब, टांडा जलप्रपात, विल्डमफ़ाल झरना, तारकेश्वर महादेव, महा त्रिकोण, शिवपुर, चुनार किला, गुरूद्वारा गुरू दा बाघ और रामेश्वर, देवरहा बाबा आश्रम, अड़गड़ानंद आश्रम व अन्य छोटे बड़े जल प्रपातों आदि के लिए प्रसिद्ध है। मिर्ज़ापुर भदोही, वाराणसी, सोनभद्र, इलाहाबाद से घिरा हुआ है। भारत का अंतराष्ट्रीय मानक समय मिर्ज़ापुर जिले के अमरावती चौराहा स्थान से लिया गया है। मिर्ज़ापुर ग़ुलाबी पत्थरों (पिंकस्टोन) के लिये बहुत विख्यात है, प्राचीन समय में इस पत्थर का प्रयोग मौर्य वंश के राजा सम्राट् अशोक के द्वारा बौद्ध स्तुप एवं अशोक स्तम्भ (वर्तमान में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह) को बनाने में किया गया था। मिर्ज़ापुर के लोगों की मूल भाषा मिर्ज़ापुरी है तथा हिन्दी एवं भोजपुरी भी चलन में है। मिर्ज़ापुर में एक मेडिकल कॉलेज संचालन में है तथा एक इंजीनियरिंग कॉलेज निर्माणाधीन है।
नाम
जनपद के नाम को लेकर कई भ्रांतियां व्याप्त हैं। कुछ प्राचीन लोककथाओं के अनुसार विंध्याचल, अरावली एवं नीलगिरी से घिरे हुए क्षेत्र को विंध्यक्षेत्र के नाम से जाना जाता है। समयांतराल विंध्यक्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों का अलग अलग नामकरण हुआ। जैसे की मांडा के समीप के क्षेत्र पम्पापुर के नाम से, वर्तमान का अमरावती क्षेत्र गिरिजापुर के नाम से तथा आसपास का क्षेत्र सप्त सागर के नाम से विख्यात हुआ।
17वीं शताब्दी में जब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में तेज़ी से अपने पाँव पसार रही थी, कलकत्ता से लेकर दिल्ली तक कंपनी का कारोबार फैलता ही जा रहा था तब कंपनी के अफसरों को मध्य भारत में भी अपना व्यापार फ़ैलाने की आवश्यकता महसूस हुयी इसी सन्दर्भ अफसरों ने गंगा के रास्ते में पड़ने वाले लगभग सभी नगरीय क्षेत्रों का गहन अध्ययन किया। तमाम क्षेत्रों में विंध्याचल एवं गंगा की बाँहों में फैला विंध्यक्षेत्र अंग्रेजी अफसरों को भा गया। 1735 ईसवी में लार्ड मर्क्यूरियस वेलेस्ले नाम के एक अँगरेज़ अफसर ने इस क्षेत्र की स्थापना मिर्ज़ापुर नाम से की।
मिर्ज़ा शब्द अंग्रेजी शब्दकोश में 1595 ईसवी से जुड़ा जिसका शाब्दिक अर्थ है "राजाओ का क्षेत्र"। इस शब्द की व्युत्पत्ति अमीर (English: Emir) एवं ज़ाद (Persian) को मिलाकर बनाए शब्द अमीरजादा से हुयी। पर्शिया में अमीरजादा के लिए एक शब्द मोरजा भी है। अतः अंग्रेज़ों ने अपने क्षेत्र विस्तार के समय मिर्ज़ा शब्द को उपाधि की तरह उपयोग किया तथा क्षेत्र का नाम "मिर्ज़ापुर" रख जिसका अर्थ हुआ राजाओं का क्षेत्र। कुछ स्थानों पर अपभ्रंश के रूप में "मीरजापुर" नाम भी चलन में है।
भूगोल
मिर्जापुर की स्थिति 25°09′N 82°35′E / 25.15°N 82.58°E पर है। यहां की औसत ऊंचाई 80 मीटर (265 फीट) है।
जनसंख्या
उत्तर प्रदेश के एक जिले मिर्जापुर का एक आधिकारिक जनगणना 2011 विवरण, उत्तर प्रदेश में जनगणना संचालन निदेशालय द्वारा जारी किया गया है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के जनगणना अधिकारियों ने भी महत्वपूर्ण व्यक्तियों की गणना की। 2011 में, मिर्जापुर की जनसंख्या 2,496, 9 70 थी जिसमें से पुरुष और महिला क्रमशः 1,312,302 और 1,184,668 थी। 2001 की जनगणना में, मिर्जापुर की 2,116,042 आबादी थी, जिसमें पुरुष 1,115,24 9 और शेष 1,000,793 महिलाएं थीं। मिर्जापुर जिला आबादी कुल उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का 1.25 प्रतिशत है। 2001 की जनगणना में, मिर्जापुर जिले के लिए यह आंकड़ा उत्तर प्रदेश का 1.27 प्रतिशत था। 2001 के अनुसार आबादी की तुलना में आबादी की तुलना में जनसंख्या में 18.00 प्रतिशत का परिवर्तन हुआ था। भारत की पिछली जनगणना में, मिर्जापुर जिला ने 1991 की तुलना में इसकी आबादी में 27.44 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
