भाई (1997 फ़िल्म)
भाई | |
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चित्र:Bhai46.jpg नाटकीय रिलीज पोस्टर | |
निर्देशक | दीपक शिवदासानी |
कहानी | कादर खान |
निर्माता | दीपक शिवदासानी |
अभिनेता | सुनील शेट्टी पूजा बत्रा सोनाली बेंद्रे कुणाल खेमू |
छायाकार | समीर रेड्डी |
संपादक | वी.एन. मयकर |
संगीतकार | आनंद-मिलिंद संदीप चौटा (पृष्ठभूमि संगीत) |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई | 152 मिनट्स |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कुल कारोबार | 8,40,00,000/-[1] |
भाई 1997 की एक भारतीय हिंदी गैंगस्टर ड्रामा एक्शन फिल्म है, जो दीपक शिवदासानी द्वारा निर्देशित है[2], और कादर खान द्वारा लिखित है। इसमें सुनील शेट्टी, पूजा बत्रा, सोनाली बेंद्रे और आशीष विद्यार्थी ने मुख्य भूमिकाएँ निभाईं। इसे औसत समीक्षा से ऊपर प्राप्त हुई और बॉक्स ऑफिस पर एक आश्चर्यजनक सफल रहीं।
शाहरुख खान की दिल तो पागल है, नाना पाटेकर की गुलाम-ए-मुस्तफा और डेविड धवन की दीवाना मस्ताना के साथ दिवाली पर रिलीज हुई फिल्म।
फिल्म राजशेखर, रोजा सेल्वमनी और गौतमी अभिनीत तेलगु फिल्म अन्ना की रीमेक है।
कहानी
पहाड़ी गाँव के इलाकों में भ्रष्ट पुलिसकर्मियों और कानूनविदों के हमलों का सामना करते हुए, कुंदन (सुनील शेट्टी) अपने छोटे भाई किसना (कुणाल खेमू) के साथ मुंबई जाने का फैसला करता है। जहां ईमानदार वकील सत्यप्रकाश (ओम पुरी) और उनकी बेटी पूजा (पूजा बत्रा) और मीनू (सोनाली बेंद्रे) उनकी मदद करते है। कुंदन को जल्द ही एक ऑटो चालक की नौकरी मिल जाती है, और किसना को स्कूल भेजना शुरू कर देता है। जल्द ही वे अपनी जीवनशैली बदल लेते हैं और शहरवासी बन जाते हैं। डॉन डेविड (आशीष विद्यार्थी) और मलिक (राजेंद्र गुप्ता) शहर के कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं, जो सत्ता में आने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और भ्रष्ट मंत्री अपने लाभ के लिए दोनों का समर्थन करने की कोशिश करते हैं।
डेविड के आदमियों द्वारा सत्यप्रकाश की हत्या की जाती है। कुंदन का भाई किसना, सत्यप्रकाश की हत्या का गवाह बनता है। जब डेविड को पता चलता है कि किसना गवाह बन गया है, तो उसने अपने लोगों को किसना की हत्या करने के लिए भेजकर, उसे मार डालता है। क्रोधित और हताश हो कुंदन बदला लेने की सोचता है, और वह वह एक के बाद एक डॉन के आदमियों की हत्या करने लगता है। उसे ईमानदार पुलिस इंस्पेक्टर ललित कपूर (कादर खान) और दोस्तों (शक्ति कपूर) सहित पूरे इलाके का समर्थन प्राप्त हो जाता है। जब मलिक उसे डेविड के खिलाफ उसका समर्थन करने के लिए उसके पास आता है तो वह उसे भी वह उसे भी स्वीकार नहीं करता है।
