भगत सधना
| भगत सधना | |
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|  सरहिंद स्थित भगत सधना की मस्जिद | |
| जन्म | 1180 हैदराबाद सिंध प्रान्त में सेहवन शरीफ़[1][2][3] | 
| मौत | सरहिंद, पंजाब, भारत | 
| पेशा | कसाई | 
| प्रसिद्धि का कारण | गुरु ग्रंथ साहिब का 1 पद्य। मुस्लिम विचार से गुरमत विचार स्वीकार किया। | 
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| सिख सतगुरु एवं भक्त | 
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| सतगुरु नानक देव · सतगुरु अंगद देव | 
| सतगुरु अमर दास · सतगुरु राम दास · | 
| सतगुरु अर्जन देव ·सतगुरु हरि गोबिंद · | 
| सतगुरु हरि राय · सतगुरु हरि कृष्ण | 
| सतगुरु तेग बहादुर · सतगुरु गोबिंद सिंह | 
| भक्त रैदास जी भक्त कबीर जी · शेख फरीद | 
| भक्त नामदेव | 
| धर्म ग्रंथ | 
| आदि ग्रंथ साहिब · दसम ग्रंथ | 
| सम्बन्धित विषय | 
| गुरमत ·विकार ·गुरू | 
| गुरद्वारा · चंडी ·अमृत | 
| नितनेम · शब्दकोष | 
| लंगर · खंडे बाटे की पाहुल | 
भगत सधना, जिन्हें सधना क़साई भी कहा जाता है, वो उत्तर भारतीय[1][2][3] कवि, संत, सूफ़ी और भक्तों में से एक जिनकी रचना गुरु ग्रन्थ साहिब में शामिल किये गये हैं। वो पंजाब क्षेत्र में मुख्यतः सिख और रविदासिया लोगों में पूज्य माने जाते हैं।[4] इन धर्मों के प्रचारक उनके भक्ति भजनों को उद्धृत करते हैं। उनका एक भजन राग बिलावल में आदि ग्रन्थ साहिब में उपस्थित है।[5]
सन्दर्भ
- ↑ अ आ Page 235, Selections from the Sacred Writings of the Sikhs- By K. Singh, Trilochan Singh
- ↑ अ आ Fareedkoti Teeka, Pundit Tara Singh Narotam
- ↑ अ आ Mahankosh, Kahn Singh Nabha
- ↑ Ravidasia Website
- ↑ Page 858, Adi Granth