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मिथ्याभास-संबंधी हँसी

अजीब-सी सूरत बनाकर एक वयस्क व्यक्ति हँस रहा है।

मिथ्याभास-संबंधी हँसी एक प्राकार का हास्य है जिसे जो अनुचित रूप से बाहरी बातों से प्रभावित होती है। यह बेक़ाबू हँसी हो सकती है जिसे कोई सम्बंधित व्यक्ति नामुनासिब समझ सकता है। यह बदेली हुई मानसिक परिस्थियों या मानसिक रोग जैसे कि उन्माद या मनोभाजन से हो सकता है और इसका कोई अन्य कारण नहीं हो सकता है।[1][2]

मिथ्याभास-संबंधी हँसी अस्थाई मूड की ओर इशारा करती है, जो अधिकांशतः छद्म-बल्ब-जैसे प्रभाव (pseudobulbar affect) के कारण होता है जिसमें कोई भी बहुत कम समय में क्रोधित हो सकता है और फिर पुनः सामान्य स्थिति में वापस आ सकता है। इन दोनों के पीछे बाहुत ही छोटे बाहरी कारक होते हैं।

इस प्रकार की हँसी कभी उन समयों में भी सम्भव है जब लड़ो-या-भागों प्रतिक्रिया को भी इसके अतिरिक्त उत्पन्न किया गया हो।

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सन्दर्भ

  1. Rutkowski, Anne-Françoise; Rijsman, John B.; Gergen, Mary (2004). "Paradoxical Laughter at a Victim as Communication with a Non-victim". International Review of Social Psychology 17 (4): 5–11
  2. Frijda, Nico H. (1986). The Emotions. Cambridge University Press. पृ॰ 52. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-521-31600-6. अभिगमन तिथि 14 नवम्बर 2009.