ब्रिटिश राज के दौरान भारत में पड़ने वाले प्रमुख अकालों की समयसरेखा
ब्रिटिश राज के दौरान भारत में प्रमुख अकाल |
---|
|
यह ब्रिटिश राज के दौरान भारत में पड़ने वाले प्रमुख अकालों की समयसरेखा है। ये सन् 1765 से 1947 तक का कालखन्ड दर्शाती है। इसमें वे सभी अकाल शामिल हैं, जो इस कालखंड में भारतीय उपमहाद्वीप में घटित हुए- मसलन रियासतें (भारतीय शासकों द्वारा प्रशासित क्षेत्र), ब्रिटिश भारत (वे क्षेत्र जिनपर या तो 1765 से 1857 तक ईस्ट इंडिया कंपनी ने, या फिर 1858 से 1947 तक ब्रिटिश राज में ब्रिटिश क्राउन ने राज किया) और मराठा साम्राज्य जैसे ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र भारतीय क्षेत्र।
वर्ष 1765 को इसलिए प्रारंभिक वर्ष के रूप में चुना गया है क्योंकि उस वर्ष ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को, बक्सर की लड़ाई में उसकी जीत के बाद, बंगाल क्षेत्र की दीवानी (भूमि राजस्व के अधिकार) प्राप्त हुई थी। हालांकि कंपनी ने 1784 तक बंगाल पर सीधे तौर से राज नहीं किया, जब इसे इसे निज़ामत (क़ानून व्यवस्था पर नियंत्रण) प्राप्त हुई।
18वी सदी के अंत तक भारत का काफ़ी बड़ा हिस्सा ईस्ट इंडिया कंपनी के प्रत्यक्ष शासन या अप्रत्यक्ष प्रभाव के अधीन आ चुका था। जैसे-जैसे भारत में अंग्रेज़ों का प्रभाव बढ़ता गया, अकाल की घटनाएँ भी नाटकीय तौर पर बढ़ने लगीं, "पहले कंपनी राज में और फिर ब्रिटिश राज में"। वास्तव में, भारत पर ब्रिटिश शासन 1770 में बंगाल में अकाल के साथ शुरू हुआ और 1943 में बंगाल में अकाल के साथ ख़त्म हुआ।''[1]
वर्ष 1947 में ब्रिटिश राज को भंग कर दिया गया था और भारत और पाकिस्तान के रूप में दो अधिराज्य (dominion) नए उत्तराधिकारी राज्य बनकर स्थापित हुए।
समयसरेखा
भारत में 1765 और 1947 के बीच पड़ने वाले अकालों की कालानुक्रमिक सूची[2] | |||||
---|---|---|---|---|---|
वर्ष | अकाल का नाम | ब्रिटिश क्षेत्र | भारतीय राज्य / रियासतें | मृतकों की संख्या | मानचित्र |
1769–70 | बंगाल का भीषण अकाल | बिहार, उत्तरी और मध्य बंगाल | 1 करोड़[3] (तब की बंगाल की आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा)[4] | ||
1783–84 | चालीसा अकाल | दिल्ली, अवध, पूर्वी पंजाब क्षेत्र, राजपूताना, और कश्मीर | 1782-84 के दौरान 1 करोड़ 10 लाख मौतों का अनुमान है। कई बड़े क्षेत्रों की जनसंख्या घट गई थी।[5] | ||
1791–92 | खोपड़ियों वाला अकाल (दोजी बर/ स्कल फ़ैमिन) | मद्रास प्रेसीडेंसी | हैदराबाद, दक्षिणी मराठा देश, दक्कन, गुजरात और मारवाड़ | 1 करोड़ 10 लाख लोग मारे गए। मृतकों की संख्या इतनी अधिक थी कि बहुतों के दाह संस्कार तक नहीं किए जा सके। उनकी हड्डियों से जमीन और रास्ते सफेद दिखने लगे। इस लिए इसे अग्रेजी में स्कल फेमाइन (स्कल = खोपडी, फ़ैमिन = अकाल) कहा जाने लगा।[6] | |
1837–38 | १८३७-३८ का आगरा अकाल | उत्तर-पश्चिमी प्रान्त, आगरा प्रान्त, दिल्ली, हिसार | 8 लाख[7] | ||
