मालती राव
मालती राव | |
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जन्म | बैंगलोर,[1] कर्नाटक, भारत |
पेशा | लेखिका |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | उपन्यास |
उल्लेखनीय कामs | डिसॉर्डरली वीमेन |
खिताब | साहित्य अकादमी पुरस्कार |
मालती राव अंग्रेज़ी भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास डिसऑर्डरली वुमेन के लिये उन्हें सन् 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[2]
प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
मलाथी राव का जन्म अप्रैल 1930 में बैंगलोर के कर्नाटक शहर में हुआ। वह चेन्नागिरी पद्मनाभ राव और श्रीमती पद्मावती कि पुत्री हैं। वह पांच बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनके एक बड़ा भाई और दो छोटे भाई हैं। राव एक युवा लड़की के रूप में, जेन ऑस्टेन, ब्रेस्टे बहनों और लुइसा मे अलकॉट के कार्यों से प्रेरित थे। लेखन कि लिए उनका हमेशा झुकाव था इसलिए बैंगलोर और मैसूर विश्वविद्यालयों में अंग्रेजी साहित्य का अनुसरण किया। उन्होंने अपने समय की नई पीढ़ी को एक उच्च शिक्षित स्वतंत्र कामकाजी महिला के रूप में चित्रित किया। वह विजया कॉलेज, बैंगलोर में एक अंग्रेजी व्याख्याता थीं उसी समय प्रो वी टी श्रीनिवासन उस कॉलेज में प्रिंसिपल और विभागाध्यक्ष थे। राव ने अपने शिक्षण कार्यकाल का एक बड़ा हिस्सा दिल्ली में बिताया। उन्होंने मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य पढ़ाया। अपने साथियों और छात्रों के बीच बहुत सम्मान और प्यार पाया, नब्बे के दशक के मध्य तक दिल्ली उनका घर था जब तक कि वे बैंगलोर वापस नहीं चले गए। एक बार बैंगलोर पहुचने पर उन्होंने अपना ध्यान लेखन पर केंद्रित किया।
राव को घूमना बहुत पसंद है, और उन्होंने पूरी दुनिया की यात्रा की। वह वर्तमान में बैंगलोर में रहती है।
साहित्यिक रचना
मालती राव ने अब तक तीन उपन्यास, तीन लघु कथाओं के संग्रह और कई अखबारों के लिए लेख लिखे हैं। [3] "द ब्रिज," "एंड इन बनारस फ्लौस द गंगा ," और "कम फॉर ए कॉफ़ी ... प्लीज ," उनके प्रसिद्ध कार्यों में से हैं।
वह 2007 में प्रकाशित अपने उपन्यास डिसॉर्डरली वीमेन (अव्यवस्थित महिलाएँ) के लिए प्रमुखता से उभरीं। उन्होंने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार माननीय भारत के राष्ट्रपति से प्राप्त किया। अव्यवस्थित महिलाएँ भारत में चार ब्राह्मण महिलाओं (स्वतंत्रता-पूर्व) की कहानी है, जो समाज द्वारा अपने आसपास बनी बाधाओं को तोड़ने के लिए संघर्ष करती हैं।
राव के अगले उपन्यास का बेसब्री से इंतजार है और इसके 2013 में प्रकाशित होने की उम्मीद है। वर्तमान में इसका नाम इन्कुइसिशन है।
प्रकाशन
- द ब्रिज (उपन्यास), चाणक्य प्रकाशन (दिल्ली, भारत), 1990 [4]
- डिसॉर्डरली वीमेन (उपन्यास), ड्रोनक्विल पब्लिशर्स (बैंगलोर, भारत), 2005
- छोटी कहानियों के तीन संग्रह [3]
- इन्कुइसिशन (आगामी उपन्यास) [5]
पुरस्कार
- 2007 में साहित्य अकादमी पुरस्कार [6]
सन्दर्भ
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 मार्च 2020.
- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.
- ↑ अ आ "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 मार्च 2020.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 23 जनवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 मार्च 2020.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 मार्च 2020.
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