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महानिर्वाण

निर्वाण का अर्थ होता है मुक्त होना। जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से सदा के लिए मुक्त होना। जन्म और मृत्यु मनुष्य और अन्य जीवों में तब तक बनी रहती हैं जब तक मनुष्य जीवन मिलने पर सतगुरू को पहचान कर सतभक्ति नहीं करते। गीता अध्याय 15 श्लोक 1-4 के अनुसार तत्वदर्शी संत की खोज करनी चाहिए तत्पश्चात तत्वज्ञान समझ कर नाम दीक्षा लेनी चाहिए। जीवन पर्यन्त तक नाम सुमिरण करना चाहिए । सतभक्ति करके ही मनुष्य जन्म और मृत्यु से छुटकारा प्राप्त कर सकता है । इसके पश्चात जीव आत्मा किसी भी योनि में न जन्मता है न मरता है। फिर आत्मा अमरलोक /सत्यलोक /सतलोक में निवास करती है।