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माइक्रोकर्नेल

क्रमशः मोनोलिथिक कर्नेल और माइक्रोकर्नेल पर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टमों की संरचना

कंप्यूटर विज्ञान में, माइक्रोकर्नेल (उच्चारण: माइक्रो-कर्नेल) (अंग्रेजी में: Microkernel) (जिसे अक्सर μ-कर्नेल के रूप में संक्षिप्त किया जाता है) वह न्यूनतम सॉफ्टवेयर है जो एक ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) को क्रियाशील बनाने के लिए आवश्यक तंत्र (mechanisms) प्रदान कर सकती है। इन तंत्रों में निम्न-स्तरीय एड्रेस स्पेस (address space अर्थात पता स्थान) प्रबंधन, थ्रेड (thread) प्रबंधन और इंटर-प्रोसेस कम्युनिकेशन (inter-process communication (IPC) अर्थात अंतर-प्रक्रिया संचार) शामिल हैं।

यदि हार्डवेयर एक से अधिक रिंग (rings) या सी.पी.यू. मोड (CPU modes) प्रदान करता है, तो माइक्रोकर्नेल एकमात्र ऐसा सॉफ्टवेयर है जो सबसे ज्यादा विशेषाधिकार प्राप्त स्तर पर निष्पादित (execute) हो सकता है, इस बात को आम तौर पर सुपरवाइजर मोड (पर्यवेक्षक मोड) या कर्नेल मोड के रूप में संदर्भित किया जाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम के पारंपरिक कार्य, जैसे कि डिवाइस ड्राइवर (device drivers), प्रोटोकॉल स्टैक (protocol stacks) और फ़ाइल सिस्टम (file systems), को आमतौर पर माइक्रोकर्नल द्वारा हटा दिया जाता है और इसके बजाय उन्हे यूजर स्पेस (user space) में चलाया जाता है।[1]

स्रोत कोड (source code) के आकार के संदर्भ में, माइक्रोकर्नेल अक्सर मोनोलिथिक कर्नेल की तुलना में छोटे होते हैं। उदाहरण के लिए, MINIX 3 माइक्रोकर्नेल में कोड की लगभग 12,000 पंक्तियाँ हैं।



सन्दर्भ

  1. Jorrit N. Herder (23 February 2005). "Toward a True Microkernel Operating System" (PDF). minix3.org. मूल (PDF) से 16 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 June 2015.

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