भविष्य विज्ञान
भविष्य विज्ञान अध्ययन के उस क्षेत्र को बोलते हैं जिसमें भविष्य में होने वाली घटनाओं और स्थितियों को समझने की कोशिश की जाती है। इस अध्ययन में भिन्न दृष्टिकोणों को लिया जाता है। उदाहरण के लिए अतीत और वर्तमान की स्थितियों के आधार पर भविष्य में उत्पन्न होने वाली चीज़ों की भविष्यवाणी की जा सकती है, जैसे की "मूर नियम" (Moore's Law, मूर्ज़ लॉ) नामक सिद्धांत में अतीत में हुए विकास को देखते हुए इलेक्ट्रोनिक सूक्ष्मीकरण में आने वाले विकास के बारे में भविष्यवानियाँ की गई हैं।[1] या फिर कई संभावित घटनाओं की कल्पना की जा सकती है, ताकि उनसे निबटने की तैयारी की जा सके, जैसा की भूमंडलीय ऊष्मीकरण (ग्लोबल वॉर्मिंग) के सन्दर्भ में समुद्र सतह उठने से तटीय इलाक़ों को ख़तरे, हिमानियों के घटने से भारत-चीन में पानी को लेकर झड़पें और फ़सलों को नुकसान की संभावनाओं को परखकर किया जा रहा है। भविष्य विज्ञान में किसी मनचाहे ध्येय को लेकर परिस्थितियों को उसके अनुकूल बनाने के प्रयास को भी गिना जाता है, जैसे की कुछ पूंजीवादी अपना पैसा चिकित्सा, जीव-विज्ञान और अनुवांशिकी में लगा रहे हैं ताकि आगे चलकर इन सभी में विकास और तालमेल होने से मानव जीवन को १५० वर्ष या उस से भी अधिक करने के जुगाड़ बन सकें।
विशेषज्ञों और लेखकों में इस बात को लेकर मतभेद है के भविष्य विज्ञान वास्तव में विज्ञान है या कला।
अन्य भाषाओँ में
"भविष्य विज्ञान" को अंग्रेज़ी में "फ़्यूचरोलोजी" (futurology) कहते हैं।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Futurology[मृत कड़ियाँ]. Wordnet.princeton.edu.