बृजकिशोर प्रसाद
बृजकिशोर प्रसाद (1877-1946) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मोहनदास करमचंद गांधी से प्रेरित एक वकील रहे थे।
जन्म तथा आरंभिक जीवन
सन्न 1877 में, सीवान जिले के श्रीनगर में एक कायस्थ परिवार में जन्मे, प्रसाद ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज जाने से पहले छपरा और पटना में प्राप्त की, जहाँ उन्होंने अपना कानूनी प्रशिक्षण पूरा किया।
उन्होंने फूल देवी से शादी की। उन्होंने दरभंगा में एक कानूनी प्रथा स्थापित की और उनके दो बेटे, विश्व नाथ और शिव नाथ प्रसाद थे, जिन्हें आमतौर पर एस एन प्रसाद के रूप में जाना जाता था, और दो बेटियां, प्रभावती देवी और विद्यावती देवी थी।
आज़ादी का जूनून
सन्न 1915 में वे महात्मा गांधी से मिले और प्रेरित हुए। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में पूरे समय शामिल होने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने अपनी कानूनी प्रैक्टिस छोड़ दी। उन्होंने चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह को अपनाने के लिए गांधी जी के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें गांधी जी ने राजेंद्र प्रसाद और अनुग्रह नारायण सिन्हा को साथ लेकर आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया[1]। प्रसाद के समर्पण से गांधी जी इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी आत्मकथात्मक पुस्तक, द स्टोरी ऑफ माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ में द जेंटल बिहारी नामक एक पूर्ण अध्याय को अलग लिख डाला।[1]
निधन
प्रसाद बिहार से भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे रहने वालों में से एक रहे, और बिहार विद्यापीठ की स्थापना में कई सहयोगियों के साथ उनका भी सहयोग था। अपने जीवन के अंतिम दस वर्षों में वह गंभीर रूप से पीड़ित हो गए थे, और 1946 आज़ादी के एक साल पूर्व में उनकी मृत्यु हो गई।[2]
कुछ खास
द नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, ने हाल ही में ब्रज किशोर प्रसाद: द हीरो ऑफ द बैटल, का शीर्षक प्रकाशित किया, जो कि सचिदानंद सिन्हा द्वारा लिखा गया है।[3]
सन्दर्भ
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- ↑ Kamat. "Biography: Anugrah Narayan Sinha". Kamat's archive. मूल से 9 नवंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2006-06-25.
- ↑ s:The Story of My Experiments with Truth/Part V/The Gentle Bihari
- ↑ "संग्रहीत प्रति". National Book Trust, India. मूल से 3 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 August 2018.