मधुरापुर गाँव, टेघरा (बेगूसराय)
मधुरापुर | |
— गाँव — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | भारत |
राज्य | बिहार |
ज़िला | बेगूसराय |
आधिकारिक भाषा(एँ) | हिन्दी, मगही, मैथिली, भोजपुरी, अंगिका, अंग्रेज़ी |
आधिकारिक जालस्थल: http://begusarai.bih.nic.in |
निर्देशांक: 25°09′N 85°27′E / 25.15°N 85.45°E
Madhurapur बेगूसराय (बिहार) स्थित एक गांव है।
भूगोल
पूर्व: खगड़िया, मुंगेर पश्चिम: समस्तीपुर उत्तर: समस्तीपुर दक्षिण: गंगा नदी
गांव के प्रसिद्ध व्यक्तित्व
स्वर्गीय सूर्य नारायण Singh (former member of parliament) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
स्वर्गीय रामेश्वर सिंह (former MLA)
शहीद स्वर्गीय श्याम किशोर सिंह(पूर्व भारतीय सैनिक)
यातायात
तेघरा ऑटो स्टैंड 1 km तेघरा बस स्टैंड 2 km तेघरा स्टेशन 3 km बरौनी जंक्शन 1km से 7 km
रमणीय स्थल तथा गांव में विशेष:
भगवती स्थान, दक्षिण टोला बोल्डर घाट, दक्षिण टोला महावीर स्थान, दक्षिण टोला ब्रह्म स्थान, दक्षिण टोला खेल मैदान 1, भगवती स्थान, दक्षिण टोला गंगा नदी, मधुरापुर
भगवती स्थान, बिचला टोला पुस्तकालय 2, बीचला टोला खेल मैदान 2, बिचला टोला योगा स्थल,.....
घटकिंडी दुर्गा स्थान, पूर्वी टोला कताने माई स्थान, पूर्वी टोला पोस्ट ऑफिस, पूर्वी टोला
मधुरापुर गांव सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से एक समृद्ध गांव है। गांव के ज्यादातर बच्चों का लक्ष्य भारतीय सेवा में शामिल होना तथा देश की रक्षा करना होता है।गंगा नदी के तट पर बसा यह गांव बहादुरों का गांव है।कला तथा संस्कृति के मामले में यह गांव अग्रगण्य है। खेल के मामले में तो यह गांव पूरे जिले भर में प्रसिद्ध है। इस गांव के बच्चे बच्चे वॉलीबॉल खेल में निपुण है।गांव के बहुत सारे लोग विधायक सांसद तथा अन्य सरकारी उच्च पदों पर आसीन हैं, जो गांव के गौरव को दर्शाता है।हर वर्ष नाग पंचमी के अवसर पर इस गांव में कुश्ती का आयोजन किया जाता है जिसमें जिले के बाहर के लोग भी भाग लेते हैं।कहा जाता है कि यह गांव भीख राय जो भीख बाबा के नाम से भी जाने जाते हैं, उन्हीं के तीन पुत्रों से तीन tole के रूप में विकसित हुआ है जो की अद्भुत है।इस गांव में समय-समय पर tintolwa भोज का भी आयोजन किया जाता है जो ऐतिहासिक रूप से समृद्धता को दर्शाता है।सुबह 9:00 से रात्रि के 12:00 बजे तक लगातार चलने वाला या भोज आस-पास के इलाके में इतना प्रसिद्ध है कि लोग इसकी चर्चा करते नहीं थकते।इस गांव में बाढ़ के प्रकोप होने के बावजूद भी गांव के लोग साहस से इस आपदा पर काबू पाते हैं जो गांव के लोगों के बहादुर होने का प्रमाण है।गांव के ज्यादातर लोग कृषि कार्य में संलग्न है और उपज के मामले में या गांव अच्छे-अच्छे गांव को पीछे छोड़ देता है।
शिक्षा
कृषि प्रधान पृष्ठभूमि होने के बावजूद भी इस गांव के बेटे और नाती इसरो जैसे संस्थान में कार्यरत हैं तथा गांव के बहुत सारे लोग डॉक्टर इंजीनियर, आर्मी ऑफिसर, प्राध्यापक इत्यादि पदों पर आसीन हैं l इस गांव के निवासी राजनीतिक दृष्टिकोण से भी उत्कृष्ट माने जाते हैं क्योंकि चुनाव के दौरान इन गांव के मतदाताओं का वोट निर्णायक माना जाता है। गांव से कुछ दूर स्थित तेघरा बाजार में रामजीलाल सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, ग्रीनवुड पब्लिक स्कूल, सेंट पॉल तथा अन्य उत्कृष्ट स्तर के विद्यालय मौजूद है।
धार्मिक संदर्भ
गांव के लोगों में माता भगवती के प्रति असीम श्रद्धा तथा भक्ति भावना है।चाहे खुशी का अवसर हो या संकट का, माता भगवती का नाम लिए बिना कार्य की शुरुआत नहीं होती है।"बोलो भगवती माई की" इस गांव के लोगों का प्रमुख वाक्य है जो जयकारे के रूप में शुभ अवसरों पर बोला जाता है।गंगा नदी के तट पर बसा यह गांव छठ पर्व के अवसर पर मनमोहक दिखता है; जब पड़ोस गांव के के लोग भी लाखों की संख्या में मौजूद होकर इस पर्व को मनाते हैं.
गांव का प्रसिद्ध "तीनटोलवा भोज"
125 मन चावल खाने वाला यह गांव अपने आप में एक कीर्तिमान स्थापित करता है, जिसमें गांव के लोगों में चावल के साथ-साथ रसगुल्ला और दही खाने की भी होड़ रहती है।पुरानी मान्यताओं तथा बुजुर्गों के अनुसार इस गांव में ऐसे-ऐसे महारथी पैदा हुए हैं जो एक सांस में पांच किलो दही गटक जाते हैं।दो- ढाई किलो गुलाब जामुन एक सांस में डकार जाना इन गांव के लोगों का बाएं हाथ का खेल है। गंगा नदी के पार स्थित 'दियारा' जो कृषि योग्य भूमि माना जाता है, वहां रहने वाले लोग मशहूर लिट्टी उपले पर पकाते हैं तथा दूध के साथ इन लिट्टी का सेवन करते हैं।इस विशेष आहार की वजह से यहां के लोग पुष्ट तथा बलवान होते हैं।कहा जा सकता है कि खान-पान की संस्कृति इस गांव के लोगों को विरासत में मिली है।