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बिहार

बिहार
राज्य
[[File:Rajgir - 028 Bathing Pool at foot of Hill (6291944753 ).jpg|139px]]
ऊपर से दक्षिणावर्त: गंगा नदी के तट पर राजधानी पटना का हवाई दृश्य, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर, कैमूर में माता मुंडेश्वरी मंदिर, मिथिला क्षेत्र से मधुबनी चित्रकला, बोधगया में महाबोधि मंदिर, राजगीर में ब्रह्म कुंड हॉट स्प्रिंग्स

प्रतीक
गान: मेरे भारत के कंठ हार
(मेरे भारत के गले के हार)
भारत में बिहार का स्थान
भारत में बिहार का स्थान
निर्देशांक (पटना): 25°24′N 85°06′E / 25.4°N 85.1°E / 25.4; 85.1निर्देशांक: 25°24′N 85°06′E / 25.4°N 85.1°E / 25.4; 85.1
देशभारत
गठन२२ मार्च १९१२
राज्य का दर्जा२६ जनवरी १९५०
राजधानी
और सबसे बड़ा शहर
पटना
जिले३८
शासन
 • सभाबिहार सरकार
 • राज्यपालराजेंद्र आर्लेकर[1]
 • मुख्यमंत्रीनितीश कुमार
 • उपमुख्यमंत्रीसम्राट चौधरी
विजय कुमार सिन्हा
 • संसदीय क्षेत्रराज्य सभा ( १६ सीटें)
लोक सभा (४० सीटें)
क्षेत्रफल[2]
 • कुल९४,१६३ किमी2 (36,357 वर्गमील)
क्षेत्र दर्जा१२वां
जनसंख्या (२०११)[3]
 • कुल१०,४०,९९,४५२
 • दर्जा३वां
 • प्रमुख जातीय भाषाई समूह
GDP (२०२२–२३)[4]
 • कुल₹७.५२ लाख करोड़ (स.रा.अ.$९४ बिलियन)
 • प्रति व्यक्ति50,555 (US$738.1)
भाषाएं
 • राजभाषाEnglish[5]
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+०५:३०)
UN/LOCODEINBR
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोडIN-BR
वाहन पंजीकरणबी.आर.
मानव विकास सूचकांक (२०१९)वृद्धि ०.५७४[6] (medium) · 36वां
साक्षरता (२०११)६३.८२%[7]
लिंग अनुपात (२०११)९१८ /१००० [8]
वेबसाइटOfficial Website

बिहार भारत के उत्तर-पूर्वी भाग के मध्य में स्थित एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक राज्य है और इसकी राजधानी पटना है। यह जनसंख्या की दृष्टि से भारत का तीसरा सबसे बड़ा प्रदेश है जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से बारहवां है। प्रबुद्ध सोसाइटी नेचुआ जलालपुर के अध्यक्ष डॉ॰ श्री प्रकाश बरनवाल का कहना है कि BIHAR में भारत के पांचो नाम हैं। २००० ई॰ को बिहार के दक्षिणी हिस्से को अलग कर एक नया राज्य झारखण्ड बनाया गया। बिहार के उत्तर में नेपाल, दक्षिण में झारखण्ड, पूर्व में पश्चिम बंगाल और पश्चिम में उत्तर प्रदेश स्थित है। यह क्षेत्र गंगा नदी तथा उसकी सहायक नदियों के उपजाऊ मैदानों में बसा है। गंगा इसमें पश्चिम से पूर्व की तरफ बहती है। बिहार भारत के सबसे महान् राज्यों मे से एक है।

बिहार की जनसंख्या का अधिकांश भाग ग्रामीण है और केवल ११.३ प्रतिशत लोग नगरों में रहते हैं। इसके अलावा बिहार के ५८% लोग २५ वर्ष से कम आयु के हैं।

प्राचीन काल में बिहार विशाल साम्राज्यों, शिक्षा केन्द्रों एवं संस्कृति का गढ़ था। बिहार नाम का प्रादुर्भाव बौद्ध सन्यासियों के ठहरने के स्थान विहार शब्द से हुआ। 'बिहार', 'विहार' का अपभ्रंश है।१२ फरवरी वर्ष १९४८ में महात्मा गांधी के अस्थि कलश जिन १२ तटों पर विसर्जित किए गए थे, त्रिमोहिनी संगम भी उनमें से एक है।

बिहार का प्राचीन इतिहास विशेष रूप से उदार और गर्वान्वित है। यहां अनेक महत्वपूर्ण साम्राज्यों का केंद्र रहा है, जिनमें मौर्य साम्राज्य, गुप्त साम्राज्य, और पाल साम्राज्य शामिल हैं। बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय[9], बोध गया, और वैशाली जैसे कई ऐतिहासिक धरोहर हैं।

बिहार की संस्कृति बहुपरकारी है। यहां के प्रमुख कला-साधनों में मधुबनी पेंटिंग, लोक नृत्य,[10] और लोक गीत शामिल हैं। बिहार का भोजन भी बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें लिट्टी चोखा, चूड़ा दही, और सत्तू शामिल हैं।

बिहार में प्राकृतिक सौंदर्य भी प्रचुर है। यहां के प्रमुख नदियों में गंगा, सोन, और घाघरा शामिल हैं। बिहार के प्रमुख पर्वतारों में हिमालय की तराई की पहाड़ियाँ शामिल हैं।

बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां के प्रमुख फसलें में धान, गेहूं, मक्का, और मटर शामिल हैं। बिहार में कई खनिज भंडार भी हैं, जैसे कि कोयला, लौह अयस्क, और चूना पत्थर।

बिहार में कई उद्योग भी हैं। यहां के प्रमुख उद्योगों में कृषि उद्योग, कपड़ा उद्योग, और खनिज उद्योग शामिल हैं। बिहार में कई शिक्षण संस्थान भी हैं, जिनमें भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (पटना), पटना विश्वविद्यालय और नालंदा विश्वविद्यालय शामिल हैं।

