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भोजन शिष्टाचार

Table Manners in the Nursery (1916)

भोजन शिष्टाचार खाते समय पालन किये जाने वाले शिष्टाचार के वे नियम हैं, जिनमें बर्तनों का सटीक उपयोग भी शामिल हो सकता है। विभिन्न संस्कृतियां भोजन शिष्टाचार के लिए अलग-अलग नियमों का पालन करती हैं। कई भोजन शिष्टाचारों का विकास व्यावहारिकता के तहत हुआ है। उदाहरण के तौर पर, मेज़ पर कुहनियों को टिकाना आम तौर पर अशिष्ट माना जाता है चूंकि ऐसा करने पर कटोरियों और कपों के ऊपर फिसलने का जोखिम बना रहता है।[1] इन नियमों को कितनी कड़ाई से लागू करना है, इसके बारे में प्रत्येक परिवार या समूह अपने निजी मानक स्वयं तय करते हैं।


अफ्रीका

कई अफ्रीकी देशों में छूरी-कांटे के बगैर ही एक जातिगत थाली (या बर्तन) में दाहिने हाथ से खाने की रिवायत है। मुसलमान अक्सर भोजन से पहले प्रार्थना (बिस्मिल्लाह) कहते हैं।

  • रात के भोजन के लिए समय से पहले पहुंचना अशिष्ट माना जाता है; अपेक्षित समय से 15-30 मिनट बाद पहुंचने की कोशिश करें.
  • रोटी या उगाली खाने के लिए छूरी या कांटे का प्रयोग मिथ्याभिमान माना जाता है।
  • यदि भोजन चटाई या गलीचे पर किया जा रहा हो, तो आपके पांव के तलवे नहीं दिखने चाहियें. इसे घोर अशिष्ट माना जाता है।
  • बच्चे तभी बड़ों के साथ भोजन कर सकते हैं यदि उन्हें ऐसा करने का निर्देश दिया गया हो.
  • तंज़ानिया के बहुत से भोजन शिष्टाचार ब्रिटिश भोजन शिष्टाचार से मेल खाते हैं।
  • मुंह में निवाला भरकर बात करना या हंसना अशिष्ट माना जाता है।
  • मेज़बान को यह पता होना चाहिए कि भोजन कितना लजीज़ है लेकिन उसकी अतिरंजना नहीं करनी चाहिए; इसे गलत तरीके से लिया जा सकता है।
  • भोजन करते वक़्त अपने मुंह, नाक, कान या बालों को छूने से बचें.
  • सीधे बोतल में मुंह लगाकर बियर पीना अशिष्ट माना जाता है; आपसे उसे ग्लास में उड़ेलने की उम्मीद की जाती है।
  • ज़ान्ज़ीबार जैसे कुछ क्षेत्रों में खाने की मेज़ को लिंग के आधार पर अलग किया जाता है।

एशिया और ओशिनिया

पावरोटी तोड़ना, एक आम खाद्य आहार का समय
  • मेहमानों को अक्सर दरवाज़े से दूर बिठाया जाता है; जब कोई मेहमान नहीं होता तो दादा-दादी को दरवाज़े से सबसे दूर की जगह पर बिठाया जाता है।
  • घर के रिवाजों के मुताबिक़ भोजन से पहले/या बाद में एक प्रार्थना की जाती है।
  • पहले मेहमानों को भोजन परोसा जाता है और उनसे अधिक खाने की उम्मीद की जाती है, जबकि मेज़बान आखिर में खाना शुरू करते हैं और कम मात्रा में खाते हैं।
  • जब तक मेज़बान और खाने का आग्रह न करे मेहमानों को अत्यधिक खाने से बचना चाहिए, जैसा कि वह लगभग हमेशा करेगा/करेगी. जो मेज़बान अपने मेहमान को आग्रह करे, उसे एक अच्छा और विनम्र मेज़बान माना जाता है। मेज़बान को हमेशा मेहमान से और भोजन लेने के लिए कम से कम तीन बार आग्रह करना चाहिए और मेहमान को कम से कम तीन बार इन्कार करना चाहिए।
  • मेहमानों को हमेशा भोजन की अधिकतम मात्रा परोसी जानी चाहिए। बहरहाल खाने से इन्कार करना अशिष्टता माना जाता है और मेहमानों का खाना लाज़मी है। इसी तरह, एक मेज़बान के लिए भोजन का आग्रह करने या शिष्ट होने में असमर्थ होना अभद्रता माना जाता है।
  • परंपरागत पकवानों को हाथों से खाया जाता है। बहरहाल, मेज़बान की निजी संस्कृति के आधार पर कभी-कभार छूरी-कांटा भी उपलब्ध कराया जाता है। अपने हाथों से खाते समय केवल दाहिने हाथ का ही उपयोग किया जाना चाहिए। चावल तथा शोरबे वाले खानों को गिराए/छलकाए बिना उठाने के उचित तरीक़े हैं, जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति को सीखना चाहिए और उसका अभ्यास करना चाहिए। खाना बर्बाद करने पर नाक-भौं सिकोड़ी जाती है। कटलरी के रूप में अक्सर चम्मच और कांटा ही दिया जाता है, चूंकि अफगानी पकवानों को खाने के लिए विरले ही छूरी की ज़रुरत पड़ती है। चम्मच और कांटा दिए जाने के बावजूद हाथ से खाया जाना भी स्वीकार्य है।
  • सूप को उसमें रोटी भिगो कर खाया जा सकता है।
  • बचे-खुचे खाने को रोटी के टुकड़ों के साथ समेटना चाहिए।
  • कभी-कभार एक बड़ी सी थाली में इकट्ठे बैठ कर खाना आम रिवायत है। ऐसे में प्रत्येक को अपने सामने का भोजन ही खाना चाहिए।
  • मेज़ पर खाने के दौरान यदि रोटी फर्श पर गिर जाए तो उसे उठाकर चूमना चाहिए और अपने माथे से लगाकर फर्श के बजाय कहीं और रखना चाहिए। यदि फर्श पर बैठ कर भोजन कर रहे हों तो ध्यान रखें कि आपके पैर भोजन को स्पर्श न करें.
  • रसोइये की प्रशंसा करना आम प्रथा है, बहरहाल प्रशंसा को अत्यंत विनम्रता के साथ स्वीकार किया जाना चाहिए।
  • परंपरागत रूप से भोजन के समय परोसने का काम बुज़ुर्ग करते हैं। सबसे पहले हाथ धोने के लिए एक बड़ी सी तश्तरी के साथ एक जग में पानी लाया जाता है। आम तौर पर यह तश्तरी और जग किसी धातु से निर्मित होते हैं। इसके बाद भोजन परोसा जाता है। इसके बाद फल और फिर चाय की बारी आती है।
  • भोजन के बाद सूखे मेवों, मिठाइयों और चीनी के टुकड़ों के साथ चाय परोसी जाती है। जब चाय परोसी जाती है तो मेहमान का प्याला कभी खाली नहीं रहना चाहिए और साथ में नाश्ता भी परोसा जाना लाज़मी है। मेहमान से हरगिज़ यह नहीं पूछना चाहिए कि क्या वे चाय लेना पसंद करेंगे. मेज़बान को बस चाय परोस देनी चाहिए। मेहमान कभी स्वयं चाय नहीं लेता/लेती, न ही दुबारा अपना प्याला भरता/भरती है। मेज़बान को चौकस रहना चाहिए एवं जब तक मेहमान तृप्त न हो जाए तब तक उसका प्याला भरते रहना चाहिए। अफगान बहुत मात्रा में चाय पीते हैं और एक सिरे से 2-3 प्याली चाय पीना आम बात है। जब मेहमान चाय पी चुके हों तो वे एक संकेत के रूप में अपनी प्याली को उलट कर रख सकते हैं।
  • मुंह में बड़ा निवाला भरने या खाते-खाते बात करने पर नाक-भौं सिकोड़ी जाती है।
  • ज़बरदस्त भूख लगी होने पर भी मेज़ पर अतिउत्साही होने से बचना चाहिए।
  • किसी की ओर पीठ फेर कर नहीं बैठना चाहिए, ख़ास तौर पर मेहमान या बुजुर्गवारों की ओर. किसी की तरफ अपने पैर फैलाकर क़तई नहीं बैठना चाहिए, ख़ास तौर पर किसी बुज़ुर्गवार या मेहमान की तरफ.
  • खाने के बाद हाथों को पखारने के लिए पुनः पानी का जग लाया जाता है। एक तौलिया दिया जा सकता है।

आम तौर पर चीनी भोजन-शिष्टाचार पश्चिम के मुकाबले अधिक अनौपचारिक हैं, हालांकि परोसने की जातिगत शैली के नतीजे में सामाजिक संबंधों के उच्च स्तर के कारण अन्य मेहमानों के साथ वार्तालाप के कुछ और नियम भी हैं।