1860–61 | १८६०-६१ का ऊपरी दोआब का अकाल | आगरा का ऊपरी दोआबा, दिल्ली, हिसार, पंजाब | पूर्वी राजपुताना | 20 लाख[7] | |
1865–67 | १८६५-६७ का उड़ीसा अकाल | उड़ीसा, बिहार, बेल्लारी, गंजम | 10 लाख (केवल ओडिशा में) और लगभग 40-50 लाख (सभी क्षेत्रों का कुल)।[8] | ||
1868–70 | १८६९ का राजपूताना अकाल | अजमेर, पश्चिमी आगरा, पूर्वी पंजाब | राजपूताना | १५ लाख (ज्यादातर राजपूताना रियासत में))[9] | |
1873–74 | १८७३-७४ का बिहार अकाल | बिहार | इस अकाल में बंगाल सरकार द्वारा किए गए राहत कार्य के कारण मृत्यु दर कम रही।[10] | ||
1876–78 | १८७६-७८ का बड़ा अकाल | मद्रास प्रेसिडेंसी और बॉम्बे प्रेसिडेंसी | मैसूर और हैदराबाद | 55 लाख ब्रिटिश क्षेत्र में मारे गए।[11] रियासतों की मृतक संख्या अज्ञात है, पर कुल अनुमान 61 लाख से 1 करोड़ 3 लाख तक जाता है।[12] | |
1896–97 | १८९६-९७ का भारतीय अकाल | मद्रास प्रेसिडेंसी, बॉम्बे प्रेसिडेंसी, दक्कन, बंगाल, संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, मध्य प्रांत और बरार।[13] | उत्तरी और पूर्वी राजपूताना, मध्य भारत और हैदराबाद के कुछ भाग | 50 लाख [14](10 लाख ब्रिटिश क्षेत्र में मारे गए।[15][a]) | |
1899–1900 | १८९९-१९०० का भारतीय अकाल | बॉम्बे प्रेसिडेंसी, मध्य प्रांत और बरार, अजमेर।[13] | हैदराबाद, राजपुताना, मध्य भारत, बड़ौदा, काठियावाड़, कच्छ | 10 से 45 लाख ब्रिटिश क्षेत्र में मारे गए,[18]रियासतों की मृत्यु दर अज्ञात।[b] | |
1943–44 | १९४३ का बंगाल का अकाल | बंगाल | भुखमरी से १५ लाख और कुल महामारी मिलाकर 21 से 35 लाख मौतें।[19] |
गैलरी
- 1800 से 1878 के बीच भारत में अकाल का नक्शा।
- 1876-78 के भीषण अकाल के दौरान बेल्लारी जिला, मद्रास प्रैज़िडन्सी, ब्रिटिश भारत में जानवरों की दुर्दशा (ग्राफिक मैगज़ीन)I
- 3 महीने के बच्चे के साथ अकाल पीड़ित माँ की तस्वीर। बच्चों का वजन 3 पाउंड है। फोटोग्राफर: डब्ल्यूडब्ल्यू हूपर (1876-78 का भीषण अकाल)
- १९४३ के बंगाल के अकाल के बाद बंगाल के भविष्य की कल्पना करता एक पोस्टर।
- सरकारी अकाल राहत अहमदाबाद, ल. 1901।
- इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़ का "फ़ैमिन इन इंडिया" (भारत में अकाल) फ्रंट कवर, 21 फरवरी, 1874।
- 1876-78 के भीषण अकाल के दौरान पाँच क्षीण बच्चे। फोटोग्राफर: डब्ल्यूडब्ल्यू हूपर।
- बंगाल स्पीक्स (1944) का एक चित्रण- बेघर लोग 1943 के बंगाल के अकाल के दौरान फुटपाथ पर भोजन करते हुए।
- बंगाल में अकाल: गंगा पर अनाज की नावें। इलस्ट्रेटेड लंदन न्यूज़, 21 मार्च, 1874।
- ग्राफिक, 27 फरवरी, 1897 ड्राइंग, शीर्षक "भारत में अकाल,", क्षीण ख़रीददार एक व्यापारी की दुकान से अनाज खरीदते हुए- भारत में बाज़ार का एक दृश्य।
- 1876-78 के भीषण अकाल में बंगलौर, भारत में क्षीण महिलाओं और बच्चों का एक समूह। फोटोग्राफर: डब्ल्यूडब्ल्यू हूपर।
- बंगाल स्पीक्स (1944) से चित्रण 1943 के बंगाल के अकाल में भुखमरी का घातक परिणाम।
- बेल्लारी, मद्रास प्रैज़िडन्सी, द ग्राफिक, अक्टूबर १८७७ में भीषण अकाल से सम्बंधित राहत-कार्य।
