भारतीय लोक सेवा
भारतीय लोक सेवा (अंग्रेज़ी- Indian Civil Service, ICS/आई॰सी॰एस॰), जिसे 19वीं सदी में इंपीरियल सिविल सर्विस (शाही लोक सेवा) कहा जाता था, 1858 और 1947 के बीच ब्रिटिश भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का सर्वोच्च सार्वजनिक कार्यालय था।
इसके सदस्यों ने उस समय भारत की लगभग 30 करोड़ [1] जनता को प्रशासित किया। वे ब्रिटिश भारत के 250 जिलों में सरकारी गतिविधियों की निगरानी के लिए जिम्मेदार थे। उन्हें यूनाइटेड किंगडम की संसद द्वारा अपनाया गया भारत सरकार अधिनियम 1858 [2] [3], धारा 32 के अनुसार नामित किया गया था। ICS का नेतृत्व भारत सरकार के सचिव (सेक्रेटेरी अव स्टेट) करते थे।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे डेविड लौय्ड जार्ज ने ICS को भारत में ब्रिटिश राज की नींव बताते हुए कहा था कि "यह इस पूरे ढाँचे का स्टील फ़्रेम है"।
चूँकि यह काडर भारत में ब्रिटिश राज को स्थापित और सुरक्षित करने के लिए बनाया गया था, शुरू में केवल अंग्रेज़ ही इसके सदस्य बन सकते थे। बाद में भारतीयों को भी इसकी इजाज़त मिल गई। ICS एक तरह का अभिजात वर्ग माना जाता था, और इसका सदस्य बनना काफ़ी गर्व की बात होती थी।
भारत में राज को बनाए रखने की इनकी मंशा के कारण इसके स्वतंत्रता सेनानियों से काफ़ी मतभेद रहे। पंडित नेहरू ने इसकी भर्त्सना करते हुए कहा था कि "इंडियन सिविल सर्विस न तो इंडियन है, न सिविल है, और न ही सर्विस है"। आज़ादी के बाद इसके सदस्य भारत और पाकिस्तान में बँट गए, और इसके सारे अंग्रेज़ सदस्य वापस इंग्लैंड चले गए।[4] किंतु आज़ादी के बाद नेहरु जी ने इसे कुछ मामूली बदलाव (जैसे इसका नाम बदलकर भारतीय प्रशासनिक सेवा कर देना) करके अपना लिया। देश के स्वाधीन होने के तुरंत बाद उसके एकीकरण में इस प्रशिक्षित सिविल सर्विस ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसी योगदान को मद्देनज़र रखते हुए सरदार पटेल ने स्पष्ट रूप से यह कहा था कि भारत को एकजुट रखना भारतीय प्रशासनिक सेवा के बग़ैर नामुमकिन होता।
सूत्र
संदर्भ
- ↑ Dewey 1993
- ↑ "The Indian Civil Service" (अंग्रेज़ी में). मूल से 3 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 septembre 2014.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "Administering India: The Indian Civil Service" (अंग्रेज़ी में). मूल से 14 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 septembre 2014.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ Surjit Mansingh, The A to Z of India (2010), pp 288–90
ग्रन्थसूची
- Nojeim, Michael J. (2004). Gandhi and King: The Power of Nonviolent Resistance. Greenwood. मूल से 10 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अगस्त 2019.
- Dewey, Clive (1993). Anglo-Indian Attitudes: Mind of the Indian Civil Service. A&C Black. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-8264-3254-4.
- Wainwright, A. Martin (2008). 'The better class' of Indians: social rank, imperial identity, and South Asians in Britain, 1858–1914. Manchester U.P. मूल से 10 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अगस्त 2019.