चीनी कांटे का प्रयोग

  • चीनी कांटे को हमेशा सही तरीक़े से पकड़ना चाहिए अर्थात दाहिने हाथ के अंगूठे और पहली दो उंगलियों के बीच.
  • जब उपयोग में न हो तो चीनी कांटों को सदैव दोनों सिरों से एक दूसरे के साथ सटाकर सलीके से मेज़ पर रखना चाहिए। ऐसा करने में नाकाम होने पर माना जाता है कि वह अंतिम संस्कार से पहले ताबूत में किसी मृत शरीर को रखने जैसा है और इसे भारी सामाजिक भूल समझा जाता है।
  • चीनी कांटों को परंपरागत रूप से दाहिने हाथ में ही पकड़ा जाता है, यहां तक कि बाएं हाथ वाले लोगों द्वारा भी. हालांकि आजकल चीनी कांटो को किसी भी हाथ में देखा जा सकता है, लेकिन कुछ लोग अब भी बाएं हाथ में इसे पकड़ना शिष्टाचार के खिलाफ आचरण मानते हैं। इस प्रयोग को अनुचित करार देने का एक तर्क यह है कि छोटे गोल मेज़ों पर यह असुविधाजनक हो सकता है।
  • चीनी कांटों की नोक को क़तई किसी की ओर न करें. यह उस व्यक्ति का अपमान करने जैसा है और इसे एक भारी सामजिक भूल माना जाता है।
  • अपने हाथों के आकार-इंगित के विस्तार के रूप में अपने चीनी कांटों को अपने आसपास क़तई न लहरायें.
  • अपने चीनी कांटों को कभी नगाड़े की डंडी की तरह न बजाएं. यह मेज़ पर उपस्थित अन्य लोगों को यह कहने जैसा है कि आप एक भिखारी हैं।
  • चीनी कांटों को हरगिज़ कटोरियों या तश्तरियों को सरकाने के लिए इस्तेमाल न करें.
  • कभी भी चीनी कांटों को न चूसें.
  • चीनी कांटों से तश्तरियों में आगे-पीछे करने या उथल-पुथल करने के बजाय पहले यह तय कर लें कि आपको खाने के लिए क्या उठाना है।
  • चीनी कांटों को मेज़ से दूर रखने के लिए उन्हें अपनी थाली या कटोरी पर क्षैतिज आकार में रखा जा सकता है; चीनी कांटो को रखने के धानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है (रेस्तराओं में यह आम तौर पर पाया जाता है).
  • जब आप भोजन के किसी टुकड़े को उठा रहे हों तो चीनी कांटों की नोक को कभी भी आम कांटों की तरह भोजन में न चुभाएं; सब्जियों आदि जैसे बड़े अंश को तोड़ना अपवादों में शामिल है। अधिक अनौपचारिक व्यवस्था में छोटी चीज़ें या उठाने में कठिनाई वाले खाद्यों, मसलन छोटे-छोटे टमाटर या फिशबॉलों को काटा जा सकता है, लेकिन परम्परावादियों को यह नागवार गुज़रता है।
  • कभी भी चावल के पात्र में चीनी कांटों को सीधे खड़ा कर नहीं घुसाना चाहिए, चूंकि यह किसी मंदिर में किसी शव को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए अगरबत्ती का इस्तेमाल करने जैसा होता है। इसे भोजन शिष्टाचार का घोर सामाजिक भूल माना जाता है।
जातिगत चीनी कांटा
  • यदि जातिगत चीनी कांटे हों, तो किसी साझी तश्तरी में से भोजन उठाने के लिए अपने नीजी चीनी कांटे के इस्तेमाल को या जातिगत चीनी कांटों से खाने को असभ्यता माना जाता है।
  • किसी साझी तश्तरी में से अपनी निजी थाली में खाना डालने के लिए अपने चीनी कांटों के छोर का इस्तेमाल करना असभ्यता माना जाता है; इसके बजाय जातिगत चीनी कांटों का उपयोग करें.
  • यदि जातिगत चीनी कांटे उपलब्ध न हों तो किसी साझी तश्तरी में से किसी मेहमान की थाली या कटोरी में भोजन डालने के लिए अपने चीनी कांटों का इस्तेमाल शिष्ट (और स्वच्छ) माना जाता है।
  • घर पर या घर जैसी अंतरंग व्यवस्था में आमतौर पर उपर्युक्त का अपवाद बनाया जा सकता है।
अन्य बर्तन
  • अगर नूडल सूप परोसा जा रहा हो तो बहुत से लोग चीनी कांटो का इस्तेमाल करते हुए कटोरे में से सीधे मुंह में सुड़कने की बजाय पहले परोसे जाने वाले चम्मच में नूडल को उठाना और चम्मच से खाना सुरुचिपूर्ण मानते हैं।
  • परंपरागत रूप से चीनी लोग अपने बाएं हाथ में कटोरा रख कर चावल खाते हैं, बहरहाल इसे किसी भी कीमत पर शिष्टाचार का आचरण नहीं माना जा सकता. ऐसा माना जाता है कि ज़्यादातर लोग इसी तरीक़े से खाते हैं लेकिन यह क़तई खाने के सही तरीक़े का कोई संकेत नहीं है। चावल के कटोरे को मुंह तक ले जाया जाता है और चीनी कांटों की मदद से चावल को मुंह में डाल दिया जाता है। कुछ चीनी लोग कटोरे में से चम्मच लेकर चावल को निकालना अपमानजनक समझते हैं। अगर चावल थाली में परोसा गया हो, जैसा कि पश्चिम में आम प्रथा है, तो यह स्वीकार्य है और ऐसे में कांटे या चम्मच से खाना ज़्यादा व्यावहारिक है। अंगूठा हमेशा कटोरी के किनारे से ऊपर उठा होना चाहिए।

साझी तश्तरियों से खाना

  • तश्तरी में जो सबसे ऊपर और आपके सबसे पास रखा हो उसे उठाएं. कभी भी अपना पसंदीदा खाना उठाने के लिए तश्तरी में रखें खाने को उथल-पुथल न करें और न ही अपने से बहुत दूर रखे सामान को उठाएं.
  • आम तौर पर रूढ़ीवादी चीनी लोग अपनी कटोरी या थाली में एक या दो निवालों से ज़्यादा उठाने को बुरा समझते हैं, मानों आप पश्चिमी तौर-तरीक़े से खा रहे हों. संक्रामक महामारियों के दौरान या यदि कोई व्यक्ति पश्चिम से आया हो तो ज़्यादातर चीनी लोग इससे गुरेज़ नहीं करते.
  • यदि चावल के कटोरे के अलावा थाली और तश्तरी दोनों उपलब्ध हों तो किसी खाद्य सामग्री को हरगिज़ परोसने की थाली में न रखें. विदेशियों को इस नियम की छूट दी जा सकती है।
  • अगर कोई पकवान शोरबे वाली हो तो परोसने के कटोरे को परोसने की थाली के समीप सरकाएं और भोजन को उठाने के लिए चीनी कांटों से उसकी दूरी को कम कर दें. मेज़ पर बहुत सारा सॉस गिरा देना एक भारी सामाजिक भूल है।
  • एक बार किसी खाद्य सामग्री को उठा लेने पर उसे वापस बर्तन में न रखें.

मेज़ पर वरिष्ठता और मेहमान

  • बुज़ुर्ग या सम्माननीय मेहमान सबसे पहले भोजन शुरू करते हैं।
  • सबसे छोटे या कम उम्र वाले को सर्वप्रथम सबसे बुज़ुर्ग या सबसे वरिष्ठ को भोजन परोसना चाहिए। इसे बुजुर्गों की इज्ज़त करने का एक कन्फ्युशीयन मूल्य माना जाता है।
  • भोजन शुरू करने से पहले मेज पर बैठा सबसे कम उम्र का सदस्य सबसे बुज़ुर्ग सदस्य को संबोधित करते हुए मदद करने के संकेत के रूप में संभवतः यह कहता है कि कृपया "चावल ग्रहण करें".
  • किसी तश्तरी में सबसे उत्तम भोजन को बुज़ुर्गों, बच्चों या सम्माननीय मेहमानों के लिए छोड़ देना चाहिए, भले ही वह आपका पसंदीदा खाना हो.
  • उपस्थित ज्येष्ठतम व्यक्ति या सम्माननीय अतिथि को दरवाज़े की ओर सम्मुखीन आसन पर बिठाया जाता है।
  • जब मेज़बान यह कहें कि खाना उतना स्वादिष्ट नहीं बना है तो मेहमान को उससे असहमति प्रकट करते हुए कहना चाहिए कि वह आज तक चखे गए सबसे स्वादिष्ट भोजन में से एक है।