- अक्टूबर 1877 में अकाल के दौरान मद्रास प्रैज़िडन्सी के बेल्लारी ज़िले में दो बच्चे (ग्राफिक से उत्कीर्णन)।
- 1874 के बिहार अकाल के अकाल, और 1876-78 के भीषण अकाल से सम्बंधित टोकन।
- अकाल राहत शिविर, मद्रास प्रैज़िडन्सी, 1876-78 में "कुक्स रूम"। फ़ोटोग्राफ़र: डबल्यूडबल्यू हूपर।
- १८७३-७४ के बिहार अकाल के दौरान जरूरतमंदों को बहुत अधिक दान और आपूर्ति देने से चेताती हुई मिस प्रूडेंस (बुद्धि का मानवीय रूप), और मांग की उत्तरार्द्ध (Law of Supply and Demand) की अपनी स्वयं की व्याख्या करते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉन बुल (पंच से "मेंडिंग द लेसन" का कार्टून)।
- ब्रिटिश भारत में 1876-78 के भीषण अकाल के शिकार (1877 में चित्रित)। अंततः कुल 670,000 वर्ग किलोमीटर (257,000 वर्ग मील) क्षेत्र में अकाल पड़ा और 5,85,00,000 की कुल आबादी के लिए संकट का कारण बना। इस अकाल से मरने वालों की संख्या 55 लाख के आसपास होने का अनुमान है। [20]
और देखें
- भारत में अकाल # ब्रिटिश शासन
- भारत में कंपनी का शासन
- भारत में सूखा
- ब्रिटिश राज में परिवार, महामारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य
- अकाल की सूची
टिप्पणियाँ
- ↑ According to a 1901 estimate published in The Lancet, this and other famines in India between 1891 to 1901 caused 19,000,000 deaths from "starvation or to the diseases arising therefrom",[16] an estimate criticised by the writer and retired Indian Civil Servant Charles McMinn.[17]
- ↑ According to a 1901 estimate published in The Lancet, this and other famines in India between 1891 to 1901 caused 19,000,000 deaths from "starvation or to the diseases arising therefrom",[16] an estimate criticised by the writer and retired Indian Civil Servant Charles McMinn.[17]
संदर्भ
- ↑ Robins, Nick (2006). The Corporation that Changed the World: How the East India Company Shaped the Modern Multinational. London: Pluto Press. पपृ॰ 104-5. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0 7453 2524 6.
- ↑ Imperial Gazetteer of India, volume III 1907, पृष्ठ 501–502
- ↑ Cambridge 1983, पृष्ठ 528
- ↑ Cambridge 1983, पृष्ठ 299
- ↑ Grove 2007, पृष्ठ 80
- ↑ Grove 2007
- ↑ अ आ Fieldhouse 1996, पृष्ठ 132
- ↑ Cambridge 1983
- ↑ Imperial Gazetteer of India vol. III 1907
- ↑ Hall-Matthews 2008
- ↑ Fieldhouse 1996
- ↑ Davis 2001
- ↑ अ आ C.A.H. Townsend, Final repor of thirds revised revenue settlement of Hisar district from 1905-1910 Archived 2018-04-03 at the वेबैक मशीन, Gazetteer of Department of Revenue and Disaster Management, Haryana, point 22, page 11.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 जनवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020.
- ↑ Fieldhouse 1996, पृष्ठ 132
- ↑ अ आ The effect of famines on the population of India, The Lancet, Vol. 157, No. 4059, June 15, 1901, pp. 1713-1714;
Sven Beckert (2015). Empire of Cotton: A Global History. Random House. पृ॰ 337. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-375-71396-5. मूल से 12 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020.;
Davis, Mike (2001). Late Victorian Holocausts: El Niño Famines and the Making of the Third World. Verso. पृ॰ 7. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1859847398. - ↑ अ आ C.W. McMinn, Famine Truths, Half Truths, Untruths (Calcutta: 1902), p.87; According to the writer and retired Indian Civil Servant Charles McMinn, The Lancet's estimates were an overestimate based on a mistake in the population changes in India from 1891-1901. The Lancet, states McMinn, declared that the population increased only by 2.8 million for the whole of India, while the actual increase was 7.5 million according to him. The Lancet source, contrary to McMinn claims, states that the population increased from 287,317,048 to 294,266,702 (2.42%). Adjusting for changes in census tracts, the total population increase in India was only 1.49% between 1891 and 1901, a major decline from the decadal change of 11.2% observed between 1881 and 1891, according to The Lancet article in April 13, 1901. It attributes the decrease in population change rate to excess mortality from successive famines and the plague. See: The Census in India, The Lancet, Vol. 157, No. 4050, pp. 1107–1108
- ↑ Fieldhouse 1996, पृष्ठ 132
- ↑ Cambridge 1983, पृ॰ 531.
- ↑ Imperial Gazetteer of India vol. III 1907
आगे की पढाई
अकाल
- Arun Agrawal (2013), "Food Security and Sociopolitical Stability in South Asia", प्रकाशित Christopher B. Barret (संपा॰), Food Security and Sociopolitical Stability, Oxford: Oxford University Press, पपृ॰ 406–427, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-166870-8
- Appadurai, Arjun (1984), "How Moral Is South Asia's Economy?—A Review of Rural Society in Southeast India. by Kathleen Gough; Prosperity and Misery in Modern Bengal: The Famine of 1943-1944. by Paul R. Greenough; Subject to Famine: Food Crises and Economic Change in Western India, 1860- 1920. by Michelle B. McAlpin; Why They Did Not Starve: Biocultural Adaptation in a South Indian Village. by Morgan D. Maclachlan; Poverty and Famines: An Essay on Entitlement and Deprivation. by Amartya Sen" (PDF), The Journal of Asian Studies, 43 (3): 481–497, JSTOR 2055760, डीओआइ:10.2307/2055760, मूल (PDF) से 9 जुलाई 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Ambirajan, S. (1976), "Malthusian Population Theory and Indian Famine Policy in the Nineteenth Century", Population Studies, 30 (1): 5–14, JSTOR 2173660, डीओआइ:10.2307/2173660
- Arnold, David (2013), "Hunger in the Garden of Plenty: The Bengal Famine of 1770", प्रकाशित Alessa Johns (संपा॰), Dreadful Visitations: Confronting Natural Catastrophe in the Age of Enlightenment, Taylor & Francis, पपृ॰ 81–112, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-136-68396-1
- Arnold, David (1994), "The 'discovery' of malnutrition and diet in colonial India", Indian Economic and Social History Review, 31 (1): 1–26, डीओआइ:10.1177/001946469403100101
- Arnold, David; Moore, R. I. (1991), Famine: Social Crisis and Historical Change (New Perspectives on the Past), Wiley-Blackwell. Pp. 164, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-631-15119-7
- Attwood, Donald W. (2005), "Big Is Ugly? How Large-scale Institutions Prevent Famines in Western India", World Development, 33 (12): 2067–2083, डीओआइ:10.1016/j.worlddev.2005.07.009
- Banik, Dan (2007), Starvation and India's Democracy, Routledge, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-134-13416-8, मूल से 14 अप्रैल 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Bayly, C. A. (2002), Rulers, Townsmen, and Bazaars: North Indian Society in the Age of British Expansion 1770–1870, Delhi: Oxford University Press. Pp. 530, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-566345-7
- Bhatia, B. M. (1991), Famines in India: A Study in Some Aspects of the Economic History of India With Special Reference to Food Problem, 1860–1990, Stosius Inc/Advent Books Division. Pp. 383, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-220-0211-9
- Bouma, Menno J.; van der Kay, Hugo J. (1996), "The El Niño Southern Oscillation and the historic malaria epidemics on the Indian subcontinent and Sri Lanka: an early warning system for future epidemics", Tropical Medicine and International Health, 1 (1): 86–96, डीओआइ:10.1046/j.1365-3156.1996.d01-7.x
