महिपति
संत महिपति ने भारत के प्रमुख संतों का चरित्र एकत्रित करके मराठी में भक्तिविजय तथा संतलिलामृत ग्रंथों में संकलित किया है। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के राहूरी तहसिल स्थित ताहराबाद उनकी कर्मभूमि है। ताहराबाद में उन्होंने विठ्ठल भगवान का मंदिर स्थापित किया और ताहराबाद से पंढरपुर तक पैदल तीर्थ यात्रा करने लगे जिसे महाराष्ट्र में वारी कहा जाता है। जो पैदल पंढरपुर तीर्थ यात्रा करते है उन्हें मराठी में वारकरी कहा जाता है।
संत महिपति ने निम्नलिखित ग्रंथों की रचना की है।
- श्रीभक्तविजय ५७ ९९१६ १६८४
- श्रीकथासरामृत १२ ७२०० १६८७
- श्रीसंतलीलामृत ३५ ५२५९ १६८९
- श्रीभक्तलीलामृत ५१ १०७९४ १६९६
- श्रीसंतविजय २६ (अपूर्ण) ४६२८ १६९६
- श्रीपंढरी म्हात्म्य १२ - -
- श्रीअनंत व्रतकथा - १८६ -
- श्रीदत्तात्रेय जन्म - ११२ -
- श्रीतुलसी महात्म्य ५ ७६३ -
- श्रीगणेशपुराण (अपूर्ण) ४ ३०४ -
- श्रीपांडुरंग स्तोत्र - १०८ -
- श्रीमुक्ताभरणव्रत - १०१ -
- श्रीऋषीपंचमी व्रत - १४२ -
- अपराध निवेदन स्तोत्र - १०१ -
- स्फुट अभंग व पदे - - -
इन ग्रंथों में मराठी पद्य रचनाओं की संख्या चालीस हजार के करीब है। 'महाराष्ट्र कवि चरित्रकार' श्री. ज. र. आजगावकर द्वारी लिखित महिपती द्वारा रचित सुप्रसिध्द संतों का चरित्र निम्न नुसार है-
- श्री नामदेव चरित्र अभंग ६२
- श्री हरिपाळ चरित्र अभंग ५८
- श्री कमाल चरित्र अभंग ६७
- श्री नरसी मेहता चरित्र अभंग ५२
- श्री राका कुंभार चरित्र अभंग ४७
- श्री जगमित्र नागा चरित्र अभंग ६३
- श्री माणकोजे बोधले चरित्र अभंग ६७
- श्री संतोबा पवार चरित्र अभंग १०२
- श्री चोखामेळा चरित्र अभंग ४७
'श्री भक्तलीलामृत' इस ग्रंथ में पदों की संख्या १०७९४ है।