पेय

  • मेज़बान को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी का भी प्याला ज्यादा देर तक खाली न रहे. अपना प्याला ख़ुद नहीं भरना चाहिए, लेकिन अगर प्यास लगी हो तो पहले अपने पड़ोसी के लिए भरना चाहिए। जब आपका पेय ढ़ाला जा रहा हो तो आपको "शुक्रिया" कहना चाहिए, एवं/या अपनी तर्जनी और मध्यमा से प्रशंसा में मेज़ थपथपाना चाहिए, ख़ास तौर पर यदि आप दक्षिणी चीन, मसलन गुआंगडौन्ग प्रांत, में हों तो. यह क्रिया सर झुकाने का प्रतीक है।
  • जब लोग जश्न के रूप में एक साथ पीना चाहते हैं तो यह पालन करना महत्वपूर्ण है कि युवा सदस्य बड़ों के प्रति सम्मान जताने के लिए अपने ग्लासों को अपने बड़ों के ग्लासों से नीचे रखें.
  • बाईजो ["बाई जो" के रूप में उच्चरित] नामक शराब लगभग पूरे भोजन के दौरान परोसी जाती है; और मेजबानों के लिए रिवायत है कि वे मेहमानों को "दोस्ती दिखाने" के लिए पीने का आग्रह करें. अगर मेहमान न पीना चाहें तो वे कह सकते हैं "मैं पी नहीं सकता, लेकिन पूछने के लिए शुक्रिया." [मंदारिन में: "Wo bu neng he jiu, xie xie." {व्हो बू नंग हुह जो} ] मेज़बान मेहमान को आग्रह करते रह सकता है और मेहमान भी आग्रह करते रहने पर उसी तरह "असमर्थता" ज़ाहिर करते रह सकते है। मेज़बान का यह आग्रह उसकी उदारता का परिचायक है। अतः, मेहमान का इनकार भी अत्यंत विनम्र होना चाहिए। सावधान: अगर कोई मेहमान अपने किसी अधीनस्थ के साथ मेज़ पर पी रहा हो तो उससे यह उम्मीद [ज़बरदस्ती नहीं] की जायेगी कि वह उस शराब का एक प्याला उस मेज़ पर बैठे हर वरिष्ठ व्यक्ति के साथ पीये, संभवतः अन्य मेजों पर भी - अगर मेहमान निकल न चुका हो तो.

धूम्रपान

  • चीन में धूम्रपान एक अत्यंत प्रचलित आदत है, ख़ास तौर पर पुरुषों में. भोजन के दौरान मेज़बान कभी-कभी पूरे मेज़ पर बैठे सभी पुरुषों को सिगरेट बढ़ाता/बढ़ाती है। यदि कोई मेहमान धूम्रपान नहीं करना चाहे तो उसे विनम्रता से इनकार करना चाहिए। मंदारिन में व्यक्ति कह सकता है, "我不抽烟,谢谢" (वो बू चोउ यान, क्सी क्सी).

कारोबारी भोजन

  • कारोबारी भोजनों के दौरान तृप्त होकर भोजन न करना ही उचित है चूंकि उस वक़्त मिलने का मक़सद कारोबार होता है न कि भोजन.

विविध

  • पहले कुछ लोग खाने की मेज़ से कम से कम 1 मीटर (3 ची) की दूरी पर बैठते थे ताकि उनकी कुहनी दूसरे मेहमानों की कुहनियों से न टकरायें. आजकल विरले ही यह प्रथा मानी जाती है।
  • जब हड्डीयुक्त कोई भोजन खा रहे हों तो उन्हें अपनी प्लेट से सटाकर मेज़ पर रखना आम बात है। हड्डियों को फर्श पर थूकना कतई स्वीकारयोग्य नहीं है।
  • डकारना, चटखारे लेना या सुड़कना आम बात है।
  • पश्चिमी मानकों के अनुसार भोजन के दौरान बातचीत काफी ज़ोर और जोशपूर्ण होती है।
  • रेस्तराओं में कर्मचारियों के साथ बर्ताव कुछ हद तक "रूखा" होता है जिसमें मालिक बैरों को अक्सर 快点 (कुई दियां) कहते हैं, जिसका अर्थ है "जल्दी करो."
  • भरे मुंह से बात करना और कुहनियों को मेज़ पर टिकाकर भोजन करना, दोनों ही आम बातें हैं तथा मेज़ पर किसी मेहमान की थाली में से भोजन उठाकर चखना भी असामान्य नहीं है।[2]
  • आमतौर पर दाहिने हाथ से खाने की उम्मीद की जाती है। बाएं हाथ से व्यंजनों को बढ़ाना ठीक समझा जाता है।
  • खाने के लिए छूरी-कांटों का उपयोग न करना स्वीकार्य है और बहुधा अपेक्षित तक है, चूंकि भारतीय रोटी और सब्जी जैसे कई व्यंजन आमतौर पर इसी तरीक़े से खाए जाते हैं।
  • मेज़ पर बैठने से पहले हाथों को भली-भांति धो लें चूंकि कुछ भारतीय व्यंजन मुख्य रूप से हाथ से ही खाए जाते हैं। इसके अलावा खाने के बाद भी हाथ धोएं. आमतौर पर प्रत्येक व्यक्ति को उंगलियां पखारने के लिए एक कटोरा (गुनगुने पानी और नींबू के साथ) दिया जाता है।
  • उत्तर भारत में सब्ज़ी खाते समय उसके शोरबे को पूरी उंगलियों में नहीं लिपटने देना चाहिए - केवल उंगलियों के पोरों का इस्तेमाल होना चाहिए।
  • फुल्के, रोटी या नान जैसी सपाट रोटियां जब खाने में परोसी जाएं तो उनके टुकड़ों से खाने को समेटने और शोरबों तथा सब्ज़ियों में उन्हें तर करने की उम्मीद की जाती है और यह स्वीकार्य है।
  • दक्षिण भारत में खाना उठाने के लिए उंगलियों के दूसरे खंड (उंगली के बीच की हड्डी से लेकर पहली हड्डी) और अंगूठे के प्रथम खंड (डिस्टल फलान्क्स) तक का इस्तेमाल स्वीकार्य है। दक्षिण भारतीय संस्कृति में चार उंगलियों का प्रयोग केवल भोजन उठाने या खिलाने के लिए किया जाता है। अंगूठे से भोजन को मुंह के अन्दर धकेला जाता है। पांचों उंगलियों से खाने को मुंह में भरना असभ्यता माना जाता है।
  • एक बार खाना शुरू करने के बाद अपनी उंगलियों से किसी और की थाली में से भोजन निकालना अनुचित माना जाता है। इसके बजाय साझे बर्तन में से अपनी थाली में खाना लेने के लिए एक साफ़ चम्मच मांग सकते हैं।
  • हर पकवान को चखना ज़रूरी नहीं है लेकिन अपनी थाली में परोसे गए हर व्यंजन को समाप्त करना ज़रूरी है चूंकि यह सम्मानजनक माना जाता है। अतः अपनी थाली में उतना ही भोजन परोसें जितना आप खा सकते हैं।
  • चूंकि ज़्यादातर भारतीय व्यंजन हाथों से खाए जाते हैं, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि पानी का ग्लास गंदा न हो जाए.
  • जब तक सभी का खाना न हो जाये या मेज़बान अनुरोध न करे, मेज़ से न उठें. अगर उठना ज़रूरी हो तो उठने से पहले मेज़बान की अनुमति ले लें.
  • दक्षिण भारतीय भोजन गर्म पानी से धुले केले के पत्तलों पर परोसा जाता है। पत्ते के ऊपरी आधे हिस्से पर सब्जियां तथा दूसरे आधे हिस्से पर चावल, मिठाइयां और नमकीन परोसा जाता है।
  • भोजन हो जाने के उपरान्त केले के पत्ते को खुला नहीं छोड़ना चाहिए। इसके ऊपरी आधे हिस्से को निचले आधे हिस्से पर बंद करते हुए तह करना चाहिए। निचले हिस्से को ऊपरी हिस्से पर रखते हुए तह करना असम्मानजनक माना जाता है चूंकि ऐसा मृत्यु आदि जैसी गंभीर हालातों में ही किया जाता है जिसे कोई भी व्यक्ति दोबारा नहीं चाहेगा.
  • खाने के पात्र में चीनी कांटों को कभी भी खड़ा कर के न रखें चूंकि यह अपने पूर्वजों को भोजन परोसने का पारंपरिक तरीक़ा है।
  • खाने से पहले मेज़बान के तीन बार खाने का आग्रह करने का इंतज़ार करना चाहिए।
  • सलाद जैसे जातिगत व्यंजन लेने के लिए चीनी कांटो को उल्टा करना एक स्वीकार्य प्रथा है। बहरहाल इसे सिर्फ पुरुषों के जमावड़े या आकस्मिक परिस्थितियों में काफी औपचारिक तथा साथ ही जनानी आदत माना जाता है।
  • महिलाओं को थाली/कटोरे से चीनी कांटों में भरकर निवाला मुंह तक ले जाते समय निवाले के नीचे अपना दूसरा हाथ रखना चाहिए। पुरुषों को ऐसा नहीं करना चाहिए।
  • जातिगत भोजन या पीने के कार्यक्रम में उपस्थित सबसे छोटे व्यक्ति को पार्टी के दूसरे सदस्यों के लिए शराब डालना चाहिए और सबसे पहले वरिष्ठतम व्यक्ति को परोसना चाहिए। परोसने वालों को अपना पेय स्वयं नहीं बनाना चाहिए बल्कि साक़ी, बियर, वाइन या शराब की बोतल को मेज़ पर वापस रख देना चाहिए और किसी वरिष्ठ व्यक्ति द्वारा परोसे जाने का इंतज़ार करना चाहिए। लेने वालों को पेय ढालते वक़्त अपने हाथों में ग्लास/प्याला थाम कर रखना चाहिए।
  • व्यक्ति को उपलब्ध गर्म भापयुक्त तौलिये से हमेशा अपने हाथ (लेकिन चेहरा नहीं) साफ़ कर लेने चाहिए।
  • जापानी सूप कटोरे को मुंह से लगाकर पिया जाता है, चम्मच से क़तई नहीं. नववर्ष में परोसा जाने वाला पारंपरिक सूप ओ-ज़ोनी (o-zoni) इसका अपवाद है; नूडल्स के साथ रैमन जैसे बड़े कटोरों में परोसा जाने वाला सूप चीनी कांटो से खाया जा सकता है, हालांकि सूप कटोरे को मुंह से लगाकर ही पिया जाता है।
  • चीनी कांटों में उठाते वक़्त अगर कुछ अंश टेबल पर गिर पड़े तो दूसरे हाथ में थामे चावल के कटोरे से तरल पदार्थ को पकड़ सकते हैं। ज़रूरी है कि यह तरल पदार्थ वहां लगा न रहे, अतः बदरंग हुए चावल को खा लेना चाहिए। चावल (एक कटोरे में) को वैसा ही सफ़ेद रहना चाहिए जैसा कि परोसा गया हो.
  • परोसे गए प्रत्येक भोजन को लगभग एक ही समय में समाप्त करना विनम्र माना जाता है। यह सुझाव दिया जाता है कि पहले किसी पात्र से एक निवाला लें और फिर चावल का एक निवाला लें. फिर किसी और पात्र से निवाला लें और तब एक बार फिर चावल का निवाला लें और इसी तरह जारी रखें.
  • उडोन, रैमन या सोबा जैसे गर्मागर्म नूडलों को खाते समय सुड़कने की आवाज़ करना बिलकुल स्वीकार्य है, बल्कि इसे प्रोत्साहित ही किया जाता है। यह जापान का एक मानक आचरण है और जापानी ऐसा मानते हैं कि गर्म नूडल खाते समय हवा अन्दर लेना खाने के स्वाद को बढ़ाता है। बहरहाल सूप पीते समय किसी भी तरह की आवाज़ नहीं निकालनी चाहिए।
  • भोजन के दौरान विराम लेते समय अपना चीनी कांटा उपलब्ध चीनीकांटादान (हाशी-ओकी) में रखना चाहिए। आमतौर पर यह हाशी ओकी लगभग चार सेंटीमीटर लम्बा एक सेरामिक आयताकार वाला होता है अथवा कुछ रेस्तराओं में एक अर्द्धाकर वाइन कॉर्क उपलब्ध होता है।
  • खाते समय चावल के कटोरे को एक हाथ में पकड़ना स्वीकार्य है।
  • चीनी कांटों को इस्तेमाल करने का इशारा नहीं करना चाहिए।
  • चीनी कांटों की एक जोड़ी से दूसरी जोड़ी में खाना नहीं डालना चाहिए। यह पद्धति केवल जापानी बौद्ध अंतिम संस्कार के दौरान अस्थियों को कलश में डालने के लिए ही अपनाई जाती है।
  • वाइन या बियर उड़ेलते समय हाथ में थामें बोतल से आगे की तरफ डालना चाहिए न कि पीछे की तरफ (हाथ के पीछे से होकर). इसे अपमानजनक समझा जाता है।
  • परंपरागत रेस्तराओं में व्यक्ति को सीज़ा में बैठना चाहिए। कम औपचारिक अवसरों पर टेलर शैली (भारतीय शैली) में या एक तरफ दोनों पैर जोड़ कर (केवल महिलायें) भी बैठा जा सकता है।
  • जापानी रेस्तराओं में बख्शीश देने का प्रचलन नहीं है।
सुशी (ख़ास तौर पर किसी रेस्तरां में)
  • यदि स्थिति अपेक्षाकृत रूप से अनौपचारिक हो तो सुशी को चीनी कांटों की बजाय उंगलियों से खाना स्वीकार्य है (यह किसी काईतेंजुशी में भोजन करते समय भी लागू है)
  • संभव हो तो सुशी के टुकड़ों और रोलों क खण्डों को एक ही निवाले में खा लेना चाहिए या जब तक समाप्त न हो जाय उसे हाथ में ही रखना चाहिए; आधे टुकड़े को थाली में वापस रख देना अशिष्ट माना जाता है।
  • निगिरी सुशी (चावल के ऊपर मछली) एवं माकी (रोल) को हाथों से खाना चाहिए; सशिमी (कच्ची मछलियों के टुकड़े) को चीनी कांटों से खाना चाहिए।
  • निगिरिज़ुशी खाते समय टुकड़े को ऊपर की तरफ से तर्जनी और अंगूठे से तथा किनारों पर मध्यमा से उठायें. मछली वाले हिस्से (नेटा) को शोयू में डुबायें न कि चावल वाले हिस्से को.
  • अगर आपको वासाबी पसंद है तो अपने शोयू में थोड़ा सा डाल लें. अपने शोयू में ज़रुरत से ज्यादा वासाबी मिलाना अशिष्ट और रसोइये की कला का अपमान माना जाता है। अगर रसोइये को ऐसा लगता है कि उस टुकड़े में वासाबी की बेहद अधिक मात्रा की ज़रुरत है तो वह खुद आपके लिए उसे मिला देगा।
  • अपने चीनी कांटों (ओहाशी) को एक दूसरे से रगड़ना बेहद अशिष्ट व्यवहार है, चूंकि इससे ऐसा लगता है मानों उस रेस्तरां में निम्न स्तर के चीनी कांटे प्रयोग में लाये जाते हों.
  • किसी सुशी बार का मध्यवर्ती स्थान (वह स्थान जहां रसोइया, या इतामे आपका भोजन रखता है) आपके और रसोइये के बीच की कड़ी मानी जाती है। इस स्तर से गेटा (लकड़ी की वह तश्तरी जिस पर रसोइया सुशी रखता है) हटाना बुरा माना जाता है। सुशी उठायें न कि तश्तरी.
  • एक मेहमान के तौर पर अगर आपको लगता है कि आप और खाना नहीं खा सकते, तो एक छोटा निवाला खा कर समाप्त करना या शालीनता से मना कर देना विनम्रता है।
  • याद रखें कि परंपरागत मलय तरीके के मुताबिक़ खाने के लिए हमेशा दाहिने हाथ का इस्तेमाल किया जाता है, बाएं हाथ का नहीं क्योंकि इसे अशुद्ध समझा जाता है।
  • सबसे पहले सबसे बुज़ुर्ग व्यक्ति को खाना परोसा जाता है (चाहे वह पुरुष हो या महिला).
  • दांत कुरेदते समय हमेशा अपना मुंह ढांप कर रखें.
  • छींकते और खांसते समय हमेशा अपना सर मेज़ से दूर हटा लें.
  • ऐसे अनुष्ठानों में जहां मेहमानों को फर्श पर बैठना हो, पुरुषों को पैर फैलाकर नहीं बल्कि पालथी मार कर बैठना चाहिए।
  • अपना पैर किसी दूसरे की तरफ कर के बैठना अभद्र समझा जाता है- अपना पैर उनसे दूर रखें.
  • पीना समाप्त हो जाने पर थोड़ा सा पेय ग्लास या कप में छोड़ देना चाहिए।
  • खाने के बाद अपनी थाली सूखी कभी न छोड़ें.
  • खाली थाली को कभी भी ठोकें या पीटें नहीं क्योंकि इसे अशिष्ट समझा जाता है।
  • एक बार थाली में कोई व्यंजन डाल लेने के बाद उसे वापस उसकी जगह पर न डालें.
  • मुंह में कौर भर कर बात न करें. ऐसा करना अशिष्ट माना जाता है।

पाकिस्तानी भोजन शिष्टाचार इस्लामी शिक्षाओं, दक्षिण एशियाई परंपरा और ब्रिटिश प्रभाव का एक मिश्रण है।

