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बौद्ध धर्म का कालक्रम

बौद्ध धर्म

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इस लेख में गौतम बुद्ध के जन्म से लेकर अब तक बौद्ध धर्म के विकास का विवरण है।

घटनाओं का समय

समयरेखा: बौद्ध परम्पराओं का विकास और विस्तार (लगभग ४५० ई॰पू॰ – लगभग १३०० ई॰)

 ४५० ई॰पू॰२५० ई॰पू॰१०० ई॰५०० ई॰७०० ई॰८०० ई॰१२०० ई॰

 

भारत

प्रारम्भिक
संघ

 

 

 

शुरुआती बौद्ध मतमहायानवज्रयान

 

 

 

 

 

श्रीलंका &
दक्षिण एशिया

 

 

 

 

थेरवाद

 

 

 

 

तिब्बती बौद्ध धर्म

 

ञिङमा

 

कदम
कग्यु

 

दंपो
सक्या
 जोनंग

 

पूर्व एशिया

 

शुरुआती बौद्ध मत
और महायान
(रेशम मार्ग से
चीन और महासागर में
भारत से वियतनाम तक)

Tangmi

Nara (Rokushū)

Shingon

Chan

 

Thiền, Seon
 Zen
Tiantai / Jìngtǔ

 

Tendai

 

 

Nichiren

 

Jōdo-shū

 

मध्य एशिया & टैरिम बेसिन

 

Greco-Buddhism

 

 

रेशम मार्ग बौद्ध धर्म

 

 ४५० ई॰पू॰२५० ई॰पू॰१०० ई॰५०० ई॰७०० ई॰८०० ई॰१२०० ई॰
 कुंजी: = थेरवादा = महायान = वज्रयान = विभिन्न / समधर्मी


काल

गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध का जन्म और निधन की तिथि अनिश्चित हैं। २०वीं सदी के पूर्वार्द्ध के जगदीश चौहान अधिकतर इतिहासकारों ने उनके जीवनकाल को लगभग ५६३ ई॰पू॰ से ४८३ ई॰पू॰ तक बताया।[1][2] पिछले कुछ वर्षों में उनका निधन ४११ से ४०० ई॰पू॰ के मध्य बताया गया जबकि १९८८ में इस विषय पर रखी गयी विचार गोष्ठी में उनके निधन को ४०० ई॰पू॰ के आसपास के २० वर्षों में होने पर बहुमत दिखाई दिया।[1][3][note 1] हालाँकि ये वैकल्पिक घटनाक्रम सभी इतिहासकारों द्वारा स्वीकृत नहीं हुई।[5][6][note 2]

ईसा पूर्व

  • 534 ईसा पूर्व :[8] राजकुमार सिद्धार्थ अपने सारथी के साथ राजमहल से बाहर निकले।
  • 250 ईसा पूर्व: अशोक ने चीन, दक्षिण-पूर्व एशिया एवं अन्य स्थानों पर धर्मप्रचारक भेजे ताकि लोगों में बुद्ध का सन्देश प्रसारित हो सके।
  • 220 ईसा पूर्व: अशोक के पुत्र महिन्द ने सिंहल द्वीप (श्रीलंका) में थेरवाद बौद्ध मत की स्थापना की।
  • 150 ईसा पूर्व: भारतीय-ग्रीक नरेश मिनान्दर प्रथम ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया और नागसेन नाम धारण किया।
  • 29 ईसा पूर्व: सिंहली इतिहास के अनुसार, राजा वट्टगामिणी के राज्यकाल में त्र्पिटकों की रचना हुई (२९ ईसापूर्व -- १७ ईसापूर्व तक)।

ईसोपरान्त

  • अनुमानतः प्रथम शताब्दी के उत्तरार्ध से द्वितीय शताब्दी का पूर्वार्ध : कनिष्क का शासन, महायान सम्प्रदाय का मध्य एशिया में प्रसार
  • २०वीं शताब्दी का आरम्भिक काल : बौद्धधर्म का पुनर्जागरण[10]
  • 1956 ई० : बौद्ध धर्म के २५०० वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में उत्सव मनाया गया।

टिप्पणी

  1. * 411-400: Paul Dundas: "[...], as is now almost universally accepted by informed Indological scholarship, a re-examination of early Buddhist historical material, [...], necessitates a redating of the Buddha's death to between 411 and 400 BCE, [...]" —Paul Dundas, The Jains, 2nd edition, (Routledge, 2001).[web 1]
    • 405: Richard Gombrich
      • Richard Gombrich (1992), Dating the Buddha: a red herring revealed. In: Heinz Bechert, editor, The Dating of the Historical Buddha / Die Datierung des historischen Buddha, Part 2 (Symposien zur Buddhismus forschung, IV, 2), Gottingen: Vandenhoeck and Ruprecht, 1992, pp. 237-59. See also [1] & [2]
      • Richard Gombrich (2000), Discovering the Buddha's date. In: Lakshman S. Perera (ed.), Buddhism for the New
    Millennium. London: World Buddhist Foundation, 2000, pp. 9-25.
    • Around 400: See the consensus in the essays by leading scholars in The Date of the Historical Śākyamuni Buddha (2003) Edited by A. K. Narain. B. R. Publishing Corporation, New Delhi. ISBN: 81-7646-353-1
    • According to Pali scholar K. R. Norman, a life span for the Buddha of c। 480 to 400 BCE (and his teaching period roughly from c. 445 to 400 BCE) "fits the archaeological evidence better".[4]
    See also Notes on the Dates of the Buddha Íåkyamuni.
  2. in 2013, archaeologist Robert Coningham found the remains of a Bodhigara, a tree shrine, dated to 550 BCE at the Maya Devi Temple, Lumbini, speculating that it may possible be a Buddhist shrine. If so, this may push back the Buddha's birth date.[web 2] Archaeologists caution that the shrine may represent pre-Buddhist tree worship, and that further research is needed.[web 2]
    Richard Gombrich has dismissed Coningham's speculations as "a fantasy", noting that Coningham lacks the necessary expertise on the history of early Buddhism.[web 3]
    Geoffrey Samuels notes that several locations of both early Buddhism and Jainism are closely related to Yaksha-worship, that several Yakshas were "converted" to Buddhism, a well-known example being Vajrapani,[lower-roman 1] and that several Yaksha-shrines, where trees were worshipped, were converted into Buddhist holy places.[7]

उपटिप्पणी

  1. See "Ambattha Sutta", Digha Nikaya 3, where Vajrapani frightens an arrogant young Brahman, and the superiority of Kshatriyas over Brahmins is established.[web 4]

सन्दर्भ

  1. Cousins 1996, पृ॰प॰ 57–63.
  2. Schumann 2003, पृ॰ 10-13.
  3. Prebish 2008, पृ॰ 2.
  4. Norman 1997, पृ॰ 33.
  5. Schumann 2003, पृ॰ xv.
  6. Wayman 1993, पृ॰प॰ 37-58.
  7. Samuels 2010, पृ॰ 140-152.
  8. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Historical_Buddha नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  9. Timeline of Buddhist History
  10. "History of Buddhism". मूल से 19 अगस्त 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अगस्त 2023.


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