जल्द ही कुंदन "भाई" बन जाता है, एक ऐसा डॉन जो सभी से प्यार और सम्मान करता है। वह पूजा से शादी कर लेता है और उनका एक बेटा है जिसे वे किसना नाम देते हैं। लेकिन पूजा कुंदन की गतिविधियों से खुश नहीं रहती है, क्योंकि उसे लगता है कि यह उसे और उसके परिवार दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है। मीनू, कुंदन के सभी गतिविधियों में उसका साथ देती है। कुन्दन के दुश्मन उससे बदला लेने के मौके मे रहते है, मन्त्री इंस्पेक्टर ललित को दूसरे इलाके में स्थानांतरित कर देता है। मलिक और डेविड अब कुंदन को खत्म करने के लिए मन्त्री के साथ मिल जाते है। एक अवसर पर, जब किशन को कुंदन के दोस्तों और मीनू द्वारा अस्पताल ले जाया जाता है, तो उन सभी पर हमला हो जाता है और उनकी हत्या कर दी जाती है, लेकिन गणेश (मोहन जोशी) घायल अवस्था में किशन को बचा उसे कुंदन को सौंप मर जाता है।
कुंदन को हत्या के झूठे आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उसके दुश्मन उसे जंगलों पर ले जाकर और उसे खत्म करने की योजना बनाते हैं, संयोगवश, कुंदन उन्ही जंगलों का रहने वाला होता है, जहां से वह शहर आया था। पुलिस की जीप बैठे कुंदन भागने की चेष्ठा से हाथापाई करता है और जंगल में झरने के माध्यम से नदी में बहा देता है। मलिक, डेविड, मन्त्री और अन्य भ्रष्ट पुलिस कुंदन की तलाश में निकलते है, दुर्भाग्य से ललित उस क्षेत्र के प्रभारी निरीक्षक के रूप में आता है। ललित को कुंदन मिल जाता है और वह उसकी मदद करता है। कुंदन सभी गुंडों को जंगल की ओर ले जाता है जिसे वह अच्छी तरह से जानता है, और उन्हें एक-एक करके खत्म कर देता है, यहां तक कि उसे गोली मारने की कोशिश कर रहा और मन्त्री को ले जा रहे हेलीकॉप्टर में भी विस्फोट कर देता है। सब खत्म होने के बाद, कुंदन ललित को आत्मसमर्पण कर देता है।
कलाकार
- सुनील शेट्टी -कुंदन के रूप में
- पूजा बत्रा -पूजा के रूप में
- सोनाली बेंद्रे -मीनू के रूप में
- ओम पुरी -एडवोकेट सत्यप्रकाश के रूप में
- कादर खान -इंस्पेक्टर ललित कपूर के रूप में
- शक्ति कपूर -भरत के रूप में (डाकिया)
- कुणाल खेमू -किसना के रूप में
- आशीष विद्यार्थी -डेविड के रूप में
- ललिता पवार -सत्यप्रकाश की माँ के रूप में
- इशरत अली -मन्त्री के रूप में
- राजेंद्र गुप्ता -मलिक के रूप में
- मोहन जोशी -गणेश के रूप में
- मुश्ताक खान -एक प्रिंसिपल के रूप में
- दीपक शिर्के -इंस्पेक्टर खरे के रूप में
संगीत
आनंद-मिलिंद और समीर ने फिर से निर्देशक दीपक शिवदासानी के साथ मिलकर पहचान (1993) और गोपी किशन (1994) जैसी फिल्मों में सफल गीतों की रचना की।
गाने
# | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1 | "कट्टी बट्टी" | उदित नारायण, आदित्य नारायण | 05:42 |
2 | "सारे मोहल्ले में" | विनोद राठौड़, साधना सरगम | 05:05 |
3 | "खुल गया नसीब" | अभिजीत, आदित्य नारायण, चंदना दीक्षित | 05:28 |
4 | "मुझे इक बार" | अभिजीत, पूर्णिमा | 05:39 |
5 | "हुस्न तुम्हारा" | उदित नारायण, अलका याग्निक, शंकर महादेवन | 05:55 |
6 | "सजना सजनी" | सुरेश वाडकर, साधना सरगम | 08:11 |
सन्दर्भ
- ↑ "भाई १९९७ फ़िल्म". boxofficeindia.com. बॉक्स ऑफिस इंडिया. मूल से 5 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्टूबर 2019.
- ↑ "बॉलीवुड एमडीबी - भाई १९९७ फ़िल्म". /www.bollywoodmdb.com. बॉलीवुड एमडीबी. मूल से 10 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्टूबर 2019.
बाहरी कड़ियाँ
- Bhai at the Internet Movie Database।