  • भोजन शुरू करने से पहले "बिस्मिल्लाह अर-रहमान अल-रहीम" कहें (उस अल्लाह के नाम पर जो सबसे ज़्यादा कृपालु और दयालु है).
  • बैठने से पहले हाथ अच्छी तरह से धो लें और मेज़बान की तारीफ करें.
  • जब आप छूरी कांटे से खा रहे हों, तो महाद्वीपीय शैली में कांटे को अपने बाएं हाथ में पकड़ें.
  • जब तक परिवार का सबसे बुज़ुर्ग व्यक्ति मेज़ पर न आये, खाना शुरू न करें.
  • खाना खाते वक़्त बैठने के लिये नीचे दस्तरख्वान (कपड़े का एक लम्बा टुकड़ा) बिछाया जाता है चूंकि फर्श पर बैठ कर भोजन करना विनम्रता माना जाता है।
  • रोटी (चपाती) मुख्य रूप से हाथ से ही खाई जाती है।
  • रोटी (चपाती) को दाहिने हाथ से खाने की कोशिश करें.
  • खाते वक़्त किसी और की थाली में न झांकें.
  • खाना इतनी जोर से न चबाएं कि उसकी आवाज़ दूसरों को सुनाई दे.
  • खाना मुंह बंद कर के चबाएं.
  • थाली में परोसा गया पूरा खाना खा लें; जूठन छोड़ देना बर्बाद करना समझा जाता है।
  • ऊपर से और परोसा गया भोजन खा लेना विनम्रता समझा जाता है।
  • अगर रोटी के साथ खाना खा रहें हों तो पहले उसे टुकड़ों में तोड़ लें.
  • खाने के बाद हमेशा "अल-हम्दु-लिल्लाह" (ईश्वर का शुक्रिया) कहें.
  • खाने के कक्ष की ओर जाने से पहले या खाना लेने से पहले किसी के आग्रह करने का इंतज़ार करें.
  • बैठने का स्थान दिखाए जाने का इंतज़ार करें. हो सकता है कि बैठने की कोई योजना हो.
  • परिवार के मुखिया, आम तौर पर पिता, या सम्माननीय अतिथि को मेज़ के सिरे पर बिठलाया जाता है।
  • खाने से पहले मेज़बान द्वारा शुरू करने के आमंत्रण का इंतज़ार करना विनम्र व्यवहार है।
  • जब कभी मेज़बान कोई व्यंजन चखने का आग्रह करे, तो उसे ठुकराना घोर अपमानजनक समझा जाता है।
  • अक्सर भोजन पारिवारिक शैली में या बुफे शैली में परोसा जाता है जहां आप अपना भोजन स्वयं परोसते हैं।
  • एक छूरी और कांटा खाने के ठेठ बर्तन हैं। कांटे को बाएं हाथ में पकड़ा जाता है और इसका प्रयोग खाने को दाहिने हाथ में पकड़े चम्मच तक खाना, ख़ास तौर पर चावल, ले जाने में होता है। अगर छूरी उपलब्ध न हो तो कांटे से खाने के टुकड़े किये जा सकते हैं, हालांकि इस पर कुछ लोग बिदक जाते हैं।
  • अनौचारिक व्यवस्था में हाथों से खाना स्वीकार्य और अधिक सामान्य है।
  • परोसने के लिए खाना आगे बढ़ाने से पहले आम तौर पर परिवार के मुखिया एक प्रार्थना करते हैं।
  • परोसने के लिए हमेशा कलछुल का प्रयोग करें.

मध्य और दक्षिण अमेरिका

ब्राज़ील

ब्राज़ील में मेज़बान मेहमानों को स्वयं परोसने का आग्रह करते हैं। अपनी थाली में ज़रुरत से ज्यादा नहीं परोसना चाहिए ताकि उसे पूरा समाप्त करना आसान रहे. थाली में खाना छोड़ देना गलत प्रभाव डालता है। मेज़ पर जाने से पहले हर बार हाथ धोये जाते हैं। कुछ पीने के बाद अपना मुंह पोंछ लें और कभी भी बोतल से सीधे मुंह लगाकर न पीयें. छूरी-कांटे का प्रयोग हमेशा किया जाता है, यहां तक कि पिज़्ज़ा के लिए भी.

चिली

  • परिवार के मुखिया, आम तौर पर पिता, या सम्माननीय मेहमान को आम तौर पर मेज़ के सिरे पर बिठलाया जाता है।
  • अपना रुमाल अपनी गोद में रखें और इसे अपना मुंह पोछने के काम में लायें. उसमें कभी अपनी नाक न झाड़ें.
  • व्यंजनों को बाईं ओर से परोसते हुए दाहिने ओर से हटा लेना चाहिए। जब तक मेज़ पर आपकी थाली में खाना न रख दिया जाए, उसे बाईं ओर से ही आना चाहिए।
  • मेहमानों को पहले खाना परोसना अच्छी शिक्षा का परिचायक है लेकिन यह बाध्यतामूलक नहीं है।
  • जब तक मेज़बान खाना शुरू न करे या आपको शुरू करने को न कहे, तब तक खाना शुरू न करें. जहां बहुत से लोग एक साथ खाने पर इकट्ठे हुए हों, दूसरों की थाली में खाना परोस दिए जाने पर खाना शुरू करना स्वीकार्य है।
  • खाना लेने के लिए कभी भी अपने हाथों का प्रयोग न करें, जब तक रोटी या शतावरी जैसे खानों को वैसे खाने की प्रथा न हो. अगर आपको चिकन, पिज़्ज़ा, एम्पनाडास (आम खाद्य) आदि खाने का मन हो तो केवल अनौपचारिक खाने पर ही अपनी उंगलियों का इस्तेमाल करें.
  • जब ब्रेड रोल खा रहें हों तो मक्खन लगाने से पहले उसके टुकड़े कर लें. अपनी छूरी का प्रयोग सिर्फ रोटी पर मक्खन लगाने के लिए करें, उसे काटने के लिए नहीं.
  • अपनी कुहनियों को मेज़ पर न टिकाएं.
  • अगर अपने लिए कोई पेय ले रहे हों तो स्वयं लेने से पहले अपने पड़ोसियों को पेश करें.
  • मेज़ पर फोन पर बातचीत करना अशिष्ट माना जाता है। अगर कोई ज़रूरी बात करनी हो तो माफी मांग कर बाहर चले जाएं.
  • अगर मेज़ से उठकर कहीं जाना हो तो हमेशा माफी मांग लें.
  • कभी भी किसी और की थाली पर न झुकें. अगर आपको कोई चीज़ लेनी हो, तो उस चीज़ के सबसे नज़दीक बैठे व्यक्ति से उसे बढ़ाने को कहें. अगर आपको कोई चीज़ बढ़ानी हो, तो तभी बढ़ाएं अगर आप उसके पास बैठे हों और हो सके तो उसे सीधे उन तक बढ़ा दें.
  • अपने पड़ोसी की थाली से खाना न लें और न ही ऐसा करने को कहें.
  • भोजन चबाते समय अपना मुंह बंद रखें और कौर निगलने के बाद ही बात करें. मुंह में कौर भर कर खाना या बात करना बुरा माना जाता है और अगर ऐसा करना बहुत ज़रूरी हो तो एक हाथ मुंह के सामने रख लें (ताकि मुंह से खाना बाहर न निकल आये) और छोटे-छोटे वाक्य ही बोलें.
  • अपने खाने को न सुड़कें और न ही जोर-जोर से खाएं.
  • अपने दांतों में फंसे खाने के टुकड़ों को अपने नाखूनों से या छूरी-कांटे से न कुरेदें.
  • थाली का पूरा खाना खा लें; जूठन छोड़ना बर्बाद करना समझा जाता है।
  • कभी भी अपने मुंह में छूरी से खाना न डालें.
  • जब तक आग्रह न किया जाए दुबारा भोजन लेना सही नहीं है।
  • जब तक ज़रूरी न हो, खाने के बारे में कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं करनी चाहिए (यथा:"खाने में नमक बहुत तेज़ है").
  • मेज़ पर डकारने, खांसने, उबासी लेने, या छींकने से बचना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं, तो "माफ़ कीजियेगा" कहिये.
  • अगर आप कटोरे या बड़े "सूप प्लेट" से सूप पी चुकें हों तो नीचे वाले सपाट प्लेट में चम्मच रखना चाहिए।
  • अगर छूरी उपलब्ध न हो तो कांटे से खाने के टुकड़े करने चाहियें.
  • अपने मुंह में ज़रुरत से ज्यादा खाना न ठूसें.
  • रसोइये की तारीफ करना स्वागतयोग्य है (अगर वह मेज़ पर उपस्थित हो). लेकिन अगर वह उपस्थित न हो, तो ऐसा करना ज़रूरी नहीं है।

यहां भोजन शिष्टाचार में ज़्यादातर यूरोपीय मानकों का पालन किया जाता है, हालांकि ठेठ व्यंजनों और स्थानीय परम्पराओं के मामलों में कुछ उलझनें भी हैं।

  • मछली के टुकड़ों को खा चुकने के बाद बचे हुए केविश नींबू के रस को ग्लास में डाला जा सकता है। इस स्वीकार्य प्रथा को "बाघ का दूध पीना" कहा जाता है, जो प्रश्नवाचक है क्योंकि पेरू में बाघ होते ही नहीं हैं। हो सकता है इसे जगुआर का दूध समझा जाता हो.
  • भोजन के बाद अंगड़ाई न लें.

