भारतीय वाद्य यंत्र
200 ईसा पूर्व से 200 ईसवीं सन् के समय में भरतमुनि द्वारा संकलित नाट्यशास्त्र में ध्वनि की उत्पत्ति के आधार पर संगीत वाद्यों को चार मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है:[1]
- 1. तत् वाद्य अथवा तार वाद्य
- 2. सुषिर वाद्य अथवा वायु वाद्य ( हवा के वाद्य )
- 3. अवनद्व वाद्य और चमड़े के वाद्य ( ताल वाद्य ; झिल्ली के कम्पन वाले वाद्ययंत्र )
- 4. घन वाद्य या आघात वाद्य ( ठोस वाद्य, जिन्हें समस्वर स्तर में करने की आवश्यकता नहीं होती। )
तारयुक्त वाद्ययंत्र
- बुलबुल तरंग
- दोतार, या दोतारा
- एकतारा
- गोपीचन्द या गोपीयन्त्र या खमक
- गोट्टुवाद्यम् या चित्रवीणा
- सन्तूर
- सरोद
- सितार
- सुरबहार
- सुरशृंगार
- Swarabat
- स्वरमण्डल
- तम्बूरा
- तुम्बी
- टुनटुन
- मगादि वीणा
- मोहन वीणा
- नकुल वीणा
- नन्दनी
- रूद्र वीणा
- सरस्वती वीणा
- विचित्र वीणा
वायु से बजने वाले वाद्ययंत्र
बाँसुरी
Free reed
Free reed and bellow
Brass
Other wind instruments
Percussion instruments
Membranophones
Hand drums
बला / tabl / chameli - goblet drum
ला]] |
Hand frame drums
- Daff, duff, daf or duf - medium or large frame drum without jingles, of Persian origin
- Dimdi or dimri - small frame drum without jingles
- Kanjira - small frame drum with one jingle
- Kansi - small without jingles
- Patayani thappu - medium frame drum played with hands
Stick and hand drums
Stick drums
- Chande
- Nagara - pair of kettledrums
- Pambai - unit of two cylindrical drums
- Parai thappu - medium frame drum played with two sticks
- Sambal
- Stick daff or stick duff - daff in a stand played with sticks
- Tamak'
- Tasha - type of kettledrum
- Urumee
Idiophones
- चिमटा - fire tong with brass jingles
- Chengila
- Elathalam
- Geger - brass vessel
- घटम और मटकम (Earthenware pot drum)
- घुंगरू
- Khartal or Chiplya
- मंजीरा या झांझ या ताल
- Nut - clay pot
- शंकरजंग - lithophone
- Thattukazhi mannai
Melodic
- जल तरंग, पानी के साथ सिरेमिक कटोरे
- काँच तरंग, एक का प्रकार ग्लास हार्प
- काष्ठ तरंग, एक का प्रकार जेलोफोन
- लोह तरंग,धातु प्लेटों का एक सेट
एलेक्ट्रानिक
- एलेक्ट्रॉनिक तानपुरा
- तालमीटर
सन्दर्भ
- ↑ भारत के संगीत वाद्य Archived 2017-02-11 at the वेबैक मशीन (सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र)