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मगहर, भारत

मगहर
Maghar
मगहर is located in उत्तर प्रदेश
मगहर
मगहर
उत्तर प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 26°46′N 83°08′E / 26.76°N 83.13°E / 26.76; 83.13निर्देशांक: 26°46′N 83°08′E / 26.76°N 83.13°E / 26.76; 83.13
देश भारत
राज्यउत्तर प्रदेश
ज़िलासंत कबीर नगर ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल19,181
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)

मगहर (Maghar) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर ज़िले में स्थित एक नगर है। १५वीं शताब्दी में संत कबीर साहेब जी का यहीं से सशरीर प्रस्थान होना माना गया है [1]और उनकी दो समाधियां[2] भी इसी जगह स्थित है।[3][4]

कबीर साहेब की जीवनी

कबीर साहिब जी ताउम्र काशी में रहे। परंतु 120 वर्ष की आयु में काशी से अपने अनुयायियों के साथ मगहर के लिए चल पड़े। 120 वर्ष के होते हुए भी उन्होंने 3 दिन में काशी से मगहर का सफर तय कर लिया। उन दिनों काशी के कर्मकांडी पंडितों ने यह धारणा फैला रखी थी कि जो मगहर में मरेगा वह गधा बनेगा और जो काशी में मरेगा वह सीधा स्वर्ग जाएगा।

आज से 600 वर्ष पहले काशी में धर्मगुरुओं द्वारा मोक्ष प्राप्ति के लिए गंगा दरिया के किनारे एकांत स्थान पर एक नया घाट बनाया गया और वहां पर एक करौंत लगाई। धर्मगुरूओं ने एक योजना बनाई कि भगवान शिव का आदेश हुआ है कि जो काशी नगर में प्राण त्यागेगा, उसके लिए स्वर्ग का द्वार खुल जाएगा। वह बिना रोक-टोक के स्वर्ग चला जाएगा। जो शीघ्र ही स्वर्ग जाना चाहता है, वह करौंत से मुक्ति ले सकता है। उसकी दक्षिणा भी बता दी।

जो मगहर नगर (गोरखपुर के पास उत्तरप्रदेश में) वर्तमान में जिला-संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश) में है, उसमें मरेगा, वह नरक जाएगा या गधे का शरीर प्राप्त करेगा। गुरूजनों की प्रत्येक आज्ञा का पालन करना अनुयाईयों का परम धर्म माना गया है। इसलिए हिन्दु लोग अपने-अपने माता-पिता को आयु के अंतिम समय में काशी (बनारस) शहर में किराए पर मकान लेकर छोड़ने लगे। अपनी जिंदगी से परेशान वृद्ध व्यक्ति अपने पुत्रों से कह देते थे एक दिन तो भगवान के घर जाना ही है हमारा उद्धार शीघ्र करवा दो।

इस प्रकार धर्मगुरुओं द्वारा शास्त्रों के विरुद्ध विधि बता कर मोक्ष के नाम पर काशी में करौंत से हजारों व्यक्तियों को मृत्यु के घाट उतारा जाने लगा। शास्त्रों में लिखी भक्ति विधि अनुसार साधना न करने से गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में लिखा है कि उस साधक को न तो सुख की प्राप्ति होती है, न भक्ति की शक्ति (सिद्धि) प्राप्त होती है, न उसकी गति (मुक्ति) होती है अर्थात् व्यर्थ प्रयत्न है।

इस गलत धारणा को कबीर जी लोगों के दिमाग से निकालना चाहते थे। वह लोगों को बताना चाहते थे कि धरती के भरोसे ना रहें क्योंकि मथुरा में रहने से भी कृष्ण जी की मुक्ति नहीं हुई। उसी धरती पर कंस जैसे राजा भी डावांडोल रहे।

इसी प्रकार हर किसी को अपने कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नरक मिलता है चाहे वह कहीं भी रहे। अच्छे कर्म करने वाला स्वर्ग प्राप्त करता है और बुरे, नीच काम करने वाला नरक भोगता है, चाहे वह कहीं भी प्राण त्यागे, वह दुर्गति को ही प्राप्त होगा।

उस समय काशी का हिंदू राजा बीर सिंह बघेल और मगहर (Maghar) रियासत का मुस्लिम नवाब बिजली खाँ पठान दोनों ही कबीर साहेब के प्रिय हंस (शिष्य) थे। बिजली खाँ पठान ने कबीर साहिब से नाम उपदेश लेकर अपने राज्य में मांस मिट्टी तक खाना बंद करवा दिया था। इसी प्रकार बीर सिंह बघेल कबीर साहिब की हर बात को मानता था।

कबीर साहिब जी की लीलाएं

जब कबीर साहेब जी काशी से मगहर (Maghar) के लिए रवाना हुए तो बीर सिंह बघेल अपनी सेना के साथ चल पड़ा। उसने निश्चय किया कि कबीर के शरीर छोड़ने के पश्चात उनके शरीर को काशी लाएंगे तथा हिंदु रीति से उनका अंतिम संस्कार करेंगे। अगर मुसलमान नहीं माने तो युद्ध करके उनके मृत शरीर को लेकर आएंगे।

दूसरी तरफ जब बिजली खाँ पठान को सूचना मिली कि  कबीर जी अपनी जीवन लीला अंत करने आ रहे हैं तो उसने कबीर जी के आने की पूरी

निर्वाचन क्षेत्र

यह खलीलाबाद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है।[5]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. NEWS, SA (8 फरवरी 2022). "मगहर लीला: 12 फरवरी 2022, कबीर परमेश्वर जी का "सह-शरीर सतलोक प्रस्थान दिवस"". SA News Channel. अभिगमन तिथि 10 फरवरी 2022.
  2. "मगहर को 'अंतिम समय' के लिए चुना था कबीर ने". BBC News हिंदी. अभिगमन तिथि 2022-02-09.
  3. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  4. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
  5. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल से 3 सितंबर 2014 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 20 अक्तूबर 2014.