यूरोप

  • कृपया और शुक्रिया कहना हमेशा याद रखें.
  • फ़्रांसिसी रोटी को हमेशा काटने की बजाय तोड़ते हैं। उसे सूप या सॉस में न डुबायें.
  • अपनी कुहनी मेज़ पर न टिकाएं.
  • कुछ और लेने से पहले थाली का पूरा खाना ख़त्म कर लें.
  • अपनी शराब में बर्फ न डालें. रेस्तराओं में शराब इष्टतम तापमान पर परोसी जानी चाहिए।
  • जब आप खा चुके हों तो छूरी-कांटों को अपनी थाली के बीचों-बीच समानांतर खड़ा कर के रखें ताकि बैरे को पता चले और वह थाली हटा ले. जब आप खाना खा रहे हों तो अपने छूरी-कांटों को अपनी थाली में विपरीत दिशाओं में रखें ताकि बैरे को यह संकेत मिले कि आप अभी थाली रखना चाहते हैं।
  • कांटा मुंह तक ले जाते वक़्त अपनी बांह का अगला हिस्सा मेज़ से उठायें.
  • स्विटज़रलैंड में रात्रि भोज पर आपसे ऍन समय पर पहुंचने की उम्मीद की जाती है।
  • स्विटज़रलैंड में जाम उठाते वक़्त अपना ग्लास ऊपर की ओर उठाकर रखें और पीने से पहले हर व्यक्ति की आंखों में देखें.
  • अगर आपको पनीर परोसा गया हो तो उसे बीच से काटना चाहिए (वैसे ही जैसे आप केक काटेंगे).
  • खाने के अंत में थोड़ा सा थाली में छोड़ देना विनम्रता माना जाता है। यह मेज़बान को यह जताना होता है कि आपका भरपूर सत्कार किया गया जिसकी आप सराहना करते हैं। इसके अलावा मेज़बान अक्सर मेहमानों को और खाना लेने का आग्रह करते हैं।
  • किसी और की थाली या तश्तरी में झांकना अनुचित समझा जाता है।
  • मेज़ से उठते समय रसोइये से उसकी प्रशंसा में "खाना अच्छा था" कहना न भूलें.
  • छोटे खानों को काटना नहीं चाहिए।
  • मेज़ पर कुहनी न टिकाएं.
  • कोई शोर-शराबा न हो.
  • आम तौर पर किसी को उबाऊ और अति औपचारिक नहीं होना चाहिए। खासतौर पर यदि भोजन किसी के घर पर रखा गया हो तो मिलनसारिता और तनावमुक्त व्यवहार शिष्टाचार से कहीं ऊपर आंका जाता है। मेहमान से यह उम्मीद की जाती है कि वह दावत में जान फूंक दे.
  • अपने मुंह में निवाला भर कर बात न करें.
  • जब एक साथ इस्तेमाल कर रहे हों तो कांटे को बाएं हाथ में और छूरी को अपने दाहिने हाथ में पकड़ें.
  • छूरी को उसके हत्थे से अपनी हथेली में रखकर पकड़ना चाहिए और दूसरे हाथ में कांटा उसके नोकों को नीचे की और रख कर पकड़ें.
  • खाने को ऍन मुंह में डालने से पहले "एक बार में एक कौर" तोड़ना चाहिए और तब खाना चाहिए। आप एक बार में खाने के बहुत से टुकड़े कर फिर उसे नहीं खा सकते.
  • अगर आप कोई मिठाई खा रहे हों तो कांटे को (अगर आपके पास हो तो) अपने बाएं हाथ में और चम्मच को दाहिने हाथ में पकड़ें.
  • अगर आप सूप पी रहे हों तो चम्मच अपने दाहिने हाथ में पकड़ें और कटोरे के सिरे को दूर रखें और सूप को अपने से दूर करते हुए चम्मच में उठायें. सूप के चम्मच को कभी भी मुंह में न डालें और सूप को चम्मच के किनारे से चुस्की लेकर पीना चाहिए उसके अंत से नहीं.
  • अपने कांटे में खाना धकेलने के लिए उंगलियों का प्रयोग स्वीकार्य नहीं है, न ही ज़्यादा से ज़्यादा खाद्य सामग्री उठाना. फल, रोटी, सैंडविच या बर्गर जैसी कुछ चीज़ें उंगलियों के इस्तेमाल से खाई जा सकती हैं और शतावरी आदि कुछ खानों को खाने के लिए तो उंगलियों का प्रयोग अनिवार्य है जिसे डुबाने के लिए परंपरागत रूप से किनारे में सॉस का बर्तन रखा जाता है।
  • अगर कईएक छूरी या कांटे हों तो बाहरी सेट से शुरुआत करें ताकि हर चीज़ परोस पायें.
  • पेय हमेशा बाईं ओर रखी रोटी की थाली के दाहिनी ओर होना चाहिए।
  • ब्रेड रोल खाते समय मक्खन लगाने से पहले उसके टुकड़े तोड़ लें. छूरी का प्रयोग सिर्फ रोटी पर मक्खन लगाने के लिए करें, उसे काटने के लिए नहीं.
  • जब तक मेज़बान न कहे खाना शुरू न करें. जब बहुत से लोग एक साथ खाने आयें हों, तो सबको परोसे जाने पर खाना शुरू करना स्वीकार्य है।
  • खाना हो जाने पर अपने छूरी-कांटे को एक साथ छह बजने की दिशा में बायीं ओर कांटा (नोक ऊपर की तरफ) और दाहिनी तरफ छूरी रखें. छूरी की धार अन्दर की ओर हो. यह खाना समाप्त हो जाने का संकेत है।
  • रुमाल में सिलवटें नहीं होनी चाहिए। न ही इसे करीने से तह करके रखना चाहिए क्योंकि इससे ऐसा लग सकता है कि मेज़बान उसे बिना धोये दोबारा इस्तेमाल करने की सोच सकता है - उसे बस साफ़-सुथरे तरीके से मेज़ पर रख छोड़ना चाहिए।
  • कभी भी रुमाल में अपनी नाक न झाड़ें. उसे अपनी गोद में रखें और उसे अपना मुंह पोंछने के काम में लायें.
  • मेज़ पर टेलीफोन का जवाब देना अशिष्ट माना जाता है। अगर कोई ज़रूरी फोन लेना हो तो माफी मांग कर बाहर चले जाएं.
  • जब भी मेज़ से उठना ज़रूरी हो तो हमेशा माफी मांगते हुए मेज़बान से अनुमति लें. जब तक आप अपने आसन पर वापस न लौटें, तब तक के लिए उस पर अपना रुमाल रख छोड़ें. जब भी कोई महिला मेज़ पर आये या मेज़ से उठ कर जा रही हो, तो उठ कर खड़े होना सभी सज्जनों के लिए आम शिष्टाचार माना जाता है।
  • अगर आपका मेज़ से उठ कर जाना ज़रूरी हो या आप विश्राम कर रहें हों तो आपका कांटा आठ बजने की दिशा में नोक (शूल) नीचे की ओर रखते हुए तथा आपकी छूरी चार बजने की दिशा में (धार अन्दर की ओर रखते हुए) रखना चाहिए। एक बार छूरी कांटे का इस्तेमाल हो जाने पर उसका दोबारा मेज़ से स्पर्श नहीं होना चाहिए।
  • खाना कांटे के पिछले हिस्से से आपके मुंह के अन्दर जाना चाहिए।
  • व्यंजनों को बाईं ओर से परोसना चाहिए और दाहिनी ओर से हटाया जाना चाहिए। जब तक खाना आपकी थाली में रखी न गयी हो, उसे बायीं ओर से आना चाहिए।
  • पेय दाहिनी ओर से परोसा जाना चाहिए।
  • कभी भी किसी और की थाली के ऊपर से नहीं झुकना चाहिए। अगर कोई चीज़ लेनी हो तो उसके नज़दीक बैठे व्यक्ति से मांग लें. अगर आपको कोई चीज़ बढ़ानी हो तो उसे तभी बढ़ाएं अगर आप उसके नज़दीक बैठ हों और हो सके तो सीधे उनके हाथों में बढ़ा दें.
  • नमक और काली मिर्च के डिब्बे एक साथ बढ़ाए जाने चाहिए।
  • कभी भी किसी पड़ोसी की थाली से खाना न उठायें और न ही उन्हें ऐसा करने को कहें.
  • मेज़ पर अपनी कुहनी क़तई न टिकाएं.
  • अगर आप अपने लिए पेय ढाल रहे हों तो स्वयं लेने से पहले अपने पड़ोसियों को पेश करें.
  • अगर मेज़ पर अतिरिक्त खाना रखा हो तो स्वयं लेने से पहले दूसरों से पूछ लें कि क्या वे कुछ और लेना चाहेंगे.
  • भोजन चबाते समय अपना मुंह बंद रखें और कौर निगलने के बाद ही बात करें.
  • अगला कौर लेने या कुछ पीने से पहले मुंह का पूरा निवाला निगल लें.
  • खाना सुड़कें नहीं या ज़ोर-ज़ोर से न खाएं.
  • कभी भी अपने नाखूनों से अपने दांत न कुरेदें.
  • अपनी थाली में परोसा गया पूरा खाना समाप्त करने की कोशिश करें.
  • सफ़ेद शराब के मामले में ग्लास को नली से और लाल शराब के मामले में कटोरे को पूरी हथेली से पकड़ना चाहिए।
  • यदि खाने के बाद तेज़ लाल शराब परोसी गयी हो तो उस शीशे की सुराही को अपने बाईं ओर बैठे व्यक्ति को बढ़ाना चाहिए, दायीं ओर क़तई नहीं.
  • कभी भी खाना चाक़ू से मुंह तक न ले जाएं.

