माँ भद्रकाली मंदिर इटखोरी
चतरा के पूर्व में 35 किमी और जीटी रोड से जुड़े चौपारण से 16 किमी पश्चिम में है।यह पहाड़ो और जंगलो से घिरा एवं महानद नदी (महाने) नदी के तट पर स्थित इटखोरी ब्लॉक मुख्यालय के भद्रकाली परिसर से केवल आधा किलोमीटर दूर है। यह स्थल तीन धर्मों का अनूठा संगम स्थल शुरू से रहा है। सनातन धर्मावलंबियों की मां भद्रकाली व भगवान बुद्ध की आराध्य देवी मां तारा एवं जैन धर्मावलंबियों के दसवें तीर्थंकर स्वामी शीतलनाथ जी का जन्म स्थल भदलपुर भी यही है। जैन धर्मावलंबी इस मंदिर को भदुली माता का मंदिर भी कहते है।
200 ईसा पूर्व और 1200 ईस्वी के बीच के विभिन्न बौद्ध अवशेष यहां पाए गए हैं। इटखोरी में सबसे लोकप्रिय आकर्षण 9वीं शताब्दी का शानदार मां भद्रकाली मंदिर परिसर है। इसकी मूर्तियां क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के तौर पर एक साक्ष्य के रूप में उपस्थित हैं। मां भद्रकाली मंदिर से लगा हुआ मंदिर अपने भव्य शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है जिसमें 1,008 शिवलिंग नक्काशी के साथ सुशोभित हैं। एक और महत्वपूर्ण आकर्षण प्राचीन स्तूप है, जिसमें बोधिसत्वों की 104 छवियां हैं और इसके दोनों ओर बुद्ध के चार उपदेशों के शीलालेख हैं। वहां एक पत्थर का बड़ा टुकड़ा भी है जिसके बारे में मान्याताएं हैं कि इस पर जैन धर्म के 10 वें तीर्थंकर शीतलनाथ के पैर के निशान हैं।