बिहार एक गरीब राज्य है, लेकिन यहां के लोगों में काफी संभावनाएं हैं। बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार की जरूरत है, लेकिन यहां के लोग मेहनत और लगन की कमी नहीं है। बिहार में विकास की रफ्तार धीमी है, लेकिन यहां के लोग विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।

इतिहास

वर्तमान बिहार विभिन्न ऐतिहासिक क्षेत्रों से मिलकर बना है। बिहार के क्षेत्र जैसे-मगध, मिथिला और अंग- धार्मिक ग्रंथों और प्राचीन भारत के महाकाव्यों में वर्णित हैं।

प्राचीन काल

सारण जिले में गंगा नदी के उत्तरी किनारे पर चिरांद, नवपाषाण युग (लगभग ४५००-२३४५ ईसा पूर्व) और ताम्र युग ( २३४५-१७२६ ईसा पूर्व) से एक पुरातात्विक रिकॉर्ड है।

मिथिला को पहली बार इंडो-आर्यन लोगों ने विदेह साम्राज्य की स्थापना के बाद प्रतिष्ठा प्राप्त की। देर वैदिक काल (सी। १६००-११०० ईसा पूर्व) के दौरान, विदेह् दक्षिण एशिया के प्रमुख राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्रों में से एक बन गया, कुरु और पंचाल् के साथ। विदेह साम्राज्य के राजा यहांजनक कहलाते थे। मिथिला के राजा सिरध्वज जनक की पुत्री एक थी सीता जिसका वाल्मीकि द्वारा लिखी जाने वाली हिंदू महाकाव्य, रामायण में भगवान राम की पत्नी के रूप में वर्णित है। बाद में विदेह राज्य के वाजिशि शहर में अपनी राजधानी था जो वज्जि समझौता में शामिल हो गया, मिथिला में भी है। वज्जि के पास एक रिपब्लिकन शासन था जहां राजा राजाओं की संख्या से चुने गए थे। जैन धर्म और बौद्ध धर्म से संबंधित ग्रंथों में मिली जानकारी के आधार पर, वज्जि को ६ ठी शताब्दी ईसा पूर्व से गणराज्य के रूप में स्थापित किया गया था, गौतम बुद्ध के जन्म से पहले ५६३ ईसा पूर्व में, यह दुनिया का पहला गणतंत्र था। जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म वैशाली में हुआ था।

आधुनिक-पश्चिमी पश्चिमी बिहार के क्षेत्र में मगध १००० वर्षों के लिए भारत में शक्ति, शिक्षा और संस्कृति का केंद्र बने। ऋग्वेदिक् काल मे यह बृहद्रथ वंश का शासन था।सन् ६८४ ईसा पूर्व में स्थापित हरयंक वंश, राजगृह (आधुनिक राजगीर) के शहर से मगध पर शासन किया। इस वंश के दो प्रसिद्ध राजा बिंबिसार और उनके बेटे अजातशत्रु थे, जिन्होंने अपने पिता को सिंहासन पर चढ़ने के लिए कैद कर दिया था। अजातशत्रु ने पाटलिपुत्र शहर की स्थापना की जो बाद में मगध की राजधानी बन गई। उन्होंने युद्ध की घोषणा की और बाजी को जीत लिया। हिरुआँ वंश के बाद शिशुनाग वंश का पीछा किया गया था। बाद में नंद वंश ने बंगाल से पंजाब तक फैले विशाल साम्राज्य पर शासन किया।

भारत की पहली साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य द्वारा नंद वंश को बदल दिया गया था। मौर्य साम्राज्य और बौद्ध धर्म का इस क्षेत्र में उभार रहा है जो अब आधुनिक बिहार को बना देता है। ३२५ ईसा पूर्व में मगध से उत्पन्न मौर्य साम्राज्य, चंद्रगुप्त मौर्य ने स्थापित किया था, जो मगध में पैदा हुआ था। इसकी पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में इसकी राजधानी थी। मौर्य सम्राट, अशोक, जो पाटलीपुत्र (पटना) में पैदा हुए थे, को दुनिया के इतिहास में सबसे बड़ा शासक माना जाता है। मौर्य साम्राज्य भारत की आजतक की सबसे बड़ी सम्राजय थी ये पश्चिम मे ईरान से लेकर पूर्व मे बर्मा तक और उत्तर मे मध्य-एशिया से लेकर दक्षिण मे श्रीलंका तक पूरा भारतवर्ष मे फैला था। इस साम्राज्य के पहले राजा चन्द्रगुप्त मौर्य ने कै ग्रीक् सतराप् को हराकर अफ़ग़ानिस्तां के हिस्से को जीता। इनकी सबसे बड़ी विजय ग्रीस से पश्चिम-एशिय थक के यूनानी राजा सेलेक्यूज़ निकेटर को हराकर पर्शिया का बड़ा हिस्सा जीत लिया था और संधि मे यूनानी राजकुमारी हेलेन से विवाह किये जो कि सेलेक्यूज़ निकटोर कि पुत्री थी और हमेसा के लिए यूनाननियो को भारत से बाहर रखा। इनके प्रधानमंत्री अर्चाय चाणक्य ने अर्थशास्त्र कि रचना कि जो इनके गुरु और मार्गदर्शक थे। इनके पुत्र बिन्दुसार ने इस साम्राज्य को और दूर तक फैलाया व दक्षिण तक स्थापित किया। सम्राट अशोक इस सम्राजय के सबसे बड़े राजा थे। इनका पूरा राज नाम देवानामप्रिय प्रियादर्शी एवं राजा महान सम्राट अशोक था। इन्होंने अपने उपदेश स्तंभ, पहाद्, शीलालेख पे लिखाया जो भारत इतिहास के लिया बहुत महत्वपूर्ण है। येे लेख् ब्राह्मी, ग्रीक, अरमिक् मे पूरे अपने सम्राज्य मे अंकित् किया। इनके मृत्यु के बाद मौर्य सम्राज्य को इनके पुुत्रौ ने दो हिस्से मे बाँट कर पूर्व और पश्चिम मौर्य राज्य कि तरह राज किया। इस साम्राज्य कि अंतिम शासक ब्रिहद्रत् को उनके ब्राह्मिन सेनापति पुष्यमित्र शूंग ने मारकर वे मगध पे अपना शासन स्थापित किया।

