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मानसिक प्रक्रिया

मस्तिष्क द्वारा किये जाने वाले कार्यों को मानसिक प्रक्रियाएँ (Mental process) या मानसिक कार्य (mental function) कहते हैं। मनोविज्ञान, व्यवहार और मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है।

प्रमुख मानसिक प्रक्रियाएं ये हैं- संवेदन (Sensation), स्मृति, चिन्तन (कल्पना करना, विश्वास, तर्क करना आदि) संकल्प (volition), संवेग (emotion) आदि।

आधारभूत मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाएँ

व्यवहार का अधययन करते समय मनाेवैज्ञानिकाें के लिये उन प्रक्रियाआें काे समझना सबसे महत्वपूर्ण है, जाे सामूहिक रूप से किसी विशेष व्यवहार काे प्रभावित करती हैं। प्रमुख मनाेवैज्ञानिक प्रक्रियाएं निम्नलिखित हैं-

  • संवेदन (Sensation) : संवेदना से तात्पर्य उन विभिन्न उत्तेजनाआें के प्रति हमारी जागरूकता से है जाे हमें विभिन्न संवेदी तंत्रों द्वारा प्राप्त हाेती हैं जैसे, दृष्टि, श्रवण, स्पर्श, गन्ध तथा स्वाद।
  • अवधान (Attention): अवधान के समय हम उपलब्ध कई उत्तेजनाआें में से किसी एक विशेष उत्तेजना पर चयनात्मक रूप से केन्द्रित हाेते हैं, उदाहरणतः कक्षा में व्याख्यान सुनते समय विद्यार्थी शिक्षक द्वारा बाेले गये शब्दाें काे सुनते हैं तथा कक्षा में उपस्थित अन्य उत्तेजनाआें काे नजरअंदाज करते हैं, जैसे पंखे का शाेर।
  • प्रत्यक्षण (perception): प्रत्यक्षण में हम सूचना काे संसाधित करते हैं और उपलब्ध उत्तेजनाआें का अर्थ निकालते है। उदाहरण के लिये, जब हम किसी पेन काे देखते हैं ताे हम उसे एक लिखने वाली वस्तु के रूप में पहचानते हैं।
  • सीखना (अधिगम) : अनुभव और अभ्यास द्वारा नये ज्ञान और कौशलाें के अर्जन में हमारी सहायता करता है। ये अर्जित ज्ञान और कौशल हमारे व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाते हैं और विभिन्न परिस्थितियाें में समायाेजन करने में हमारी सहायता करते हैं।
  • स्मृति : जाे सूचना हम संसाधित करते हैं और सीखते हैं, वह हमारे स्मृतितन्त्र में धारण हाे जाती है। आवश्यकता पड़ने पर धारित सूचना का पुनराेत्पादन करने में भी स्मृति हमारी सहायता करती है। उदाहरण के लिये, परीक्षा के लिये अधययन करने के पश्चात् प्रश्नपत्र में दिये गये प्रश्नाें के उत्तर लिखना।
  • चिन्तन : चिंतन के अन्तर्गत हम धारण किये गये ज्ञान का विभिन्न समस्याआें के समाधान में प्रयाेग करते हैं। जब भी हमारे सामने काेई समस्या आती है, तब हम अपने मन में, उस समस्या से जुड़े विभिन्न तथ्याें का एक दूसरे से तर्कपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करते हैं और तब समस्या के सम्बन्ध में एक विवेकपूर्ण निर्णय लेते हैं। हम अपने आस-पास घटित विभिन्न घटनाआें का मूल्यांकन भी करते हैं और उसके अनुसार एक धारणा बनाते हैं।

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