- The Cambridge economic history of India, Volume 2, Cambridge University Press, 1983, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-22802-2, मूल से 6 मई 2016 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Chamberlain, Andrew T. (2006), Demography in Archaeology, Cambridge University Press, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-139-45534-3, मूल से 14 अप्रैल 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Charlesworth, Neil (2002), Peasants and Imperial Rule: Agriculture and Agrarian Society in the Bombay Presidency 1850-1935, Cambridge University Press, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-52640-1, मूल से 14 अप्रैल 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Damodaran, Vinita (2007), "Famine in Bengal: A Comparison of the 1770 Famine in Bengal and the 1897 Famine in Chotanagpur", The Medieval History Journal, 10 (1&2): 143–181, डीओआइ:10.1177/097194580701000206
- Davis, Mike (2001), Late Victorian Holocausts, Verso Books, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-85984-739-8, मूल से 5 सितंबर 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Drèze, Jean (1995), "Famine prevention in India", प्रकाशित Drèze, Jean; Sen, Amartya; Hussain, Althar (संपा॰), The political economy of hunger: Selected essays, Oxford: Clarendon Press. Pp. 644, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-828883-1
- Dutt, Romesh Chunder (2005) [1900], Open Letters to Lord Curzon on Famines and Land Assessments in India, London: Kegan Paul, Trench, Trubner & Co. Ltd (reprinted by Adamant Media Corporation), आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4021-5115-6
- Dyson, Tim (1991), "On the Demography of South Asian Famines: Part I", Population Studies, 45 (1): 5–25, JSTOR 2174991, डीओआइ:10.1080/0032472031000145056
- Dyson, Tim (1991), "On the Demography of South Asian Famines: Part II", Population Studies, 45 (2): 279–297, JSTOR 2174784, PMID 11622922, डीओआइ:10.1080/0032472031000145446
- Dyson, Tim, संपा॰ (1989), India's Historical Demography: Studies in Famine, Disease and Society, Riverdale MD: The Riverdale Company. Pp. ix, 296
- Fagan, Brian (2009), Floods, Famines, and Emperors: El Nino and the Fate of Civilizations, Basic Books. Pp. 368, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-465-00530-7
- Famine Commission (1880), Report of the Indian Famine Commission, Part I, Calcutta
- Fieldhouse, David (1996), "For Richer, for Poorer?", प्रकाशित Marshall, P. J. (संपा॰), The Cambridge Illustrated History of the British Empire, Cambridge: Cambridge University Press. Pp. 400, पपृ॰ 108–146, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-00254-7
- Ghose, Ajit Kumar (1982), "Food Supply and Starvation: A Study of Famines with Reference to the Indian Subcontinent", Oxford Economic Papers, New Series, 34 (2): 368–389, डीओआइ:10.1093/oxfordjournals.oep.a041557
- Gilbert, Martin (2003), The Routledge Atlas of British History, Routledge, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-415-28147-8, मूल से 14 अप्रैल 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Government of India (1867), Report of the Commissioners Appointed to Enquire into the Famine in Bengal and Orissa in 1866, Volumes I, II, Calcutta
- O Grada, Cormac (1997), "Markets and famines: A simple test with Indian data", Economics Letters, 57 (2): 241–244, डीओआइ:10.1016/S0165-1765(97)00228-0
- Greenough, Paul Robert (1982), Prosperity and Misery in Modern Bengal: The Famine of 1943-1944, Oxford University Press, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-503082-2, मूल से 17 अप्रैल 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Grove, Richard H. (2007), "The Great El Nino of 1789–93 and its Global Consequences: Reconstructing an Extreme Climate Even in World Environmental History", The Medieval History Journal, 10 (1&2): 75–98, डीओआइ:10.1177/097194580701000203
- Hall-Matthews, David (2008), "Inaccurate Conceptions: Disputed Measures of Nutritional Needs and Famine Deaths in Colonial India", Modern Asian Studies, 42 (1): 1–24, डीओआइ:10.1017/S0026749X07002892
- Hall-Matthews, David (1996), "Historical Roots of Famine Relief Paradigms: Ideas on Dependency and Free Trade in India in the 1870s", Disasters, 20 (3): 216–230, डीओआइ:10.1111/j.1467-7717.1996.tb01035.x
- Hardiman, David (1996), "Usuary, Dearth and Famine in Western India", Past and Present, 152: 113–156, डीओआइ:10.1093/past/152.1.113
- Hill, Christopher V. (1991), "Philosophy and Reality in Riparian South Asia: British Famine Policy and Migration in Colonial North India", Modern Asian Studies, 25 (2): 263–279, डीओआइ:10.1017/s0026749x00010672
- Imperial Gazetteer of India vol. III (1907), The Indian Empire, Economic (Chapter X: Famine, pp. 475–502), Published under the authority of His Majesty's Secretary of State for India in Council, Oxford at the Clarendon Press. Pp. xxx, 1 map, 552.