जानकारी तालिका
विवरण | 2011 | 2001 |
---|---|---|
जनसंख्या | 2,496,970 | 2,116,042 |
पुरुष | 1,312,302 | 1,115,249 |
स्त्री | 1,184,668 | 1,000,793 |
जनसंख्या वृद्धि | 18.00% | 27.44% |
क्षेत्रफल वर्ग किमी | 4,405 | 4,405 |
घनत्व प्रति वर्ग किमी | 567 | 476 |
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का भाग | 1.25% | 1.27% |
लिंगानुपात (प्रति 1000) | 903 | 897 |
बाल लिंगानुपात (0-6 आयु) | 902 | 929 |
औसत साक्षरता | 68.48 | 55.31 |
पुरुष साक्षरता | 78.97 | 69.59 |
स्त्री साक्षरता | 56.86 | 39.26 |
कुल बाल जनसंख्य्या (0-6 आयु) | 410,621 | 425,405 |
पुरुष जनसंख्या (0-6 आयु) | 215,841 | 220,577 |
स्त्री जनसंख्या (0-6 आयु) | 194,780 | 204,828 |
साक्षर | 1,428,683 | 935,101 |
पुरुष साक्षर | 865,837 | 622,631 |
स्त्री साक्षर | 562,846 | 312,470 |
बाल अनुपात (0-6 आयु) | 16.44% | 20.10% |
लड़के अनुपात (0-6 आयु) | 16.45% | 19.78% |
लड़कियाँ अनुपात (0-6 अनुपात) | 16.44% | 20.47% |
आवागमन
- वायु मार्ग
सबसे निकटतम हवाई अड्डा बाबतपुर (वाराणसी विमानक्षेत्र) है। मिर्जापुर से वाराणसी 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। दिल्ली, आगरा, मुम्बई, चेन्नई, बंगलौर, लखनऊ और काठमांडू आदि से वायुमार्ग द्वारा मिर्जापुर पहुंचा जा सकता है।
- रेल मार्ग
मिर्जापुर रेलमार्ग द्वारा भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। कुछ महत्वपूर्ण ट्रेनें जैसे कालका मेल, पुरूषोतम एक्सप्रेस, मगध एक्सप्रेस, गंगा ताप्ती, त्रिवेणी, महानगरी एक्सप्रेस, हावड़-मुम्बई, संघमित्रा एक्सप्रेस आदि द्वारा यहां पहुंचा जा सकता है।
- सड़क मार्ग
मिर्जापुर सड़कमार्ग द्वारा सम्पूर्ण भारत से जुड़ा हुआ है। लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, दिल्ली और कलकत्ता आदि जगह से सड़कमार्ग द्वारा पहुंचा जा सकता हैं। (जौनपुर से भदोही वाया मीरजापुर) ग्रांड ट्रंक रोड (शेरशाह सूरी रोड) जो वाराणसी से लेकर कन्याकुमारी तक जाती है जिसे मिर्ज़ापुर के बाद रीवां रोड के नाम से भी जानते हैं। मिर्ज़ापुर का दक्षिणी छोर मध्यप्रदेश को भी जोड़ता है।
प्रमुख आकर्षण
तारकेश्वर महादेव
विन्ध्याचल के पूर्व में स्थित तारकेश्वर महादेव का जिक्र पुराण में भी किया गया है। मंदिर के समीप एक कुण्ड स्थित है। माना जाता है कि तराक नामक असुर ने मंदिर के समीप एक कुण्ड खोदा था। भगवान शिव ने ही तारक का वध किया था। इसलिए उन्हें तारकेश्वर महादेव भी कहा जाता है। कुण्ड के समीप काफी सारे शिवलिंग स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने तारकेश्वर के पश्चिम दिशा की ओर एक कुण्ड और भगवान शिव के मंदिर का निर्माण किया था। इसके अतिरिक्त, ऐसा भी कहा जाता है कि तारकेश्वर में देवी लक्ष्मी निवास करती हैं। देवी लक्ष्मी यहां अन्य रूप में देवी सरस्वती के साथ वैष्णवी रूप में रहती है।
महा त्रिकोण