उत्तरी अमेरिका

मेज़ सज्जा

  • रोटी या सलाद की प्लेट मुख्य थाली के बाईं ओर तथा पेय दाहिनी ओर होना चाहिए। अगर छोटी ब्रेड छूरी उपलब्ध हों तो उन्हें रोटी की थाली में हत्था दाहिनी ओर रखते हुए आर-पार रखना चाहिए।
  • औपचारिक रात्रि भोजनों के लिए 10 से 15 इंच का टेबल कवर का इस्तेमाल करना चाहिए जबकि जलपान, दोपहर के भोजन, तथा अनौपचारिक ब्यालू के लिए छोटी-छोटी दरी का इस्तेमाल किया जा सकता है।[3]
  • आधुनिक शिष्टाचार भोजन के लिए निम्नतम संख्या तथा प्रकार के बर्तन उपलब्ध कराता है। केवल उन्हीं बर्तनों को सजाना चाहिए जो सुनियोजित भोजन के लिए इस्तेमाल में लाये जाने वाले हों. यदि आवश्यक भी हो, तो मेज़बान को भोजन से पहले थाली के दोनों तरफ तीन बर्तनों से ज्यादा नहीं रखना चाहिए। यदि अतिरिक्त बर्तन की आवश्यकता हो, तो उन्हें बाद में परोसे जाने वाले व्यंजनों के साथ लाया जाना चाहिए। [4]
  • यदि भोजन के शुरुआत में सलाद परोसा जा रहा हो तो सलाद का कांटा बायीं ओर मुख्य भोजन के कांटे से आगे सरका कर रखना चाहिए। अगर सूप परोसा जा रहा हो तो चम्मच दाहिनी ओर छूरी से आगे बढ़ाकर रखना चाहिए। एक छोटे कांटे और चाय के चम्मच आदि मिठाई के बर्तनों को मुख्य थाली के ऊपर क्षैतिज आकार में रखना चाहिए (चम्मच का कटोरा बाईं ओर तथा कांटे की नोक दाहिनी ओर रखते हुए) या उन्हें मिठाई के साथ और भी औपचारिक तरीक़े से लाना चाहिए। सुविधा के लिए रेस्तराओं एवं भोज कक्षों में इन नियमों के पालन की छूट हो सकती है। इसके बजाय प्रत्येक सेट पर बर्तनों की एकरूपता बनायी जा सकती है।
  • यदि शराब की एक ग्लास और पानी का एक ग्लास रखा गया हो तो शराब की ग्लास को सीधे छूरी से ऊपर दाहिनी ओर रखा जाता है। पानी का ग्लास शराब के ग्लास के बाईं ओर 45 डिग्री के कोण में भोजन करने वाले के नज़दीक रखा जाता है।
  • यदि उपलब्ध हो तो शराब के कुछ प्रकारों के लिए निर्मित ग्लास रखे जा सकते हैं। यदि केवल एक ही प्रकार का ग्लास उपलब्ध हो, तो उसे सही समझा जाता है चाहे कोई भी शराब परोसी जाए.
  • मेज़बानों को हमेशा मेहमानों के लिए कपड़े के रुमाल रखने चाहियें. यदि कागज़ के रुमाल दिए गए हों, तो उन्हें कपड़े के रुमाल की तरह ही इस्तेमाल करना चाहिए और उसे गोल मोड़ना या फाड़ना नहीं चाहिए। रुमाल के छल्ले केवल उन रुमालों के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं, जिन्हें घर के लोगों द्वारा बार-बार इस्तेमाल किया जाना हो और इसलिए उन्हें मेहमानों के रुमालों के साथ इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि उन्हें ताज़ा धुले रुमाल ही दिए जाते हैं। रुमाल को थाली में या कांटों के बाईं ओर रखना चाहिए।
  • कॉफ़ी या चाय के कपों को टेबल सजावट के दायीं ओर रखना चाहिए, या यदि स्थान कम हो तो सजावट के ऊपर दायीं ओर रखना चाहिए। कप के हत्थे को दाहिनी तरफ रखना चाहिए।
  • दिन में भोजन करते समय मोमबती मेज़ पर नहीं होनी चाहिए, भले ही वह बुझी हुई हो.[5]

भोजन से पहले

  • पुरुषों की तथा उभयलिंगी टोपियां पहन कर मेज़ पर नहीं रहना चाहिए। दिन के वक़्त अगर दूसरों से मिलने जाना हो तो महिला टोपियां पहनी जा सकती हैं।[6]
  • किसी औपचारिक भोजन में बैठने से पहले भद्र पुरुष अपनी कुर्सियों के पीछे तब तक खड़े रहते हैं जब तक महिलायें आसन ग्रहण न कर लें.
  • कुछ घरों में प्रार्थना करने या आशीर्वाद लेने की प्रथा हो सकती है तथा मेहमान उसमें शामिल हो सकते हैं या सम्मानपूर्वक शान्ति बनाये रख सकते हैं। ज़्यादातर प्रार्थनाएं भोजन करने से पहले मेज़बान द्वारा की जाती हैं। भिन्न आस्थाओं वाले आमंत्रित मेहमानों के सामने मेज़बान को विस्तारित धार्मिक अनुष्ठान नहीं करना चाहिए।
  • जब तक (क) सभी को खाना न परोस दिया जाय, या (ख) जिन्हें न परोसा गया हो वो आपसे प्रतीक्षा न कर शुरू करने का आग्रह न करें, तब तक खाना शुरू नहीं किया जाता. अधिक औपचारिक अवसरों पर पूरा खाना एक ही समय में परोसना चाहिए तथा मेज़बान द्वारा शुरू करने के लिए कांटा या चम्मच उठाने की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
  • रुमाल गोद में रखे जाते हैं। औपचारिक अवसरों पर मेहमान तब तक रुमाल अपनी गोद में नहीं रखते जब तक मेज़बान अपना रुमाल अपनी गोद में नहीं रख लेता/लेती.
  • जब तक मेज़बान खाना शुरू करने के लिए कांटा या चम्मच हाथ में न उठा ले, तब तक इंतज़ार किया जाता है।
  • यदि सींक कबाब या केंकड़े जैसी चीज़ें खा रहे हों तो अनौपचारिक व्यवस्था में उंगलियों से ही खाया जाता है, जिससे खाने के अंश इधर उधर छिटक सकते हैं। ऐसे में वयस्कों को अपने गले में बिब या रुमाल अटकाकर रखना चाहिए। हाथ साफ़ करने के लिए गीले कपड़े या बड़े कागज़ के रुमाल दिए जाने चाहियें. औपचारिक व्यवस्था में बिब या रुमाल का इस्तेमाल अनुचित है तथा खाना रसोइये द्वारा पकाया जाना चाहिए ताकि उसे उपलब्ध बर्तनों के इस्तेमाल से आराम से खाया जा सके.
  • अगर किसी के खाने पीने पर प्रतिबन्ध हो, तो किसी निजी समारोह में मेज़बान द्वारा परोसे गए व्यंजनों से इतर कुछ खाने का अनुरोध करना ग़ैर संबंधियों के लिए अनुचित है।