- Kaiwar, Vasant (2016), "Famines of structural adjustment in colonial India", प्रकाशित Kaminsky, Arnold P; Long, Roger D (संपा॰), Nationalism and Imperialism in South and Southeast Asia: Essays Presented to Damodar R.SarDesai, Taylor & Francis, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-351-99742-3
- Keim, Mark E. (2015), "Extreme Weather Events: The Role of Public Health in Disaster Risk Reduction as a Means for Climate Change Adaptation", प्रकाशित George Luber; Jay Lemery (संपा॰), Global Climate Change and Human Health: From Science to Practice, Wiley, पृ॰ 42, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-118-60358-1
- Klein, Ira (August 1973), "Death in India, 1871-1921", The Journal of Asian Studies, 32 (4): 639–659, JSTOR 2052814, डीओआइ:10.2307/2052814
- Maclachlan, Morgan D. (1983), Why They Did Not Starve: Biocultural Adaptation in a South Indian Village, Institute for the Study of Human Issues, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-89727-001-4, मूल से 17 अप्रैल 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Maharatna, Arup (1996), The demography of famines: an Indian historical perspective, Oxford and New York: Oxford University Press, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-563711-3, मूल से 23 अगस्त 2019 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- McAlpin, Michelle Burge (2014), Subject to Famine: Food Crisis and Economic Change in Western India, 1860-1920, Princeton University Press, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4008-5592-6, मूल से 17 अप्रैल 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- McAlpin, Michelle B. (Autumn 1983), "Famines, Epidemics, and Population Growth: The Case of India", Journal of Interdisciplinary History, 14 (2): 351–366, JSTOR 203709, डीओआइ:10.2307/203709
- McAlpin, Michelle B. (1979), "Dearth, Famine, and Risk: The Changing Impact of Crop Failures in Western India, 1870–1920", The Journal of Economic History, 39 (1): 143–157, डीओआइ:10.1017/S0022050700096352
- McGregor, Pat; Cantley, Ian (1992), "A Test of Sen's Entitlement Hypothesis", The Statistician, 41 (3 Special Issue: Conference on Applied Statistics in Ireland, 1991): 335–341, JSTOR 2348558, डीओआइ:10.2307/2348558
- Mellor, John W.; Gavian, Sarah (1987), "Famine: Causes, Prevention, and Relief", Science, New Series, 235 (4788): 539–545, JSTOR 1698676, PMID 17758244, डीओआइ:10.1126/science.235.4788.539
- Muller, W. (1897), "Notes on the Distress Amongst the Hand-Weavers in the Bombay Presidency During the Famine of 1896–97", The Economic Journal, 7 (26): 285–288, JSTOR 2957261, डीओआइ:10.2307/2957261
- Nisbet, John (1901), Burma Under British Rule - and Before, II, Westminster: Archibald Constable and Co. Ltd, मूल से 17 अप्रैल 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Owen, Nicholas (2008), The British Left and India: Metropolitan Anti-Imperialism, 1885–1947 (Oxford Historical Monographs), Oxford: Oxford University Press. Pp. 300, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-923301-4
- Roy, Tirthankar (2006), The Economic History of India, 1857–1947, 2nd edition, New Delhi: Oxford University Press. Pp. xvi, 385, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-568430-8
- Roy, Tirthankar (June 2016), Were Indian famines 'natural' or 'man-made'?, London School of Economics, Economic History, Working Papers No: 243/2016
- Seavoy, Ronald E. (1986), Famine in Peasant Societies, London: Greenwood Press, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-313-25130-6, मूल से 14 अप्रैल 2017 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