कहा जाता है कि महा त्रिकोण की परिक्रमा करने से भक्तों की इच्छा पूरी होती है। मंदिर स्थित विन्ध्यावशनी देवी के दर्शन करने के पश्चात् भक्त संकट मोचन मंदिर जाते हैं। इस मंदिर को कालीखोह के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर विन्ध्याचल रेलवे स्टेशन के दक्षिण दिशा की ओर स्थित है। देवी काली और संकट मोचन के दर्शन करने के बाद भक्त अपनी परिक्रमा संत करनागिरी बावली के दर्शन करके पूरी करते हैं। कालीखोह के आस-पास अन्य कई मंदिर जैसे आनन्द भैरव, सिद्धनाथ भैरव, कपाल भैरव और भैरव आदि स्थित है। विन्ध्याचल मंदिर और परिक्रमा पूरी करने के पश्चात् मन को बेहद सुकून प्राप्त होता है। यह पूरी यात्रा महा त्रिकोण के नाम से प्रसिद्ध है।
विन्ध्याचल में त्रिकोण यात्रा का काफी महत्त्व है। त्रिकोण का सही क्र्म है- सर्वप्रथम गंगास्नान के पश्चात् तट पर स्थित विन्ध्यवासिनी देवी का दर्शन। तत्पश्चात् कालीगोह स्थित मां काली का दर्शन। वहां से अष्टभुजी की यात्रा, और फिर लौट कर विन्ध्यवासिनी आकर पुनः दर्शन। इस प्रकार लगभग चौहद किलोमीटर की यह यात्रा होती है। ये तीनों स्थल स्पष्ट रूप से त्रिभुज के तीनों कोणों पर अवस्थित हैं। इस यात्रा का अतिशय महत्त्व है। तन्त्र शास्त्रों में इसे बाह्यत्रिकोण की यात्रा के रूप में मान्यता है। इसी पर आधारित अन्तः त्रिकोण की यात्रा भी होती है।
शिवपुर
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्री राम चन्द्र ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध विन्ध्याचल क्षेत्र में ही किया था। माना जाता है कि भगवान श्री राम भगवान शिव के उपासक थे। इस जगह पर भगवान राम ने पश्चिम दिशा की ओर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित की थी। इसी कारण यह जगह रामेश्वर नाम से प्रसिद्ध हुई और इस जगह को शिवपुर के नाम से जाना जाता है।
सीता कुंड
अष्टभुजा मंदिर के पश्चिम दिशा की ओर सीता जी ने एक कुंड खुदवाया था। उस समय से इस जगह को सीता कुंड के नाम से जाना जाता है। कुंड के समीप ही सीता जी ने भगवान शिव की स्थापना की थी। जिस कारण यह स्थान सीतेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। सीता कुंड के पश्चिम दिशा की तरफ भगवान श्री राम चंद्र ने एक कुंड खोदा था। जिसे राम कुण्ड के नाम से जाना जाता है। इसके अतिरिक्त शिवपुर स्थित लक्ष्मण जी ने रामेश्वर लिंग के समीप शिवलिंग की स्थापना की थी, जो कि लक्ष्मणेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है।
चुनार किला
चुनार स्थित चुनार किला कैमूर पर्वत की उत्तरी दिशा में स्थित है। इस प्रसिद्ध किले का निर्माण शेरशाह द्वारा करवाया गया था। इस किले के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारें मौजूद है। यहां से सूर्यास्त का नजारा देखना बहुत मनोहारी प्रतीत होता है। कहा जाता है कि एक बार इस किले पर अकबर ने कब्जा कर लिया था। उस समय यह किला अवध के नवाबों के अधीन था। किले में सोनवा मण्डप, सूर्य धूपघड़ी और विशाल कुंआ मौजूद है।
गुरूद्वारा बाग
श्री गुरू तेग बहादुर जी का यह गुरूद्वारा मिर्जापुर जिले स्थित वाराणसी के दक्षिण से 40 किलोमीटर की दूरी पर अहरौड़ गांव में स्थित है। यह गुरूद्वारा नौवें सिख गुरू, तेग बहादुर को समर्पित है। यह गुरूद्वारा, गुरूद्वारा बाग साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि 1666 में वाराणसी की यात्रा के दौरान गुरू जी इस जगह पर आए थे। इस गुरूद्वारे में एक वर्गाकार हॉल और कई छोटे-छोटे कमरें हैं। गुरूद्वारे की इमारत बेहद खूबसूरत है। गुरूद्वारे के ठीक पीछे एक छोटा सा बगीचा स्थित है। 1742 में प्रकाशित पवित्र गुरू ग्रंथ साहिब की हस्तलिपि आज भी यहां संरक्षित है। इसके अतिरिक्त, गुरूद्वारा बाग साहिब में हाथ से लिखी हुई पोथी, जिसपर गुरू गोविन्द सिंह के हस्ताक्षर हुए हैं, मौजूद है। यह पोथी लोगों के सामने केवल गुरू तेग बहादुर और गुरू गोविन्द सिंह की जयन्ती पर ही प्रदर्शित की जाती है।
