भारत में परिवहन
भारत में परिवहन के साधनों में सड़क, जल और वायु मार्ग द्वारा परिवहन शामिल है। अधिकांश भारतीय नागरिकों के लिए सड़क मार्ग परिवहन का प्राथमिक साधन है, और भारत की सार्वजनिक परिवहन प्रणालियाँ दुनिया में सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली प्रणालियों में से एक हैं।
भारत का सड़क नेटवर्क दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा और व्यस्ततम में से एक है, जो 2015 तक 8.225 अरब यात्रियों और सालाना 980 मिलियन टन से अधिक कार्गो का परिवहन करता है।[1] 2020 तक, भारत का रेल नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा और दूसरा सबसे व्यस्ततम रेल नेटवर्क है, जो सालाना 8.09 बिलियन यात्रियों और 1.20 बिलियन टन माल ढुलाई करता है।[2] भारत में विमानन मोटे तौर पर सैन्य और नागरिक उड्डयन में विभाजित है जो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ता विमानन बाजार है (आईएटीए डेटा)।[3] नदियों, नहरों, बैकवाटर और खाड़ियों के रूप में भारत का जलमार्ग नेटवर्क दुनिया का नौवां सबसे बड़ा जलमार्ग नेटवर्क है। भारत में जलमार्ग द्वारा माल ढुलाई का उपयोग बहुत कम है, अंतर्देशीय जलमार्गों द्वारा कुल माल ढुलाई (टन किलोमीटर में) भारत में कुल अंतर्देशीय यातायात का 0.1 प्रतिशत है।[4] कुल मिलाकर, लगभग २१ प्रतिशत घरों में दोपहिया वाहन हैं जबकि २०११ की जनगणना के अनुसार भारत में ४.७ प्रतिशत घरों में कार या वैन हैं।[5][6] भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग वर्तमान में 4.6 मिलियन से अधिक वाहनों के वार्षिक उत्पादन के साथ तेजी से बढ़ रहा है,[7] वार्षिक वृद्धि दर 10.5% के साथ और भविष्य में वाहन की मात्रा में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है।[8]
परम्परागत साधन
पैदल
प्राचीन काल में लोग लंबी दूरियाँ अधिकतर पैदल तय किया करते थे। उदाहरणार्थ, आदि शंकराचार्य ने पैदल पूरे भारत की यात्रा की थी। आज भी देश के ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में प्रतिदिन लोग कई किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर ही पूरी करते हैं।
मुंबई महानगर में, पैदल यात्रियों का पारगमन सुधारने के लिए, मुंबई महानगर विकास प्राधिकरण, ने मुंबई स्काइवॉक परियोजना के अर्न्तगत ५० से अधिक[10][11] पैदल पुलों का निर्माण कार्य आरंभ किया है।
पालकी
पालकी अमीरों और नवाबों का एक शानदार यात्रा का साधन था। पालकी शब्द संस्कृत 'पालकी' से आया है। तमिल में उसे 'पालाक्कु' कहतें हैं। पुर्तगाली पालकी को 'पालन क्वीम' बुलाते थे और अंग्रेजों उसे 'पालन क्वीन'। पुराने दिनों में इसका प्रमुख उपयोग देवता और मूर्तियों को ले जाना था। बाद में १५वीं सदी में, जैसा कि ज्ञात है, नवाब इसे यात्राओं के लिए उपयोग करते थे। अमीर परिवारों के लड़कियाँ, औरतों को पालकी में घुमाया जाता था और उनके अनुरक्षण के लिए पुरुष घोड़ों पर सवारी करते थे। धीरे धीरे जमींदार और राज-घराने के सदस्य भी इसका उपयोग करने लगे।
बैल गाड़ी एवं घोड़ा गाड़ी
बैलगाड़ियों का उपयोग पारंपरिक रूप से परिवहन साधन के रूप में किया जाता रहा है, मुख्यतः भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में। आज भी भारत के नगरों और ग्रामों में बैलगाड़ियां देखी जा सकती हैं। हाल ही के वर्षों में कुछ नगरों में दिन के समय बैलगाड़ियों और अन्य धीमे चलने वाले वाहनों के चलने पर प्रतिबंध लगाया है।