सन् २४० ए में मगध में उत्पन्न गुप्त साम्राज्य को विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान, वाणिज्य, धर्म और भारतीय दर्शन में भारत का स्वर्णिम युग कहा गया। इस वंश के समुद्रगुप्त ने इस सम्राजय को पूरे दक्षिण एशिया मे स्थापित किया। इनके पुत्र चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने भारत के सारे विदेशी घुसपैट्या को हरा कर देश से बाहर किया इसीलिए इन्हे सकारी की उपाधि दी गई। इन्ही गुप्त राजाओं मे से प्रमुख स्कंदगुप्त ने भारत मे हूणों का आक्रमं रोका और उनेे भारत से बाहर भगाया और देश की बाहरी आक्रमण कारी से रक्षा की। उस समय गुप्त साम्राज्य दुनिया कि सबसे बड़ी शक्तिशाली साम्राज्य था। इसका राज्य पश्चिम मे पर्शिया या बग़दाद से पूर्व मे बर्मा तक और उत्तर मे मध्य एशिया से लेकर दक्षिण मे कांचीपुरम तक फैला था। इसकी राजधानी पाटलिपुत्र (पटना वर्तमान में) था। इस साम्राज्य का प्रभाव पूरी विश्व मे था रोम, ग्रीस, अरब से लेकर दक्षिण-पूर्व एशिया तक था।

मध्यकाल

मगध में बौद्ध धर्म मुहम्मद बिन बख्तियार खिलजी के आक्रमण की वजह से गिरावट में पड़ गया, जिसके दौरान कई बिहार के नालंदा और विक्रमशिला के विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों को नष्ट कर दिया गया। यह दावा किया गया कि १२ वीं शताब्दी के दौरान हजारों बौद्ध भिक्षुओं की हत्या हुई थी। डी.एन. झा सुझाव देते हैं, इसके बजाय, ये घटनाएं सर्वोच्चता के लिए लड़ाई में बौद्ध ब्राह्मण की झड़पों का परिणाम थीं। १५४० में, महान पस्तीस के मुखिया, सासाराम के शेर शाह सूरी, हुमायूं की मुगल सेना को हराकर मुगलों से उत्तरी भारत ले गए थे। शेर शाह ने अपनी राजधानी दिल्ली की घोषणा की और ११ वीं शताब्दी से लेकर २० वीं शताब्दी तक, मिथिला पर विभिन्न स्वदेशीय राजवंशों ने शासन किया था। इनमें से पहला, जहां कर्नाट, अनवर राजवंश, रघुवंशी और अंततः राज दरभंगा के बाद। इस अवधि के दौरान मिथिला की राजधानी दरभंगा में स्थानांतरित की गई थी।

आधुनिक काल

१८५७ के प्रथम सिपाही विद्रोह में बिहार के बाबू कुंवर सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। १९०५ में बंगाल का विभाजन के फलस्वरूप बिहार नाम का राज्य अस्तित्व में आया। १९३६ में उड़ीसा इससे अलग कर दिया गया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार में चंपारण के विद्रोह को, अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत फैलाने में अग्रण्य घटनाओं में से एक गिना जाता है। स्वतंत्रता के बाद बिहार का एक और विभाजन हुआ और १५ नवंबर २००० में झारखंड राज्य को इससे अलग कर दिया गया। भारत छोड़ो आन्दोलन में भी बिहार की अहम भूमिका रही थी।
यह भी देखें भारत छोड़ो आन्दोलन और बिहार

भौगोलिक स्थिति

बिहार का उपग्रह द्वारा लिया गया चित्र
बिहार का उपग्रह द्वारा लिया गया चित्र

उत्तर भारत में २४°२०'१०" ~ २७°३१'१५" उत्तरी अक्षांश तथा ८३°१९'५०" ~ ८८°१७'४०" पूर्वी देशांतर के बीच बिहार एक हिंदी भाषी राज्य है। राज्य का कुल क्षेत्रफल ९४,१६३ वर्ग किलोमीटर है जिसमें ९२,२५७.५१ वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्र है। झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार की भूमि मुख्यतः नदियों के मैदान एवं कृषियोग्य समतल भूभाग है। गंगा के पूर्वी मैदान में स्थित इस राज्य की औसत ऊँचाई १७३ फीट है। भौगोलिक तौर पर बिहार को तीन प्राकृतिक विभागो में बाँटा जाता है- उत्तर का पर्वतीय एवं तराई भाग, मध्य का विशाल मैदान तथा दक्षिण का पहाड़ी किनारा
उत्तर का पर्वतीय प्रदेश सोमेश्वर श्रेणी का हिस्सा है। इस श्रेणी की औसत उचाई ४५५ मीटर है परन्तु इसका सर्वोच्च शिखर ८७४ मीटर उँचा है। सोमेश्वर श्रेणी के दक्षिण में तराई क्षेत्र है। यह दलदली क्षेत्र है जहाँ साल वॄक्ष के घने जंगल हैं। इन जंगलों में प्रदेश का इकलौता बाघ अभयारण्य वाल्मिकीनगर में स्थित है।
मध्यवर्ती विशाल मैदान बिहार के ९५% भाग को समेटे हुए हैं। भौगोलिक तौर पर इसे चार भागों में बाँटा जा सकता है:-