पुण्यजल नदी
मिर्जापुर और विन्ध्याचल के मध्य बहने वाली इस नदी को पुण्यजल अथवा ओझल के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि जिस प्रकार सभी यज्ञों में अश्वमेघ यज्ञ और सभी पर्वतों में हिमालय पर्वत प्रसिद्ध है उसी प्रकार सभी तीर्थो में ओझल सबसे प्रमुख मानी जाती है। इस नदी का जल गंगा नदी के जल के समान ही पवित्र माना जाता है। यह जगह देवी काली का मंदिर, महालक्ष्मी, महासरस्वती और तराकेश्वर महादेव के मंदिर से घिरी हुई है।
टंडा जलप्रपात
टंडा जलप्रपाल शहर से लगभग सात मील की दूरी पर स्थित है। टंडा जलप्रपात से कुछ दूरी पर खजूरी बांध और विन्ध्याम झरना भी स्थित है। विन्ध्याम झरना वन विभाग के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। झरने के पास ही पार्क और वन विहार का निर्माण भी किया गया है। प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने के लिए काफी संख्या में पर्यटक इस जगह पर आते हैं।
कांतित शरीफ
ख्वाजा इस्माइल चिस्ती का मकबरा, कांतित शरीफ में स्थित है। प्रत्येक वर्ष हिन्दू व मुस्लिम दोनों मिलकर उर्स का पर्व मनाते हैं। मकबरे के समीप ही मुगल काल की एक मस्जिद स्थित है। यह मस्जिद काफी लंबी है। जिस कारण इसे लॉगी पहलवान मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
गुरूद्वारा गुरू दा बाघ
मिर्जापुर स्थित गुरूद्वारा गुरू दा बाघ काफी प्रमुख गुरूद्वारों में से है। इस गुरूद्वारे का निर्माण दसवें सिख गुरू, गुरू गोविन्द सिंह की याद में करवाया गया था। गुरूद्वारा गुरू दा बाघ शहर से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रामेश्वर महादेव मंदिर
रामेश्वर मंदिर मिर्जापुर जिले के विन्ध्याचल में स्थित है। यह जगह राम गया घाट पर, मिर्जापुर से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान राम ने इस जगह पर शिवलिंग की स्थापना की थी।
कुशियारा जलप्रपात
कुशियारा, सिरसी बांध, विंढम फाल, सिद्धनाथ की दरी, खड़ंजा फाल।
शिक्षा
[[मृत कड़ियाँ] Rajiv Gandhi South Campus (BHU) Barkachha Mirzapur]
Maa Vindhyavasini Medical college
अंबिका देवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पंवारी कलां, मीरजापुर
G. D. Binani Postgraduate College, Mirzapur[मृत कड़ियाँ]
- K. B. Postgraduate College, Mirzapur
- Kamla Aryakanya Postgraduate College, Mirzapur
- Smt. Indira Gandhi Govt. Postgraduate College, Lalganj, Mirzapur
- Swami Govindashram Postgraduate College, Mirzapur
- / Govt polytechnic mirzapur ,Mirzapur[मृत कड़ियाँ]
श्री नरोत्तम सिंह पदम सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंगरहाँ सीखड़ मिर्ज़ापुर https://web.archive.org/web/20191031200326/http://nspsgpgc.org/
वनस्थली स्नातकोत्तर महाविद्यालय अहरौरा ,मिर्ज़ापुर
श्री शंकराश्रम महा विद्यापीठ इंटर मीडिएट कॉलेज सीखड़ मिर्ज़ापुर
आदर्श इण्टर कालेज अदलहाट, मिर्ज़ापुर
नगर पालिका इंटर कालेज अहरौरा, मिर्ज़ापुर
श्री गांधी विद्यालय इंटर कालेज कछवा,मिर्ज़ापुर
बाबु हिन्छ्लाल यादव इंटर कालेज गोड़सर छानबे ,मिर्ज़ापुर
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- मिर्ज़ापुर तथा विन्ध्य क्षेत्र की विरासत को संजोने के लिए निजी परियोजना
- मिर्ज़ापुर का डच जालस्थल
- मिर्ज़ापुर शहर का जालस्थल
- विन्ध्यक्षेत्र संरक्षण संस्थान
सन्दर्भ
- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975