- Sen, A. K. (1977), "Starvation and Exchange Entitlements: A General Approach and its Application to the Great Bengal Famine", Cambridge Journal of Economics, 1: 33–59, डीओआइ:10.1093/oxfordjournals.cje.a035349
- Sen, A. K. (1982), Poverty and Famines: An Essay on Entitlement and Deprivation, Oxford: Clarendon Press. Pp. ix, 257, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-828463-5
- Sharma, Sanjay (1993), "The 1837–38 famine in U.P.: Some dimensions of popular action", Indian Economic and Social History Review, 30 (3): 337–372, डीओआइ:10.1177/001946469303000304
- Siddiqi, Asiya (1973), Agrarian Change in a Northern Indian State: Uttar Pradesh, 1819–1833, Oxford and New York: Oxford University Press. Pp. 222, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-821553-0
- Stokes, Eric (1975), "Agrarian Society and the Pax Britannica in Northern India in the Early Nineteenth Century", Modern Asian Studies, 9 (4): 505–528, JSTOR 312079, डीओआइ:10.1017/s0026749x00012877
- Stone, Ian (2002-07-25), Canal Irrigation in British India: Perspectives on Technological Change in a Peasant Economy (Cambridge South Asian Studies), Cambridge and London: Cambridge University Press. Pp. 389, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-52663-0
- Tomlinson, B. R. (1993), The Economy of Modern India, 1860–1970 (The New Cambridge History of India, III.3), Cambridge and London: Cambridge University Press., आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-58939-0
- Washbrook, David (1994), "The Commercialization of Agriculture in Colonial India: Production, Subsistence and Reproduction in the 'Dry South', c. 1870–1930", Modern Asian Studies, 28 (1): 129–164, JSTOR 312924, डीओआइ:10.1017/s0026749x00011720
- Yang, Anand A. (1998), Bazaar India: Markets, Society, and the Colonial State in Bihar, Berkeley: University of California Press, मूल से 6 जनवरी 2009 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2020
महामारी और सार्वजनिक स्वास्थ्य
- Banthia, Jayant; Dyson, Tim (December 1999), "Smallpox in Nineteenth-Century India", Population and Development Review, 25 (4): 649–689, JSTOR 172481, डीओआइ:10.1111/j.1728-4457.1999.00649.x
- Caldwell, John C. (December 1998), "Malthus and the Less Developed World: The Pivotal Role of India", Population and Development Review, 24 (4): 675–696, JSTOR 2808021, डीओआइ:10.2307/2808021
- Drayton, Richard (2001), "Science, Medicine, and the British Empire", प्रकाशित Winks, Robin (संपा॰), Oxford History of the British Empire: Historiography, Oxford and New York: Oxford University Press, पपृ॰ 264–276, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-924680-9
- Derbyshire, I. D. (1987), "Economic Change and the Railways in North India, 1860-1914", Population Studies, 21 (3): 521–545, डीओआइ:10.1017/s0026749x00009197
- Klein, Ira (1988), "Plague, Policy and Popular Unrest in British India", Modern Asian Studies, 22 (4): 723–755, JSTOR 312523, डीओआइ:10.1017/s0026749x00015729
- Watts, Sheldon (1999), "British Development Policies and Malaria in India 1897-c. 1929", Past and Present, 165 (165): 141–181, JSTOR 651287, डीओआइ:10.1093/past/165.1.141
- Wylie, Diana (2001), "Disease, Diet, and Gender: Late Twentieth Century Perspectives on Empire", प्रकाशित Winks, Robin (संपा॰), Oxford History of the British Empire: Historiography, Oxford and New York: Oxford University Press, पपृ॰ 277–289, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-924680-9