  • १- तराई क्षेत्र यह सोमेश्वर श्रेणी के तराई में लगभग १० किलोमीटर चौ़ड़ा कंकर-बालू का निक्षेप है। इसके दक्षिण में तराई उपक्षेत्र है जो प्रायः दलदली है।
  • २-भांगर क्षेत्र यह पुराना जलोढ़ क्षेत्र है। समान्यतः यह आस पास के क्षेत्रों से ७-८ मीटर ऊँचा रहता है।
  • ३-खादर क्षेत्र इसका विस्तार गंडक से कोसी नदी के क्षेत्र तक सारे उत्तरी बिहार में है। प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ के कारण यह क्षेत्र बहुत उपजाऊ है। परन्तु इसी बाढ़ के कारण यह क्षेत्र तबाही के कगार पर खड़ा है।

गंगा नदी राज्य के लगभग बीचों-बीच बहती है। उत्तरी बिहार बागमती, कोशी, बूढी गंडक, गंडक, घाघरा और उनकी सहायक नदियों का समतल मैदान है। सोन, पुनपुन, फल्गू तथा किऊल नदी बिहार में दक्षिण से गंगा में मिलनेवाली सहायक नदियाँ है। बिहार के दक्षिण भाग में छोटानागपुर का पठार, जिसका अधिकांश हिस्सा अब झारखंड है, तथा उत्तर में हिमालय पर्वत की नेपाल श्रेणी है। हिमालय से उतरने वाली कई नदियाँ तथा जलधाराएँ बिहार होकर प्रवाहित होती है और गंगा में विसर्जित होती हैं। वर्षा के दिनों में इन नदियों में बाढ़ की एक बड़ी समस्या है।

राज्य का औसत तापमान गृष्म ऋतु में ३५-४५ डिग्री सेल्सियस तथा जाड़े में ५-१५ डिग्री सेल्सियस रहता है। जाड़े का मौसम नवंबर से मध्य फरवरी तक रहता है। अप्रैल में गृष्म ऋतु का आरंभ होता है जो जुलाई के मध्य तक रहता है। जुलाई-अगस्त में वर्षा ऋतु का आगमन होता है जिसका अवसान अक्टूबर में होने के साथ ही ऋतु चक्र पूरा हो जाता है। औसतन १२०५ मिलीमीटर वर्षा का का वार्षिक वितरण लगभग ५२ दिनों तक रहता है जिसका अधिकांश भाग मानसून से होनेवाला वर्षण है।

उत्तर में भूमि प्रायः सर्वत्र उपजाऊ एवं कृषि योग्य है। धान, गेंहूँ, दलहन, मक्का, तिलहन, तम्बाकू,सब्जी तथा केला, आम और लीची जैसे कुछ फलों की खेती की जाती है। हाजीपुर का केला एवं मुजफ्फरपुर की लीची बहुत ही प्रसिद्ध है।

भाषा और संस्कृति

हिंदी बिहार की राजभाषा और उर्दू द्वितीय राजभाषा है।[5][11]मैथिली भारतीय संविधान के अष्टम अनुसूची में सम्मिलित एकमात्र बिहारी भाषा है।[12]भोजपुरी, मगही, अंगिका तथा बज्जिका बिहार में बोली जाने वाली अन्य प्रमुख भाषाओं और बोलियों में सम्मिलित हैं।[13]प्रमुख पर्वों में छठ, होली, दीपावली, दशहरा, महाशिवरात्रि, नागपंचमी, श्री पंचमी, मुहर्रम, ईद,तथा क्रिसमस हैं। सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना सिटी (पटना) में उनकी जयन्ती पर भी भारी श्रद्धार्पण देखने को मिलता है। बिहार ने हिंदी को सबसे पहले राज्य की अधिकारिक भाषा माना है।[14]

खानपान

बिहार अपने खानपान की विविधता के लिए प्रसिद्ध है। शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनो व्यंजन पसंद किये जाते हैं। मिठाईयों की विभिन्न किस्मों के अतिरिक्त अनरसा की गोली, खाजा, मोतीचूर लड्डू,गया की तिलकुट,थावे(गोपालगंज) के पेरुकिया ,रफीगंज का छेना, यहाँ की खास पसंद है। सत्तू, चूड़ा-दही और

लिट्टी-चोखा जैसे स्थानीय व्यंजन तो यहाँ के लोगों की कमजोरी हैं। लहसुन की चटनी भी बहुत पसंद करते हैं। लालू प्रसाद के रेल मंत्री बनने के बाद तो लिट्टी-चोखा भारतीय रेल के महत्वपूर्ण स्टेशनों पर भी मिलने लगा है। सुबह के नास्ते में चूड़ा-दही या पूरी-जलेबी खूब खाये जाते हैं। चावल-दाल-सब्जी और रोटी बिहार का सामान्य भोजन है। बिहार की मालपुआ काफी स्वादिष्ट होता है। यह उत्तर भारत में बनाये जाने वाली डिश है। बिहार की बाकी व्यंजनों में दालपूरी, खाजा, मखाना खीर, पुरूकिया (गुजिया), ठेकुआ, भेलपुरी, खजुरी, बैगन का भरता आदि शामिल है।

खाजा बिहार की प्रमुख मिठाई है और यह बारार की विशेषत वस्त्रशिल्प से जुड़ा है। यह मिठाई गुड़ और घी के साथ बनती है। मक्की की रोटी

बिहार में मक्की की रोटी भी प्रिय है, जो अक्सर सर्दीयों में खाई जाती है। इसे घी और चना जूस के साथ बनाया जाता है।

दाल पीठा: यह एक प्रकार का पकौड़ी है जो चावल के आटे, दाल के पेस्ट, और सब्जियों से बनाई जाती है। दाल पीठा को आमतौर पर स्टीम किया जाता है या तला जाता है।

