मानहानि
किसी व्यक्ति, व्यापार, उत्पाद, समूह, सरकार, धर्म या राष्ट्र के प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाने वाला असत्य कथन मानहानि (Defamation) कहलाता है। अधिकांश न्यायप्रणालियों में मानहानि के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही के प्रावधान हैं ताकि लोग विभिन्न प्रकार की मानहानियाँ तथा आधारहीन आलोचना अच्छी तरह सोच विचार कर ही करें।
परिचय
मानहानि दो रूपों में हो सकती है- लिखित रूप में या मौखिक रूप में। यदि किसी के विरुद्ध प्रकाशित रूप में या लिखित रूप में झूठा आरोप लगाया जाता है या उसका अपमान किया जाता है तो यह "अपलेख" कहलाता है। जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपमानजनक कथन या भाषण किया जाता है। जिसे सुनकर लोगों के मन में व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो तो वह "अपवचन" कहलाता है।
मानहानि करने वाले व्यक्ति पर दीवानी और फौजदारी मुकदमें चलाए जा सकते हैं। जिसमें दो वर्ष की साधारण कैद अथवा जुर्माना या दोनों सजाएँ हो सकती हैं।
सार्वजनिक हित के अतिरिक्त न्यायालय की कार्यवाही की मूल सत्य-प्रतिलिपि मानहानि नही मानी जाती। न्यायाधीशों के निर्णय व गुण-दोष दोनों पर अथवा किसी गवाह या गुमास्ते आदि के मामले में सदभावनापूर्वक विचार प्रकट करना मानहानि नही कहलाती है। लेकिन इसके साथ ही यह आवश्यक है कि इस प्रकार की टिप्पणियाँ या राय न्यायालय का निर्णय होने के बाद ही दिये जाने चाहिएँ।
सार्वजनिक हित में संस्था या व्यक्ति पर टिप्पणी भी की जा सकती है या किसी भी बात का प्रकाशन किया जा सकता है। लेकिन यह ध्यान रखा जाये कि अवसर पड़ने पर बात की पुष्टि की जा सके। कानून का यह वर्तमानरूप ही पत्रकारों के लिए आतंक का विषय है।
अधिकांश मामलों में बचाव इस प्रकार हो सकता है
- 1- कथन की सत्यता का प्रमाण।
- 2- विशेषाधिकार तथा
- 3- निष्पक्ष टिप्पणी तथा आलोचना।
यदि किये गये कथनों का प्रमाण हो हो तो अच्छा बचाव होता है। विशेषाधिकार सदैव अनुबन्धित और सीमित होता है। समाचारपत्रों का यह विशेषाधिकार विधायकों आर न्यायालयों को भी प्राप्त होता है। अतः कहने का तात्पर्य यह है कि आलोचना का विषय सार्वजनिक हित का होना चाहिएऔर स्पष्टरूप से कहे गये तथ्यों का बुद्धिवादी मूल्यांकन होने के साथ-साथ यह पूर्वाग्रह से भी परे होना चाहिए।
यदि आपके ऊपर कोई व्यक्ति झूठा मुकदमा दर्ज करता है और आप गिरफ्तार होते है तो गिरफ्तारी के बाद यदि मुकदमा झूठ साबित होता है तो ऐसे स्थिति मे आपका जो गिरफ्तारी हुआ और समाज में मान सम्मान को ठेस पहुचा है । इसलिए आप झूठी मुकदमा दर्ज करने वाले पर मानहानि का दावा कर सकते है।
बाहरी कड़ियाँ
- मानहानि क्या है जाने IPC 500 और 499 को (Sampat Techno)
- झूठी FIR दर्ज होने पर कानूनी अधिकार (Sampat Techno)
- भारतीय दंड संहिता की धारा 499 में मानहानि की परिभाषा (देशबन्धु)
- मानहानि के खिलाफ अधिकार (अधिकार एक्सप्रेस)
- मानहानि का दावा क्या है और न्यायालय में कैसे प्रस्तुत किया जा सकता है? (हेलो रायपुर)
- मानहानि (तीसरा खम्भा)