मक़ामे इब्राहीम
मक़ामे इब्राहीम (अंग्रेज़ी: Maqam Ibrahim), उर्दू:مقام ابراہیم)
मुसलमानों के तीर्थ स्थल काबा में एक विशेष स्थल पर एक पवित्र पत्थर है, जिस पर हज़रत इब्राहीम के पदचिह्न थे।
परिचय
इस्लाम |
---|
मकाम-ए-इब्राहीम या मुक़ामे इब्राहीम [1]इस्लाम धर्म की मान्यता अनुसार वह पत्थर है जिसका इस्तेमाल इब्राहीम (इस्लाम) ने मक्का (शहर) में बैतुल्लाह अर्थात काबा के निर्माण के दौरान दीवार बनाने के लिए किया था ताकि वह उस पर खड़े होकर दीवार बना सकें।
यह स्थान खाना काबा से लगभग 13 मीटर पूर्व में स्थित है।
इब्राहीम के युग से इस्लाम की शुरुआत तक इब्राहिम के पैरों के निशान इस चट्टान पर थे।
1967 से पहले इस जगह पर एक कमरा था लेकिन अब इसे सोने की जाली में बंद कर दिया गया है। इस जगह को मस्जिद का दर्जा दिया गया है।
काबा के इमाम इधर से काबा अर्थात चंद क़दम की दूरी पर क़िबलाह की ओर रूख कर के नमाज़ पढाते हैं। तवाफ के पश्चात् मुसलमान को वहाँ दो रकअत नमाज़ पढ़नी सुन्नत है।
क़ुरआन में उल्लेख
और (याद करो) जब हमने इस घर (अर्थातःकाबा) को लोगों के लिए बार-बार आने का केंद्र तथा शांति स्थल निर्धारित कर दिया तथा ये आदेश दे दिया कि मक़ामे इब्राहीम को नमाज़ का स्थान बना लो तथा इब्राहीम (इस्लाम) और इस्माईल को आदेश दिया कि मेरे घर को तवाफ़ (परिक्रमा) तथा एतिकाफ़ करने वालों और सज्दा तथा रुकू करने वालों के लिए पवित्र रखो।(2:124) [2]
उसमें खुली निशानियाँ हैं, (जिनमें) मक़ामे इब्राहीम है तथा जो कोई उस (की सीमा) में प्रवेश कर गया, तो वह शांत (सुरक्षित) हो गया। तथा अल्लाह के लिए लोगों पर इस घर का ह़ज अनिवार्य है, जो उस तक राह पा सकता हो तथा जो कुफ़्र करेगा, तो अल्लाह संसार वासियों से निस्पृह है। (3:97) [3]
हदीस और प्रसिद्ध पुस्तकों में उल्लेख
हाफ़िज़ इबन कसीर का कथन है[4] (रूपांतर:)
इस पत्थर में पांव के निशानात ज़ाहिर थे और अब तक ये बात मारूफ़ है और पहले में भी अरब भी उसे जानते थे, और मुस्लमानों ने भी ये निशानात पाए, जिस तरह कि अनस बिन मालिक रज़ी. फ़रमाते हैं कि:
मैंने मुक़ाम इब्राहीम देखा कि इस में इब्राहीम अलैहिस-सलाम की उंगलीयों और एड़ीयों के निशानात मौजूद थे।
लेकिन ये बात है कि लोगों के हाथ लगने से वो निशानात जाते रहे इबन जरीर ने क़तादा रहिमा अल्लाह तआला से रिवायत बयान की है कि :
"और मुक़ाम इब्राहीम को नमाज़ की जगह बनाओ इस में हुक्म ये दिया गया है कि इस के क़रीब नमाज़ पढें, और यह हुक्म नहीं दिया गया कि उस पे हाथ फेरें और मसह करें, और इस उम्मत ने भी वो तकलीफ़ शुरू कर दी जो पहली उम्मत करती थी, हमें देखने वाले ने बताया कि इस में इब्राहीम अलैहिस-सलाम की उंगलीयों और एड़ीयों के निशानात मौजूद थे और लोग इस पर हाथ फेरते रहने की वजह से वो निशानात मिट गए। (तफ़सीर इबन कसीर 1/117)
शेख़ इबन इसीमीन रहिमा अल्लाह तआला का कहना है:
इस में कोई शक नहीं कि मुक़ाम इब्राहीम का सबूत मिलता है और जिस पर क्रिस्टल चढ़ाया गया है वो मुक़ाम इब्राहीम ही है लेकिन वो गडढ़े जो उस वक़्त इस पर हैं वो पाँव के निशानात ज़ाहिर नहीं होते, इस लिए कि तारीख़ी तौर पर इस का सबूत मिलता है कि पाँव के निशानात ज़माने तवील (बहुत समय पूर्व) से मिट चुके हैं
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "मुक़ामे इब्राहीम"- प्रो. डॉक्टर जियाउर्रहमान आज़मी, कुरआन मजीद की इन्साइक्लोपीडिया, हिंदी संस्करण(2010), पृष्ठ 133
- ↑ "Translation of the meanings Ayah 124 Surah Āl-'Imrān 2 - Hindi translation - The Noble Qur'an Encyclopedia". Cite journal requires
|journal=
(मदद) - ↑ "Translation of the meanings Ayah 97 Surah Āl-'Imrān - Hindi translation - The Noble Qur'an Encyclopedia". Cite journal requires
|journal=
(मदद) - ↑ "مقام ابراہیم - ویکیپیڈیا". Cite journal requires
|journal=
(मदद)[मृत कड़ियाँ]