रसिया: यह एक प्रकार की खीर है जो छठ पूजा के दौरान बनाई जाती है। रसिया को दूध, चावल, और मखाने से बनाई जाती है।

चूड़ा: यह एक प्रकार का सूखा नाश्ता है जो धान से बनाई जाती है। चूड़ा को आमतौर पर दही, चटनी, या सब्जियों के साथ खाया जाता है।[15]

सत्तू शरबत: यह एक प्रकार का ठंडा पेय है जो सत्तू, दूध, और चीनी से बनाई जाती है। सत्तू शरबत को गर्मियों में ठंडक के लिए पिया जाता है।

छाछ: यह एक प्रकार का दही का पेय है। छाछ को आमतौर पर भोजन के साथ या अकेले पिया जाता है।

गन्ने का रस: यह एक प्रकार का मीठा पेय है जो गन्ने के रस से बनाया जाता है। गन्ने का रस को गर्मियों में ठंडक के लिए पिया जाता है। बिहार में खाने-पीने की इन चीजों को जरूर ट्राई करें। ये चीजें आपको बिहार की संस्कृति और स्वाद का अनुभव करने में मदद करेंगी।

खेलकूद

भारत के अन्य कई जगहों की तरह क्रिकेट यहाँ भी सर्वाधिक लोकप्रिय है। इसके अलावा फुटबॉल, हाकी, टेनिस, खो-खो और गोल्फ भी पसन्द किया जाता है।

कबड्डी: बिहार में एक प्रमुख लोकप्रिय खेल है। यहाँ परंपरागत रूप से कबड्डी खेला जाता है, जिसमें दो टीमें आमने-सामने खड़ी होती हैं और एक टीम के खिलाड़ी दूसरी टीम के खिलाड़ियों को छूकर वापस अपनी बाल को छूने की कोशिश करते हैं।

खुदाया खेल: खुदाया बिहार में प्रसिद्ध है, और यह एक प्रकार की रेसिंग है जिसमें दो व्यक्ति या दो टीमें भाग लेती हैं। पारंपरिक खुदाया खेल में पाँवलों को धरातल से छूकर आगे बढ़ाने की कोशिश की जाती है | गुली-डंडा बिहार में बच्चों के बीच एक प्रमुख खेल है। इसमें एक छोटी सी गुली या खड़दर और एक लम्बी सी डंडी का उपयोग किया जाता है। खो-खो भी बिहार में खेला जाता है और यह टीम खेल है जिसमें एक टीम दूसरी टीम के खिलाड़ियों को छूने की कोशिश करती है।

इन्हीं के अलावा, खुदाया दौड़, गेंदबाजी, शतरंज आदि भी बिहार में खेले जाते हैं। खेल और खुदाया बिहारी समुदाय के एक महत्वपूर्ण हिस्से को छूने का एक अद्वितीय तरीका है और यहाँ विभिन्न खेलों का आनंद लिया जाता है।

बिहार राज्य के प्रमुख् उद्योग

राज्‍य के मुख्‍य उद्योग हैं -

  • मुंगेर में सिगरेट कारखाना आई टी सी
  • मुंगेर में आई टी सी के अन्य उत्पाद अगरबत्ती, माचिस तथा चावल-आटा आदि का निर्माण
  • मुंगेर में बंदुक फैक्टरी
  • मुेंगेर के जमालपुर में रेल कारखाना
  • एशिया प्रसिद्ध रेल क्रेन कारखाना जमालपुर
  • भागलपुर में शिल्क उधाेग
  • मुजफ्फरपुर और मोकामा में 'भारत वैगन लिमिटेड' का रेलवे वैगन संयंत्र,
  • बरौनी में भारतीय तेल निगम का तेलशोधक कारख़ाना है।
  • बरौनी का एच.पी.सी.एल. और अमझोर का पाइराइट्स फॉस्‍फेट एंड कैमिकल्‍स लिमिटेड (पी.पी.सी.एल.) राज्‍य के उर्वरक संयंत्र हैं।
  • सीवान, भागलपुर, पंडौल, मोकामा और गया में पांच बड़ी सूत कताई मिलें हैं।
  • उत्तर व दक्षिण बिहार में 13 चीनी मिलें हैं, जो निजी क्षेत्र की हैं तथा 15 चीनी मिलें सार्वजनिक क्षेत्र की हैं जिनकी कुल पेराई क्षमता 45,00 टी.
  • पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर और बरौनी में चमड़ा प्रसंस्‍करण के उद्योग है।
  • कटिहार और समस्‍तीपुर में तीन बड़े पटसन के कारखाने हैं।
  • हाजीपुर में दवाएं बनाने का कारख़ाना ,औरंगाबाद और पटना में खाद्य प्रसंस्‍करण और वनस्‍पति बनाने के कारखाने हैं।
  • इसके अलावा बंजारी के कल्‍याणपुर सीमेंट लिमिटेड नामक सीमेंट कारखाने का बिहार के औद्योगिक नक्‍शे में महत्‍वपूर्ण स्‍थान है।
  • औरंगाबाद का नया श्री सीमेंट का कारखाना
  • रेल इंजन कारखाना, मधेपुरा
  • रेल इंजन कारखाना मढ़ौरा
  • मोकामा के दरियापुर मे बाटा नामक कम्पनी के जुते के कारखाने है ।

मधेपुरा की यह फैक्ट्री अपने आप में देश में सबसे आधुनिक है. फैक्ट्री के निर्माण में ऑल्स्टम कंपनी ने 74 प्रतिशत राशि का निवेश किया है, वहीं भारतीय रेलवे की इस फैक्ट्री में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी है. 260 एकड़ में फैली हुई है यह फैक्ट्री ।

