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मलमल

ढाका की एक स्त्री बंगाली मसलिन धारण किये हुए (१८वीं शताब्दी)

मसलिन या मलमल सरल बुनाई वाला सूती वस्त्र है। 'मसलिन' शब्द 'मसलीपट्नम' नामक भारतीय पत्तन से आया है।

प्रसिद्ध है कि ढाका का मलमल[1] इतनी महीन होती थी मसलिन की साड़ी अंगूठी से निकल जाय किन्तु अंग्रेजों की दमनकारी व्यापारिक नीति के कारण यह उद्योग नष्ट हो गया। भारतीय मसलिन हाथ से निर्मित अत्यन्त कोमल सूत से हाथ से बुनी जाती थी। भारत का वह भाग जो आजकल बंगलादेश है, इसका मुख्य केन्द्र था। १७वीं और १८वीं शताब्दी में भारत से ही मसलिन पूरे यूरोप में निर्यात की जाती थी।

सन्दर्भ

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 13 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अक्तूबर 2018.

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