मर्व
मर्व (अंग्रेज़ी: Merv, फ़ारसी: مرو, रूसी: Мерв) मध्य एशिया में ऐतिहासिक रेशम मार्ग पर स्थित एक महत्वपूर्ण नख़लिस्तान (ओएसिस) में स्थित शहर था। यह तुर्कमेनिस्तान के आधुनिक मरी नगर के पास था। भौगोलिक दृष्टि से यह काराकुम रेगिस्तान में मुरग़ाब नदी के किनारे स्थित है। कुछ स्रोतों के अनुसार १२वीं शताब्दी में थोड़े से समय के लिए मर्व दुनिया का सबसे बड़ा शहर था। प्राचीन मर्व के स्थल को यूनेस्को ने एक विश्व धरोहर घोषित कर दिया है।
इतिहास
मर्व क्षेत्र में आदिकाल से लोग बसे हुए हैं और यहाँ २०००-३००० ईसापूर्व काल के ग्रामीण जीवन के चिह्न मिलते हैं। पारसी धर्म-ग्रन्थ ज़न्द अवेस्ता में इस क्षेत्र का ज़िक्र बख़्दी (बल्ख़) के साथ किया गया है। कुछ १९वीं और २०वीं सदी के इतिहासकारों के नज़रिए में 'मर्व' वही प्राचीन स्थान है जो संस्कृत और हिन्दू परम्परा में मेरु या मेरु पर्वत के नाम से जाना गया। ब्रिटैनिका विश्वकोष के उस समय के अंकों में कहा गया कि "हिन्दू (पुराण), पारसी और अरब परम्परा में मर्व एक प्राचीन स्वर्ग है, जो आर्य जातियों और मानवों का जन्मस्थल है।"[1]
हख़ामनी और यवन काल
ईरान के हख़ामनी साम्राज्य काल में लगभग ५१५ ईपू में तराशे गए बीस्तून शिलालेखों में मर्व का नाम 'मरगूश' (مَرگَوش) नामक एक सात्रापी के रूप में अंकित है। प्राचीनकाल में इसके लिए 'मरगू' और 'मारगियाना' नाम भी प्रचलित थे। बाद में सिकंदर महान मर्व से गुज़रे थे और इस नगर का नाम बदलकर कुछ अरसे के लिए अलक्षेन्द्रिया (Αλεξάνδρεια, Alexandria) हो गया। सिकंदर के बाद उसके द्वारा जीते गए मध्य एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप के भागों में सेलयूकियाई राजवंशों का राज रहा और आंतियोकोस प्रथम ने नगर का विस्तार किया और इसका नाम बदलकर 'आंतियोकिया मारगियाना' (Antiochia Margiana) हो गया। इसके बाद यहाँ एक-के-बाद-एक बैक्ट्रिया, पार्थिया और कुषाणों का क़ब्ज़ा रहा।[2]
सासानी काल और इस्लाम का आगमन
ईरान के सासानी साम्राज्य के अर्दाशीर पर्थम (२२०-२४० ईसवी) ने मर्व पर क़ब्ज़ा किया और उसके बाद लगभग ४०० सालों तक यह उस साम्राज्य का हिस्सा रहा। इस काल में यहाँ धार्मिक जीवन में पारसी धर्म, बौद्ध धर्म, मानी धर्म और पूर्वी सीरियाई ईसाई धर्म पनपा। इस सासानी काल के बीच में पांचवी सदी के अंत से ५६५ ईसवी तक के अंतराल में यहाँ हफथालीयों का राज रहा। ७वीं सदी में इस्लाम उभरा और अरबों ने ईरान और मध्य एशिया पर आक्रमण किया। ६५१ में अंतिम सासानी बादशाह यज़्दगर्द तृतीय की हत्या हुई और स्थानीय सासानी राज्यपाल ने अरबों के आगे हथियार डाल दिए। मर्व अरबों की उमय्यद ख़िलाफ़त के ख़ुरासान प्रान्त की राजधानी बना। इसे अपना अड्डा बनाकर अरबों ने बल्ख़, बुख़ारा, फ़रग़ना और काश्गर को जीता और ७वीं शताब्दी में चीन में गांसू प्रान्त तक पहुँच गए। मर्व और ख़ुरासान मुस्लिम-बहुसंख्यक बनने वाला विश्व का पहला फ़ारसी-भाषी इलाक़ा बना और बहुत से अरब भी यहाँ आकर बस गए। तलास प्रांत में पकड़े गए एक चीनी यात्री, दू हुआन, को बग़दाद ले जाया गया और उसने पूरी ख़िलाफ़त का दौरा किया। बाद में इस अनुभव के बारे में लिखते हुए उसने कहा कि मर्व और ख़ुरासान में अरब और ईरानी लोग मिश्रित रूप से बसे हुए थे।[3]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Triad Societies: Western Accounts of the History, Sociology and Linguistics of Chinese Secret Societies, Kingsley Bolton, Christopher Hutton, pp. 27, Taylor & Francis, 2000, ISBN 978-0-415-24397-1, ... In the Hindu (the Puranas), Parsi, Arab tradition, Merv is looked upon as the ancient Paradise, the cradle of the Aryan families of mankind, and so of the human race ...
- ↑ Encyclopedia of Ancient Asian Civilizations Archived 2016-08-31 at the वेबैक मशीन, Charles Higham, pp. 222, Infobase Publishing, 2009, ISBN 978-1-4381-0996-1, ... Merv (now called Mary), once known as Antiochia Margiana, an oasis in southern Turkmenistan that attracted settlement from the Bronze Age to the Middle Ages, was the seat of several ancient kingdoms and the legendary home of the Aryans ...
- ↑ Harvard Middle Eastern and Islamic review, Volume 5, Center for Middle Eastern Studies, Harvard University, 1999, ... From this place to the Western Sea, Arabs and Persians dwell interspersed ... Several features of Du Huan's description ... Merv's position as an eastern garrison of the Arabs, the presence of Buddhist temples there ...