सिंचाई

बिहार में कुल सिंचाई क्षमता 28.63 लाख हेक्‍टेयर है। यह क्षमता बड़ी तथा मंझोली सिंचाई परियोजनाओं से जुटाई जाती है। यहाँ बड़ी और मध्‍यम सिंचाई परियोजनाओं का सृजन किया गया है और 48.97 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्रफल की सिंचाई प्रमुख सिंचाई योजनाओं के माध्‍यम से की जाती है। बिहार में शिचाई नलकूप, कुंआ,और मानसून पर निर्भर करता है

शिक्षा

एक समय बिहार शिक्षा के सर्वप्रमुख केन्द्रों में गिना जाता था। नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा ओदंतपुरी विश्वविद्यालय प्राचीन बिहार के गौरवशाली अध्ययन केंद्र थे। १९१७ में खुलने वाला पटना विश्वविद्यालय काफी हदतक अपनी प्रतिष्ठा कायम रखने में सफल रहा। किंतु स्वतंत्रता के पश्चात शैक्षणिक संस्थानों में राजनीति तथा अकर्मण्यता करने से शिक्षा के स्तर में गिरावट आई। हाल के दिनों में उच्च शिक्षा की स्थिति सुधरने लगी है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की स्थिति भी अच्छी हो रही है। हाल में पटना में एक भारतीय प्राद्यौगिकी संस्थान और राष्ट्रीय प्राद्यौगिकी संस्थान तथा हाजीपुर में केंद्रीय प्लास्टिक इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्युट तथा केंद्रीय औषधीय शिक्षा एवं शोध संस्थान खोला गया है, जो अच्छा संकेत है। बिहार के सभी जिलों मे 2019 में एक-एक सरकारी इंजिनियरिंग कॉलेज खोला गया है।

विश्वविद्यालय

चिकित्सा संस्थान

इंजीनियरी संस्थान

  • राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, पटना
  • मुजफ्फरपुर प्रौद्योगिकी संस्थान
  • भागलपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
  • श्री फणीश्वर नाथ रेणु इंजीनियरिंग कॉलेज, अररिया
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी), गोपालगंज
  • पूर्णिया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (पीसीई), पूर्णिया
  • सुपौल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
  • सहरसा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (एससीई), सहरसा
  • कटिहार इंजीनियरिंग कॉलेज, कटिहार
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, लखीसराय
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज ,वैशाली
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, भोजपुर
  • राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग,बेगूसराय
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, जहानाबाद
  • दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज, दरभंगा
  • लोकनायक जय प्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी,छपरा
  • राजकीय अभियंत्रण महाविद्यालय, मधुबनी
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, किशनगंज
  • बी. पी. मंडल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, मधेपुरा
  • नालन्दा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी), नवादा
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी), जमुई
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी), बांका
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज,बक्सर
  • शेरशाह इंजीनियरिंग कॉलेज, सासाराम
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, कैमूर
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी), सीवान
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी), समस्तीपुर
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज शेखपुरा (जीईसी शेखपुरा)
  • सीतामढी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एसआईटी), सीतामढी
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, खगड़िया
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, मुंगेर
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी), पश्चिम चंपारण
  • मोतिहारी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, मोतिहारी
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज, अरवल
  • गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी), शिवहर

अन्य प्रमुख शैक्षणिक संस्थान

  • शेरिकलचर इंसटीचयूट भागलपुर
  • चाणक्य विधि विश्वविद्यालय, पटना
  • अनुग्रह नारायण सामाजिक परिवर्तन संस्थान, पटना
  • ललितनारायण मिश्रा सामाजिक परिवर्तन संस्थान, पटना
  • केंद्रीय प्लास्टिक इंजिनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्युट (सिपेट), हाजीपुर
  • केंद्रीय औषधीय शिक्षा एवं शोध संस्थान (नाइपर), हाजीपुर
  • होटल प्रबंधन, खानपान एवं पोषाहार संस्थान, हाजीपुर
  • प्राकृत जैनशास्त्र एवं अहिंसा संस्थान, वैशाली

भर्ती एजेंसी

बिहार सरकार

बिहार राज्य भारतीय गणराज्य के संघीय ढाँचे में द्विसदनीय व्यवस्था के अन्तर्गत आता है। राज्य का संवैधानिक मुखिया राज्यपाल है लेकिन वास्तविक सत्ता मुख्यमंत्री और मंत्रीपरिषद के हाथ में होता है। विधानसभा में चुनकर आनेवाले विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री का चुनाव पाँच वर्षों के लिए किया जाता है जबकि राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। प्रत्यक्ष चुनाव में बहुमत प्राप्त करनेवाले राजनीतिक दल अथवा गठबंधन के आधार पर सरकार बनाए जाते हैं। उच्च सदन या विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष ढंग से ६ वर्षों के लिए होता है।

प्रशासन

प्रशासनिक सुविधा के लिए बिहार राज्य को 9 प्रमंडल तथा 38 मंडल (जिला) में बाँटा गया है। जिलों को क्रमश: 101 अनुमंडल, 534 प्रखंड (अंचल), 8,471 पंचायत, 45,103 गाँव में बाँटा गया है। राज्य का मुख्य सचिव नौकरशाही का प्रमुख होता है जिसे श्रेणीक्रम में आयुक्त, जिलाधिकारी, अनुमंडलाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी या अंचलाधिकारी तथा इनके साथ जुड़े अन्य अधिकारी एवं कर्मचारीगण रिपोर्ट करते हैं। पंचायत तथा गाँवों का कामकाज़ सीधेतौर पर चुनाव कराकर मुखिया, सरपंच तथा वार्ड सदस्यों के अधीन संचालित किया जाता है। नगरपालिका आम निर्वाचन 2017 के बाद बिहार में नगर निगमों की संख्या 19,[16] नगर परिषदों की संख्या 49 और नगर पंचायतों की संख्या 80 है।इसके साथ ही बिहार की सरकार अपने नागरिको के लिए सभी सुविधा जनक कार्य भी करते है जैसे की हाल ही में उनके द्वारा online portal rtps जारी किया गया. [17][18][19][20][21][22]

