संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, १९७६ |
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भारतीय संसद |
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भारतीय संविधान को संशोधित करने वाला अधिनियम |
प्रादेशिक सीमा | भारत |
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द्वारा अधिनियमित | लोक सभा |
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पारित करने की तिथि | 2 नवम्बर 1956 |
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द्वारा अधिनियमित | राज्य सभा |
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पारित करने की तिथि | 11 नवम्बर 1976 |
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अनुमति-तिथि | 18 दिसम्बर 1976 |
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शुरूआत-तिथि | 3 जनवरी 1977 |
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विधायी इतिहास |
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Bill introduced in the लोक सभा | संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) बिल, 1976 |
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बिल प्रकाशन की तारीख | 1 सितम्बर 1976 |
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द्वारा पेश | H. R. Gokhale |
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विधेयक में पेश किया राज्य सभा | Constitution (Forty-second Amendment) Bill, 1976 |
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बिल प्रकाशन की तारीख | 4 नवम्बर 1976 |
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कानून निरस्त |
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43rd and 44th Amendments |
सारांश |
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Provides for curtailment of fundamental rights, imposes fundamental duties and changes to the basic structure of the constitution by making India a "Socialist Secular" Republic. |
भारतीय संविधान का ४२वाँ संशोधन इन्दिरा गांधी के प्रधानमंत्रित्व वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा आपातकाल (25 जून 1975 – 21 मार्च 1977) के दौरान किया गया था। आधिकारिक रूप से इसका नाम 'संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, १९७६' है। [1] यह एक बहुत बड़ा संशोधन था और इसके अधिकांश संशोधन ३ जनवरी १९७७ से लागू हो गए। यह संशोधन भारतीय इतिहास का सबसे विवादास्पद संशोधन माना जाता है। विशेष बात यह है कि यह संशोधन इन्दिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के दौरान लाया गया था और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए लाया गया था। [2] इस संशोधन के द्वारा भारत के सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालयोंकी उन शक्तियों को कम करने का प्रयत्न किया गया जिनमें वे किसी कानून की संवैधानिक वैधता की समीक्षा कर सकते हैं। इस संशोधन को कभी-कभी 'लघु-संविधान' (मिनी-कॉन्स्टिट्यूशन) या 'कान्स्टिट्यूशन ऑफ इन्दिरा' भी कहा जाता है। [3]
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें