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मगनलाल गाँधी

मगनलाल गाँधी

मगनलाल खुशाल चंद गांधी (1883-1928) महात्मा गांधी के अनुयायी थे। वह गांधीजी के चाचा के पोते थे और 23 अप्रैल, 1928 को पटना में टाइफाइड से उनकी मृत्यु हो गई।

कुछ धन कमा सकने की आशा से मगनलाल गाधी सन् १९०३ मे दक्षिण अफ्रीका गये थे। मगर उन्हें दूकान करते पूरा साल भर भी न हुआ होगा कि स्वेच्छापूर्वक गरीबी की पुकार को सुनकर वह फिनिक्स आश्रम मे आ शामिल हुए और तब से एक बार भी वह डिगे नही,।

गांधी जी के कई कार्यों में मोहनलाल गांधी को उद्धृत किया गया है। उन्होंने ही सुझाव दिया था कि गांधीजी के अहिंसा के तरीकों को सत्याग्रह शब्द से परिभाषित किया जाना चाहिए। गांधी जी के अनुसार मगनलाल साबरमती आश्रम के हृदय और आत्मा थे। । हालाँकि, बाद में वे फीनिक्स कॉलोनी में शामिल हो गए।

'इंडियन ओपीनियन' के गुजराती अश का संपादन करना भी उनके लिए वैसा ही सहज काम था। उल्लेखनीय है कि अहमदाबाद से 'यग इंडिया' का जो पहला अंक निकला उसमे भी उस सकट - काल मे उनके हाथ की कारीगरी थी ।

वह चर्खा संघ के शिक्षण विभाग के व्यवस्थापक थे । श्री वल्लभ भाई ने बाढ़ के जमाने मे उन्हे विट्ठलपुर का नया गाव बनाने IT भार दिया था ।

वह आदर्श पिता थे । उन्होने अपने बच्चो को दो लडकियो और एक लडके को, ऐसी शिक्षा दी थी कि जिसमे वे देश के लिए उपहार बनने के लिए योग्य हो ।[1]

उन्होने आश्रम के लिए जन्म लिया था। सोना जैसे अग्नि में तपता है वैसे मगनलाल सेवाग्नि में तपे और कसौटी पर सो फी- सदी खरे उतरकर दुनिया से कूच कर गये । आश्रम मे जो कोई भी है वह मगनलाल की सेवा की गवाही देता है ।

  1. https://www.gandhiashramsabarmati.org/en/ashram-sites/ashramlocation/MTA2.html