पटना, तिरहुत, सारण, दरभंगा, कोशी, पूर्णिया, भागलपुर, मुंगेर तथा मगध प्रमंडल के अन्तर्गत आनेवाले जिले इस प्रकार हैं:

दर्शनीय स्थल

त्रिमोहिनी संगम

त्रिमोहिनी संगम पर बन रहा पर्यटकों के लिए पर्यटन स्थल।

बिहार के कटिहार जिले के अंतर्गत कुर्सेला प्रखंड के कटरिया गांव के NH-31 से रास्ता त्रिमोहिनी संगम की ओर जाती है।प्रकृति की अनुपम दृश्य देखने को मिलता है। यहाँ तीन नदियों का संगम है जिसमे प्रमुख रूप से गंगा और कोशी का मिलन है। गंगा नदी दक्षिण से उत्तर दिशा में प्रवाहित होती है। कलबलिया नदी की एक छोटी धारा इस उत्तरवाहिनी गंगा तट से मिलकर संगम करती है। 12 फरवरी वर्ष 1948 में महात्मा गांधी के अस्थि कलश जिन 12 तटों पर विसर्जित किए गए थे, त्रिमोहिनी संगम भी उनमें से एक है |

पटना के पर्यटन स्थल

सभ्यता द्वार.

पटना राज्य की वर्तमान राजधानी तथा महान ऐतिहासिक स्थल है। अतीत में यह सत्ता, धर्म तथा ज्ञान का केंद्र रहा है। निम्न स्थल पटना के महत्वपूर्ण दार्शनिक स्थल हैं:

  • प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतें: कुम्रहार परिसर, अगमकुआँ, महेन्द्रूघाट, शेरशाह के द्वारा बनवाए गए किले का अवशेष
  • ब्रिटिश कालीन भवन: जालान म्यूजियम, गोलघर, पटना संग्रहालय, विधान सभा भवन, हाईकोर्ट भवन, सदाकत आश्रम
  • धार्मिक स्थल : महावीर मंदिर,बड़ी पटनदेवी,छोटी पटनदेवी,शीतला माता मंदिर,इस्कॉन मंदिर,हरमंदिर(पटना), महाबोधि मंदिर(गया),एनआईटी घाट,

माता सीता की जन्मस्थली(सीतामढ़ी), कवि विद्यापति सह उगना महादेव मंदिर(मधुबनी), द•भारत स्थापत्यकला विष्णु मंदिर(सुपौल), सिहेश्वरनाथ मंदिर(मधेपुरा),काली मंदिर रामनगर महेश(कुमारखंड,मधेपुरा),सबसे ऊँची काली मंदिर(अररिया), नृसिंह अवतार स्थल(पूर्णियाँ), सूर्य मंदिर,नवलख्खा मंदिर,थावे(गोपालगंज)माँ दुर्गा माता मंदिर,नेचुआ जलालपुर रामबृक्ष धाम, दुर्गा मंदिर, अमनौर वैष्णो धाम ,आमी अम्बिका दुर्गा मंदिर,माँ दुर्गा की मंदिर छपरा, सीता जी का जन्म स्थान, पादरी की हवेली, शेरशाह की मस्जिद, बेगू ह्ज्जाम की मस्जिद, पत्थर की मस्जिद, जामा मस्जिद, फुलवारीशरीफ में बड़ी खानकाह, मनेरशरीफ - सूफी संत हज़रत याहया खाँ मनेरी की दरगाह, भारत की प्रथम महिला सूफी संत हजरत बीबी कमाल का कब्र (जहानाबाद) mithilanchal

सारण तथा आसपास

प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा से लगनेवाला सोनपुर मेला[23], सारण जिला का नवपाषाण कालीन चिरांद गाँव[24], कोनहारा घाट, नेपाली मंदिर, रामचौरा मंदिर, १५वीं सदी में बनी मस्जिद, दीघा-सोनपुर रेल-सह-सड़क पुल, महात्मा गाँधी सेतु, गुप्त एवं पालकालीन धरोहरों वाला चेचर गाँव