अंग्रेज़ों के आगमन के साथ ही घोड़ा गाड़ियों में बहुत से प्रबलतीव्र सुधार हुए हैं जिन्हें यातायात के लिए प्रारंभिक दिनों से उपयोग में लाया जा रहा है। आज भी, छोटे कस्बों में इनका उपयोग किया जाता है और इन्हें तांगा या बग्गी कहा जाता है। मुंबई में पर्यटकों को लुभाने के लिए विक्टोरिया काल की कुछ बग्गीयां अभी भी चलन में हैं लेकिन अब यह बग्गीयां भारत में कम ही पाई जाती हैं।
साइकिल रिक्शा
पिछली सदी के प्रारंभ से ही रिक्शे लोकप्रिय हैं और अभी भी भारत के ग्रामों और कई नगरों में चलन में हैं। यह तिपहिया साइकिल से आकार में बड़े होते हैं जिसमें दो या तीन लोग पीछे की ऊँची सीट पर बैठते हैं और एक व्यक्ति आगे की सीट पर बैठकर रिक्शा खींचता है। इसे चलाने के लिए साइकिल के समान ही पैडल पर बल लगाना पड़ता है। नगरीय क्षेत्रों में अब अधिकतर ऑटो रिक्शा ने इनका स्थान ले लिया है।
साइकिल
भारत में साइकिल का अर्थ दोपहिया सइकिल से होता है। यह अभी भी भारत में यातायात का प्रमुख साधन है। पहले से कहीं अधिक संख्या में आज भारत में लोग साइकिल खरीदने में समर्थ हैं। २००५ में, भारत के ४०% से भी अधिक परिवारों के पास कम से कम एक साइकिल थी। राज्यीय स्तर पर साइकिल स्वामित्व ३०% से ७०% के बीच है।
सड़कों के प्रकार [12]
सड़कों के निम्नलिखित प्रकार होते है।
- राष्टीय राजमार्ग
- राजकीय राजमार्ग
- जिला सड़क
- ग्राम सड़क
- अन्तर्राष्ट्रीय राजमार्ग
- एक्सप्रेस राजमार्ग
राष्टीय राजमार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण और देखरेख की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होती है। भारत की कुल सड़कों का 2.7 % राष्ट्रीय राजमार्ग है।भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग की लंबाई अप्रैल 2021 तक लगभग 150,000 किमी हो गई है। जो 2024 तक 200,000 किलोमीटर का लक्ष्य है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रखरखाव का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। NHAI, 1995 से कार्यरत है। देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा एक वृहत राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP) प्रारंभ की गई है।
राष्टीय राजमार्ग का प्रतिशत निम्नानुसार है (31 मार्च 2020 तक)
लेन | लंबाई का हिस्सा |
सिंगल-लेन / इंटरमीडिएट लेन | 20.49% |
डबल लेन | 55.05% |
चार लेन/छह लेन/आठ लेन | 24.46% |
स्वर्णिम चतुर्भुज
1999 से प्रारंभ की गई स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना देश की अब तक की सबसे बड़ी सड़क निर्माण परियोजना है। प्रथम चरण में दिल्ली के मध्य 6 लाइनों वाले सुपर राजमार्गों का विकास शामिल है इसकी लंबाई 5846 किलोमीटर है स्वर्णिम चतुर्भुज की चारों भुजाओं की लंबाई अलग अलग है दिल्ली- मुंबई 1419 किलोमीटर, मुंबई – चेन्नई 1290 किलोमीटर, चेन्नई- कोलकाता 1684 किलोमीटर तथा कोलकाता-दिल्ली 1453 किलोमीटर है।
राजकीय राजमार्ग
इन सड़कों का निर्माण एवं रखरखाव राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेश के नियंत्रण में होता है। यह सड़कें राज्य की राजधानियों को जिला मुख्यालयों एवं अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ती है।
जिला सड़कें
अधिकांश जिला सड़कें बड़े गांव को आपस में और जिला के प्रमुख स्थानों को जोड़ती हैं। इन सड़कों के निर्माण और देखरेख का जिम्मा जिला परिषद और PWD का है।
ग्राम सड़कें
ग्रामीण सड़कों का निर्माण और देखरेख ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता है। यह सड़कें साधारणतया पतली और टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं। यह सड़कें भारी वाहनों के लिए उपयुक्त नहीं होती हैं।
