भूप्रावार पिच्छक
1-भूप्रावार पिच्छक अथवा भूप्रावार पिच्छ (अंग्रेज़ी: Mantle plume) एक ऊष्मा के संकेन्द्रण द्वारा उत्पन्न अनियमितता है जो पृथ्वी के अन्दर भूप्रावार-क्रोड सीमा पर धटित होती है और इसके कारण चट्टानी पदार्थ गरम लपक के रूप में ऊपर उठता है। इसके होने की कल्पना सत्तर के दशक में की गयी जब प्लेट सीमाओं से इतर भागों में ज्वालामुखी के वितरण की व्याख्या की आवश्यकता पड़ी।
2-हाट स्पाट- भू-र्पपटी या प्लेट के नीचे मैण्टल मे कही-कही रेडियोधर्मी तत्वो की अधिकता के कारण भू-तापीय ऊर्जा (Geo-Thermal Energy) उत्पन्न हो जाती है। इस छेत्र को हाट-स्पाट कहा जाता है। जैसे-हवाई द्वीप के नीचे स्थित हाट-स्पाट। यहा ऊर्जा संवहनीय तरंगो द्वारा ऊपर उठती है, जो प्लेट की निचली सतह तक आती है। इस ऊपर उठती बेलनाकार तरंग को प्लूम कहा जाता है।