भैरोंसिंह शेखावत
भैरोंसिंह शेखावत | |
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पद बहाल १९ अगस्त २००२ – २१ जुलाई २००७ | |
राष्ट्रपति | अब्दुल कलाम |
पूर्वा धिकारी | कृष्ण कान्त |
उत्तरा धिकारी | मोहम्मद हामिद अंसारी |
पद बहाल ४ दिसम्बर १९९३ – २९ नवम्बर १९९८ | |
राज्यपाल | बलि राम भगत दरबारा सिंह नवरंग लाल टिबरेवाल (कार्यवाहक) |
पूर्वा धिकारी | राष्ट्रपति शासन |
उत्तरा धिकारी | अशोक गहलोत |
पद बहाल ४ मार्च १९९० – १५ दिसम्बर १९९२ | |
राज्यपाल | सुखदेव प्रसाद मिलाप चंद जैन (कार्यवाहक) देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय स्वरूप सिंह (कार्यवाहक) मर्री चेन्ना रेड्डी |
पूर्वा धिकारी | हरी देव जोशी |
उत्तरा धिकारी | राष्ट्रपति शासन |
पद बहाल २२ जून १९७७ – १६ फ़रवरी १९८० | |
राज्यपाल | रघुकुल तिलक |
पूर्वा धिकारी | हरी देव जोशी |
उत्तरा धिकारी | जगन्नाथ पहाड़िया |
जन्म | २३ अक्टूबर १९२५ सीकर, ब्रिटिश राज (now भारत) |
मृत्यु | 15 मई २०१० जयपुर, भारत | (उम्र 86)
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी (१९८०–मृत्यु) |
अन्य राजनीतिक संबद्धताऐं | भारतीय जनसंघ (१९७७ से पहले) जनता पार्टी (१९७७–१९८०) |
जीवन संगी | श्रीमती सुरज कँवर |
धर्म | हिन्दू |
भैरोंसिंह शेखावत (२३ अक्टूबर १९२३ - १५ मई २०१०) भारत के उपराष्ट्रपति थे। वे १९ अगस्त २००२ से २१ जुलाई २००७ तक इस पद पर रहे। वे १९७७ से १९८०, १९९० से १९९२ और १९९३ से १९९८ तक राजस्थान के मुख्यमंत्री भी रहे। वे भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे।
भैरोंसिंह शेखावत का जन्म तत्कालिक जयपुर रियासत के गाँव खाचरियावास में हुआ था। यह गाँव अब राजस्थान के सीकर जिले में है। इनके पिता का नाम श्री देवी सिंह शेखावत और माता का नाम श्रीमती बन्ने कँवर था। गाँव की पाठशाला में अक्षर-ज्ञान प्राप्त किया। हाई-स्कूल की शिक्षा गाँव से तीस किलोमीटर दूर जोबनेर से प्राप्त की, जहाँ पढ़ने के लिए पैदल जाना पड़ता था। हाई स्कूल करने के पश्चात जयपुर के महाराजा कॉलेज में दाखिला लिया ही था कि पिता का देहान्त हो गया और परिवार के आठ प्राणियों का भरण-पोषण का भार किशोर कंधों पर आ पड़ा, फलस्वरूप हल हाथ में उठाना पड़ा। बाद में पुलिस की नौकरी भी की; पर उसमें मन नहीं लगा और त्यागपत्र देकर वापस खेती करने लगे।
स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात लोकतंत्र की स्थापना में आम नागरिक के लिए उन्नति के द्वार खोल दिए। राजस्थान में वर्ष १९५२ में विधानसभा की स्थापना हुई तो शेखावत ने भी भाग्य आजमाया और विधायक बन गए। फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा तथा सीढ़ी-दर-सीढ़ी चढ़ते हुए विपक्ष के नेता, मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति पद तक पहुँच गए।