अंतराष्ट्रीय राजमार्ग
एशिया प्रशांत सामाजिक एवं आर्थिक आयोग (ESCAP) के समझौते के अंतर्गत कुछ देशों जिनके राजमार्ग पड़ोसी देशों को जोड़ते हैं उन्हें अंतरराष्ट्रीय सड़कों के रूप में घोषित किया गया है देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण एवं रखरखाव सीमा सड़क संगठन के द्वारा होता है। यह दो प्रकार के होते हैं।
- मुख्य राजमार्ग :- यह पड़ोसी देशों की राजधानियों को जोड़ते हैं जैसे लाहौर – अमृतसर – दिल्ली – आगरा – कोलकाता – गोलाघाट – इंफाल – मांडले (म्यांमार)
- वे सड़के जो प्रमुख शहरों और औद्योगिक केंद्रों और पत्तनोऺ को मुख्य राजमार्ग से जोड़ती हैं जैसे आगरा – मुंबई मार्ग
एक्सप्रेस राजमार्ग
सरकारी एवं माल की ढुलाई के लिए यह सड़कें सर्वोत्तम होती हैं। जो कई लेन में होती हैं। नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं
- दुर्गापुर कोलकाता एक्सप्रेस राजमार्ग
- मुंबई पुणे एक्सप्रेस राजमार्ग
- नोएडा आगरा एक्सप्रेस राजमार्ग
- मेरठ दिल्ली एक्सप्रेस राजमार्ग
- यमुना एक्सप्रेस वे – नोएडा से आगरा
- बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे – लखनऊ – प्रयागराज
सन्दर्भ
- ↑ "India Transport Sector". World Bank. मूल से 19 नवंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 सितंबर 2021.
- ↑ "Statistical Summary - Indian Railways" (PDF). Indian Railways. Government of India. 2019–2020.
- ↑ India crowned world's fastest growing aviation market in 2015 as economy takes off, The Telegraph, 1 January 2016.
- ↑ http://economictimes.indiatimes.com/news/politics-and-nation/government-groups-106-national-waterways-in-three-categories/articleshow/52190923.cms. गायब अथवा खाली
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(मदद) - ↑ "Motor Vehicle Writup – Statistical Year Book, India 2015" (PDF). Ministry of Statistics and Programme Implementation. 2015. पृ॰ 7. मूल (PDF) से 13 November 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 July 2016.
- ↑ "Bicycle Ownership in India". Bike-eu.com. मूल से 13 May 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 April 2010.
- ↑ "World Motor Vehicle Production by Country: 2008–2009". OICA.
- ↑ S. Kalyana Ramanathan. "India to top in car volumes by 2050". Rediff.
- ↑ John Pucher, Nisha Korattyswaropam, Neha Mittal, Neenu Ittyerah. "Urban transport crisis in India" (PDF). मूल से 14 मार्च 2007 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 12 मई 2009.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
- ↑ "MMRDA - Projects - Skywalk". MMRDA. मूल से 14 मार्च 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-03-24.
- ↑ S.Shanker (2008-11-23). "Mumbai pedestrians can walk safe in the sky" (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू बिज़नस लाइन. पृ॰ 1. मूल से 10 फ़रवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-03-24. author में
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अनुपस्थित (मदद) - ↑ Rana, Bhupendra (11/apr/2023). "भारत में परिवहन". Bloggingelite. मूल से पुरालेखित 11 अप्रैल 2023. अभिगमन तिथि 11/apr/2023.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: BOT: original-url status unknown (link)