भोजन करते वक़्त सामान्य शिष्टाचार

  • जब किसी पात्र में से कोई व्यंजन परोसी जाती है (पारिवारिक शैली में), परंपरागत तरीक़े में भी वही बात लागू होती है, तो मेज़बान या किसी कर्मचारी के हाथों खाना आगे बढ़ाया जाना चाहिए। अगर बढ़ा दिया गया हो तो आपको उसी दिशा में खाना आगे बढ़ाना चाहिए जिस तरह अन्य व्यंजन बढ़ाए जा रहे हैं। परोसने वाले पात्र को अपनी बाईं ओर रखें, थोड़ा सा लें और फिर उस बर्तन को अपने पास बैठे व्यक्ति को बढ़ा दें. आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि उस पात्र में कितनी मात्रा में कोई व्यंजन है और आपको उसी अनुपात में भोजन उठाना चाहिए ताकि सभी को थोड़ा-थोड़ा मिल सके. अगर आप कोई व्यंजन न लेना चाहें तो बिना कोई टिप्पणी किये उसे अगले व्यक्ति को बढ़ा दें. अगर एक ही व्यक्ति परोस रहा हो तो परोसने वाले को मेहमान से पूछना चाहिए कि क्या वे कोई व्यंजन लेना चाहेंगे. मेहमान "जी, ज़रूर" या "जी नहीं, शुक्रिया" कह सकते हैं।
  • परोसते वक़्त बाईं ओर से परोसना चाहिए और दाहिनी ओर से व्यंजन उठाना चाहिए। बहरहाल पेय को दाहिनी ओर से ही परोसना और हटाना चाहिए।
  • अपने सूप के चम्मच को स्वयं से दूर रखकर सूप में डुबायें. सूप बड़ी शांति से चम्मच के किनारे से पीयें. जब थोड़ा सा सूप रह जाए तो आप उस बर्तन को सामने की ओर से अपने खाली हाथ से हल्का सा उठायें ताकि अपने चम्मच से और सूप एक साथ उठा सकें.
  • अगर आपको अपने कांटे में खाना उठाने में दिक्कत आ रही हो, तो मदद के लिए रोटी के एक छोटे टुकड़े या अपनी छूरी का इस्तेमाल करें. कभी भी अपनी उंगलियों या अंगूठे का इस्तेमाल न करें.
  • आप कर्मचारियों को शुक्रिया कह सकते हैं या उनसे बात कर सकते हैं, लेकिन यह ज़रूरी नहीं है, खास तौर पर अगर आप दूसरों के साथ बातचीत में मशगूल हों.
  • अमेरिका में हर पेश की गयी चीज़ को न लेना और थाली में परोसी गयी हर चीज़ को ख़त्म न करना स्वीकार्य है। किसी को यह नहीं पूछना चाहिए कि उन्हें कोई व्यंजन क्यों नहीं चाहिए या उन्होंने अपना खाना पूरा ख़त्म क्यों नहीं किया।
  • खाने के बारे में या पेश किये गए उपलब्ध पकवानों के बारे में कोई नकारात्मक टिप्पणी नहीं होनी चाहिए।
  • अपना मुंह बंद कर चबाएं. खाते समय मुंह में कौर भर कर बात न करें या शोर या असामान्य आवाज़ न निकालें और न ही सुड़कें.
  • मेज़ से उठने से पहले "माफ कीजियेगा" कहें या कहें "माफ़ कीजियेगा. मैं बस अभी लौटता हूं." यह न कहें कि आप शौचालय जा रहे हैं।
  • ज़रुरत से ज़्यादा ऊंची आवाज़ में बात न करें. दूसरों को भी बातचीत करने का बराबर मौका दें.
  • मेज़ पर नाक झाड़ने से बचें. यदि ऐसा करना ज़रूरी हो तो माफी मांग कर मेज़ से हट जाएं.
  • मेज़ पर डकारने, खांसने, उबासी लेने, या छींकने से बचना चाहिए। यदि आप ऐसा करते हैं तो "माफ़ कीजियेगा" कहें.
  • अपनी कुर्सी पर बैठ कर कभी पीछे न झुकें, न ही टेक लगाएं.
  • अपने खाने या बर्तनों से "न खेलें". चांदी के बर्तनों को कभी न लहरायें या इंगित करें.
  • आप अपनी बांह या हाथ मेज़ पर रख सकते हैं पर कुहनी नहीं.
  • मेज़ पर कभी फोन पर बात न करें या सन्देश न भेजें या पढ़ने या निजी म्यूज़िक प्लेयर से संगीत सुनने जैसी ध्यान बंटाने वाली हरकतें ना करें. केवल नाश्ते के समय मेज़ पर अखबार पढ़ने की अनुमति होती है।[7] अगर कोई ज़रूरी मामला सामने आये तो माफी मांग कर मेज़ से दूर चलें जाएं ताकि आपकी बातचीत दूसरों की परेशानी का सबब न बने.
  • अगर किसी कारणवश मुंह से खाना उगलना हो तो यह उसी तरीक़े से करना चाहिए जैसे कि खाना मुंह के अन्दर डाला गया था, मसलन हाथ से, कांटे से आदि. मछली के कांटो को उंगलियों द्वारा मुंह से निकला जाता है।[8]
  • कुछ और लेने से पहले अपनी थाली में परोसा गया खाना समाप्त कर लें.
  • औपचारिक सामाजिक व्यवस्था में भद्र पुरुषों को किसी महिला के मेज़ से उठने पर या मेज़ पर दुबारा आने पर उठ खड़े होना चाहिए।
बर्तनों का उपयोग
  • ठोस आहारों को मुंह तक ले जाने के लिए कांटों का उपयोग किया जाता है। रोटी, शतावरी के डंठल, चिकेन के टुकड़े, पिज़्ज़ा आदि अनिवार्यतः हाथ से खाए जाने वाले भोजनों के अलावा उंगलियों का इस्तेमाल न करें.
  • बर्तनों से अनावश्यक शोर न करें.
  • कांटे को या तो अमेरिकी शैली में इस्तेमाल किया जा सकता है (काटते वक़्त कांटे को अपने बाएं हाथ में रखें; और उस टुकड़े को उठाकर मुंह में डालने के लिए दाहिने हाथ में बदल लें) या फिर यूरोपीय "महाद्वीपीय" शैली में (कांटा हमेशा बाएं हाथ में रखें). (कांटा शिष्टाचार देखें)
  • यदि छूरी रखने का स्टैंड न दिया जाय, तो इस्तेमाल न होने पर उसे अन्दर की ओर मुंह करके अपनी थाली के किनारे पर ही रखना चाहिए।
  • जब आप कटोरे या बड़े "सूप प्लेट" से सूप पी चुके हों तो चम्मच को नीचे वाली सपाट थाली में रखना चाहिए, यदि उपलब्ध हो तो.
  • जब सब कुछ परोसा जा चुका हो तो अपने चांदी के बर्तन को बाहर से मुख्य थाली की तरफ अन्दर की ओर करते हुए इस्तेमाल करें. मिठाई के बर्तन या तो मुख्य थाली के ऊपर रखे जाते हैं या मिठाई के साथ ही लाये जाते हैं।

भोजन के अंत में

  • जब आप भोजन कर चुके हों तो इस्तेमाल किये हुए सभी बर्तनों को दाहिनी ओर एक के ऊपर एक कर रखें ताकि बैरा यह समझ जाए कि आप खा चुके हैं। इस्तेमाल किये हुए बर्तनों को मेज़ पर न रखें.
  • सार्वजनिक रेस्तरां के अलावा किसी और जगह पर बिन खायी चीज़ों को या बचे खाने को घर ले जाने की बात न करें और औपचारिक रात्रि भोज में भाग लेने पर ऐसा कभी भी न करें. मेज़बान अतिरिक्त खाने को घर ले जाने की सलाह दे सकता/सकती है, लेकिन ज़ोर नहीं डालना चाहिए।
  • रुमाल को कुर्सी पर तभी छोड़ें यदि आप थोड़ी ही देर के लिए उठ रहे हों.[9] जब आप खा चुकने के बाद मेज़ से उठ रहे हों तो इस्तेमाल किये हुए रुमाल को मेज़ पर अपनी थाली के बाईं ओर रख छोड़ना चाहिए। [10]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. प्रशस्ति पत्र की जरूरत
  2. लिएस्बेथ होबर्ट केविन स्ट्राबे द्वारा हेट ब्युटेंलैंड में शिष्टाचार
  3. जुडिथ मार्टिन, प्रेस यूनिवर्सल सिंडीकेट द्वारा "मिस मैनर्स" सिंडिकेटेड कॉलम. 18 जून 2009
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जनवरी 2009.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 20 जुलाई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जुलाई 2012.
  6. "संग्रहीत प्रति". मूल से 22 जुलाई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2010.
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 जुलाई 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2010.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 13 अप्रैल 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2010.
  9. "संग्रहीत प्रति". मूल से 20 मार्च 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जून 2010.
  10. एमिली पोस्ट के शिष्टाचार: द डेफिनेटिव गाइड टू मैनर्स, पेगी पोस्ट द्वारा पूरी तरह से संशोधित और अद्यतन (हार्पर कोलिन्स 2004).

बाहरी कड़ियाँ

जापान

मलेशिया

अमेरिका

फिलिपिंस