मछुआरा-कन्या और केकड़ा
मछुआरा-कन्या और केकड़ा (फिशर-गर्ल एंड द क्रैब) भारतीय परी-कथाओं में से एक है जिसे "फोक-टेल्स आफ़ महाकोशल"[1] में वेरियर एल्विन द्वारा संकलित किया गया है।
सारांश
एक कुरुख-दंपत्ति की कोई संतान नहीं थी। उन्हें अपने चावल के खेत से एक लौकी मिली, जिसे उन्होंने धीरे-धीरे काटना शुरु किया। उन्हें उसके अंदर एक केकड़ा मिला। महिला ने अपने पेट में एक टोकरी बाँध ली और गर्भवती होने का नाटक किया। बाद में उसने केकड़े को जन्म देने का भी नाटक किया। एक बार जब उन्होंने उस केकड़े का विवाह करना चाहा तो लड़की एक केकड़े से विवाह करने को राज़ी नहीं हुई। रात के समय जब माता-पिता और केकड़ा सो रहे थे तब वह लड़की चुपके से बाहर निकल गई और वह केकड़ा भी चुपचाप उससे पहले बाहर निकल गया। उसने एक बरगद के पेड़ को-जो उसी का पेड़ था-नीचे गिरने की आज्ञा दी। उसने उसके अंदर से एक मानव आकृति निकाली और अपनी केकड़े की आकृति को वहीं पेड़ में डाल दिया। लड़की एक नृत्य के दौरान उससे मिली और उसे अपने गहने दे दिए। वह उसके सामने वापस चला गया और वापस अपने केकड़ा रूप में आ गया। उसने लड़की को उसके गहने वापस दिए, जिससे वह डर गई। वह केकड़े को देखते हुए वहाँ से चुपके से निकल गई। जब केकड़ा मानव-रूप में आ गया, तब कन्या ने उन पेड़ों से पूछा कि यह किसका था; वृक्ष ने कहा कि यह उसी का था; कन्या ने पेड़ को नीचे गिरने का आदेश दिया और केकड़े की आकृति को जला दिया।
टीका
एल्विन के अनुसार केकड़े को एकविवाही और घरेलू निष्ठा का एक उदाहरण माना जाता है।[2]
सन्दर्भ
- ↑ Elwin, Verrier. Folk-tales of Mahakoshal. [London]: Pub. for Man in India by H. Milford, Oxford University Press, 1944. pp. 134-135.
- ↑ Angela Carter, The Old Wives' Fairy Tale Book, Pantheon Books, New York, 1990 ISBN 0-679-74037-6