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मध्य एशिया

मध्य एशिया
क्षेत्रफल ४०,०३,४०० किमी[1]
आबादी ६,४७,४६,८५४[2]
जन घनत्व १५ व्यक्ति प्रति किमी
देशकाज़ाख़स्तान
किरगिज़स्तान
ताजिकिस्तान
तुर्कमेनिस्तान
उज़बेकिस्तान

मध्य एशिया एशिया महाद्वीप का मध्य या केन्द्रीय भाग है। यह पूर्व में चीन से पश्चिम में कैस्पियन सागर तक और उत्तर में रूस से दक्षिण में अफ़ग़ानिस्तान तक विस्तृत है। भूवैज्ञानिकों द्वारा मध्य एशिया की हर परिभाषा में भूतपूर्व सोवियत संघ के पाँच देश हमेशा गिने जाते हैं - काज़ाख़स्तान, किरगिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़बेकिस्तान। इसके अलावा मंगोलिया, अफ़ग़ानिस्तान, उत्तरी पाकिस्तान, भारत के लद्दाख़ प्रदेश, चीन के शिनजियांग और तिब्बत क्षेत्रों और रूस के साइबेरिया क्षेत्र के दक्षिणी भाग को भी अक्सर मध्य एशिया का हिस्सा समझा जाता है। मध्यकाल में इसे तुरकेस्तान, और तातारिस्ता्न भी कहते थे, क्योंकि यहाँ की भाषा तुर्क भाषा से संबंधित है । सांस्कृतिक रूप से इस क्षेत्र पर ईरान का प्रभाव रहा है, यद्यपि मुख्य आबादी सुन्नी है । सन १८८० से १९८८ के बीच यह रूस नीत सोवियत साम्राज्य का हिस्सा रहा है ।

मध्य एशिया के देश

इतिहास में मध्य एशिया रेशम मार्ग के व्यापारिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। चीन, भारतीय उपमहाद्वीप, ईरान, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच लोग, माल, सेनाएँ और विचार मध्य एशिया से गुज़रकर ही आते-जाते थे। इस इलाक़े का बड़ा भाग एक स्टेपीज वाला घास से ढका मैदान है हालाँकि तियान शान जैसी पर्वत शृंखलाएँ, काराकुम जैसे रेगिस्तान और अरल सागर जैसी बड़ी झीलें भी इस भूभाग में आती हैं।[3]

ऐतिहासिक रूप मध्य एशिया में ख़ानाबदोश जातियों का ज़ोर रहा है। पहले इसपर पूर्वी ईरानी भाषाएँ बोलने वाली स्किथी, बैक्ट्रियाई और सोग़दाई लोगों का बोलबाला था लेकिन समय के साथ-साथ काज़ाख़, उज़बेक, किरगिज़ और उईग़ुर जैसी तुर्की जातियाँ अधिक शक्तिशाली बन गई।[4][5] इसलिए इसे कभी-कभी 'तुर्किस्तान' भी बुलाया जाता है। १९वीं सदी के बाद मध्य एशिया के बड़े हिस्से पर पहले रूसी साम्राज्य और फिर सोवियत संघ का राज रहा, जो दोनों स्लावी-बहुसंख्यक थे। इस से बहुत से रूसी और यूक्रेनी लोग भी यहाँ पर आ बसे। १९९० के दशक में सोवियत संघ के टूटने पर यहाँ के देश आज़ाद राष्ट्रों के रूप में उभरे।[6][7][8]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. मध्य एशिया के पांच देशों के क्षेत्रफल को जोड़कर अनुमान लगाया गया है
  2. १ मार्च २०१२ को मध्य एशिया के पांच देशों की आबादियाँ को जोड़कर अनुमान लगाया गया है
  3. "Travelers on the Silk Road". मूल से 25 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जून 2012.
  4. Encyclopædia Iranica, "CENTRAL ASIA: The Islamic period up to the Mongols", C. Edmund Bosworth: "In early Islamic times Persians tended to identify all the lands to the northeast of Khorasan and lying beyond the Oxus with the region of Turan, which in the Shahnama of Ferdowsi is regarded as the land allotted to Fereydun's son Tur. The denizens of Turan were held to include the Turks, in the first four centuries of Islam essentially those nomadizing beyond the Jaxartes, and behind them the Chinese (see Kowalski; Minorsky, "Turan"). Turan thus became both an ethnic and a diareeah term, but always containing ambiguities and contradictions, arising from the fact that all through Islamic times the lands immediately beyond the Oxus and along its lower reaches were the homes not of Turks but of Iranian peoples, such as the Sogdians and Khwarezmians."
  5. C.E. Bosworth, "The Appearance of the Arabs in Central Asia under the Umayyads and the establishment of Islam", in History of Civilizations of Central Asia, Vol. IV: The Age of Achievement: AD 750 to the End of the Fifteenth Century, Part One: The Historical, Social and Economic Setting, edited by M. S. Asimov and C. E. Bosworth. Multiple History Series. Paris: Motilal Banarsidass Publ./UNESCO Publishing, 1999. excerpt from page 23: "Central Asia in the early seventh century, was ethnically, still largely an Iranian land whose people used various Middle Iranian languages.". [1] Archived 2011-07-22 at the वेबैक मशीन
  6. "संग्रहीत प्रति". मूल से 16 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जून 2012.
  7. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल से 6 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 19 जून 2012.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 25 अगस्त 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जून 2012.