ब्रह्मा मंदिर, खजुराहो
ब्रह्मा का मंदिर खजुराहो के सागर के किनारे तथा चौसठयोगिनी से पूर्व की ओर स्थित है। यह मंदिर वैष्णव धर्म से संबंधित है।
दृश्य
इसका दृश्य अपने आप में बेमिसाल है। उसे देखकर ऐसा लगता है कि कोई कलाकार सागर के किनारे बैठा- बैठा लहरों के कखटों के साथ ही सागर की गहराई में डूब जाना चाहता है। मंदिर में विष्णु मूर्ति स्थापित है, इसे श्रद्धालुओं ने बह्मा समझकर, इनका ही मंदिर कहना प्रारंभ कर दिया है। वर्तमान में इस मंदिर में चतुर्मुख शिवालिंग विराजमान है। मंदिर के शिखर, बलुवे पत्थर के और शेष भाग कणाश्म से निम्रित किया गया है। यह मंदिर आकार में छोटे और अलंकरण में सादे दिखाई देते हैं। मंदिर का अधिष्टान चौसठ योगिनी मंदिर केसमान सादा और सुंदर है। मंदिर तलविन्यास में अलग प्रकार की है, परंतु उर्ध्वच्छंद में समरुपता ही दिखाई देती है। इसकी जंघा दो बंधोंवाली तथा सादी है और उसके उपर छत स्तूपाकार है, जो क्रमशः अपसरण करती हुई दिखती है। ब्रह्मा का बाहरी भाग स्वास्तिक के आकार का है, जिसके प्रत्येक ओर प्रक्षेपन है। मंदिर का अंतर्भाग वर्गाकार है, जिसमें कणाश्म से निर्मित बारह प्रकार के सादे कुडय- स्तंभ हैं। इन्हीं स्तंभों पर वितान पूर्वी प्रक्षेपन में प्रवेश द्वार है और पश्चिम की ओर एक अन्य छोटा द्वार है। पार्श्व के अन्य दो प्रक्षेपणों में पत्थर की मोटी और अनलंकृत जालीदार वतायन हैं। प्रवेशद्वार के सिरदल में त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु, महेश की स्थूल मूर्तियाँ हैं और द्वार- स्तंभ में एक अनुचर सहित गंगा और यमुना के अंकन के अतिरिक्त प्रवेशद्वार सादा बना हुआ है। इन प्रवेशद्वार में न तो प्रतिमाएँ हैं और न ही किसी अन्य प्रकार का अलंकरण दिखता है। ब्रह्मा मंदिर का निर्माणकाल लालगुआं महादेव मंदिर के साथ- साथ बताया जाता है, क्योंकि यह उस संक्रमण काल की मंदिर है, जब बलुवे पत्थर का प्रयोग प्रारंभ हो गया था, किंतु कणाश्म का प्रयोग पूर्णतया समाप्त नहीं हुआ था।