वैशाली तथा आसपास
छठी सदी इसापूर्व में वज्जिसंघ द्वारा स्थापित विश्व का प्रथम गणराज्य के अवशेष, अशोक स्तंभ, बसोकुंड में भगवान महावीर की जन्म स्थली, अभिषेक पुष्करणी, विश्व शांतिस्तूप, राजा विशाल का गढ, चौमुखी महादेव मंदिर, भगवान महावीर के जन्मदिन पर वैशाख महीने में आयोजित होनेवाला वैशाली महोत्सव
राजगीर तथा आसपास
राजगृह मगध साम्राज्य की पहली राजधानी तथा हिंदू, जैन एवं बौध धर्म का एक प्रमुख दार्शनिक स्थल है। भगवान बुद्ध तथा वर्धमान महावीर से जुडा कई स्थान अति पवित्र हैं। वेणुवन, सप्तपर्णी गुफा, गृद्धकूट पर्वत, जरासंध का अखाड़ा, गर्म पानी के कुंड, मख़दूम कुंड आदि राजगीर के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल हैं।
नालंदा तथा आसपास
नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष, पावापुरी में भगवान महावीर का परिनिर्वाण स्थल एवं जलमंदिर, बिहारशरीफ में मध्यकालीन किले का अवशेष एवं १४वीं सदी के सूफी संत की दरगाह (बड़ी दरगाह एवं छोटी दरगाह), नवादा के पास ककोलत जलप्रपात। :प्राचीन काल का सबसे लोकप्रिय महाविहार, अकादमिक उत्कृष्टता का एक महत्वपूर्ण बौद्ध केंद्र और आध्यात्मिकता की भावना से ओत-प्रोत एक मामूली तीर्थस्थल, नालंदा वर्तमान में भी समान रूप से समृद्ध स्थान बना हुआ है. यह आध्यात्मिकता, इतिहास, संस्कृति, वास्तुकला और पर्यटन का जीवंत पदार्थ प्रदान करता है।[25]
गया एवं बोधगया
हिंदू धर्म के अलावे बौद्ध धर्म मानने वालों का यह सबसे प्रमुख दार्शनिक स्थल है। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ दुनिया भर से हिंदू आकर फल्गू नदी किनारे पितरों को तर्पण करते हैं। विष्णुपद मंदिर, बोधगया में भगवान बुद्ध से जुड़ा पीपल का वृक्ष तथा महाबोधि मंदिर के अलावे तिब्बती मंदिर, थाई मंदिर, जापानी मंदिर, बर्मा का मंदिर, बौधनी पहाड़ी { इमामगंज } . महाबोधि मंदिर के लिए यह प्रसिद्ध है, माना जाता है कि यहीं बोधि वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. ये जगह बिहार के टूरिस्ट प्लेस में से एक माना गया है.
: मधुबनी : बिहार में एक प्राचीन शहर, मधुबनी कला और संस्कृति में समृद्धि के लिए जाना जाता है, जिसके लिए जिला प्रयास करता है. रामायण में उल्लेखित, यह शहर विश्व प्रसिद्ध मधुबनी चित्रों के लिए जाना जाता है, जिनकी उत्पत्ति यहीं हुई थी।
भागलपुर तथा आसपास
प्राचीन शिक्षा स्थल के अलावे यह बिहार में तसर सिल्क उद्योग केंद्र है। पाल शासकों द्वारा बनवाये गये प्राचीन विश्व विख्यात विक्रमशिला विश्वविद्यालय का अवशेष, वैद्यनाथधाम मंदिर, सुलतानगंज, मुंगेर में बनवाया मीरकासिम का किला और मंदार पर्वत बौंसी बाँका एक प्रमुख धार्मिक स्थल जो तीन धर्मो का संगम स्थल है। विष्णुपुराण के अनुसार समुद्र मंथन यही संपन्न हुआ था और यही पर्वत जिसका प्राचीन नाम मंद्राचल पर्वत( मंदार वर्तमान में) जो मथनी के रूप में प्रयुक्त हुआ था।
चंपारण
सम्राट अशोक द्वारा लौरिया में स्थापित स्तंभ, लौरिया का नंदन गढ़, नरकटियागंज का चानकीगढ़, वाल्मीकिनगर जंगल, बापू द्वारा स्थापित भीतीहरवा आश्रम, तारकेश्वर नाथ तिवारी का बनवाया रामगढ़वा हाई स्कूल, स्वतंत्रता आन्दोलन के समय महात्मा गाँधी एवं अन्य सेनानियों की कर्मभूमि तथा अरेराज में भगवान शिव का मन्दिर, केसरिया में दुनिया का सबसे बड़ा बुद्ध स्तूप जो पूर्वी चंपारण में एक आदर्श पर्यटन स्थल है | .
सीतामढी तथा आसपास
पुनौरा में देवी सीता की जन्मस्थली, जानकी मंदिर एवं जानकी कुंड, हलेश्वर स्थान, पंथपाकड़, यहाँ से सटे नेपाल के जनकपुर जाकर भगवान राम का स्वयंवर स्थल भी देखा जा सकता है।
सासाराम
अफगान शैली में बनाया गया अष्टकोणीय शेरशाह का मक़बरा वास्तुकला का अद्भुत नमूना है।
देव - देव सूर्य मंदिर
देव सूर्य मंदिर की तस्वीर अद्भुत शिल्प कला का स्वरूप

देव सूर्य मंदिर, देवार्क सूर्य मंदिर या केवल देवार्क के नाम से प्रसिद्ध, यह भारतीय राज्य बिहार के औरंगाबाद जिले में देव नामक स्थान पर स्थित एक हिंदू मंदिर है जो देवता सूर्य को समर्पित है। यह सूर्य मंदिर अन्य सूर्य मंदिरों की तरह पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है।[26]

देवार्क मंदिर अपनी अनूठी शिल्पकला के लिए भी जाना जाता है। पत्थरों को तराश कर बनाए गए इस मंदिर की नक्काशी उत्कृष्ट शिल्प कला का नमूना है। इतिहासकार इस मंदिर के निर्माण का काल छठी - आठवीं सदी के मध्य होने का अनुमान लगाते हैं जबकि अलग-अलग पौराणिक विवरणों पर आधारित मान्यताएँ और जनश्रुतियाँ इसे त्रेता युगीन अथवा द्वापर युग के मध्यकाल में निर्मित बताती हैं।

परंपरागत रूप से इसे हिंदू मिथकों में वर्णित, कृष्ण के पुत्र, साम्ब द्वारा निर्मित बारह सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर के साथ साम्ब की कथा के अतिरिक्त, यहां देव माता अदिति ने की थी पूजा मंदिर को लेकर एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य में छठी मैया की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी। कहते हैं कि उसी समय से देव सेना षष्ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया और छठ का चलन भी शुरू हो गया। अतिरिक्त पुरुरवा ऐल, और शिवभक्त राक्षसद्वय माली-सुमाली की अलग-अलग कथाएँ भी जुड़ी हुई हैं जो इसके निर्माण का अलग-अलग कारण और समय बताती हैं। एक अन्य विवरण के अनुसार देवार्क को तीन प्रमुख सूर्य मंदिरों में से एक माना जाता है, अन्य दो लोलार्क (वाराणसी) और कोणार्क हैं।

मंदिर में सामान्य रूप से वर्ष भर श्रद्धालु पूजा हेतु आते रहते हैं। हालाँकि, यहाँ बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष तौर पर मनाये जाने वाले छठ पर्व के अवसर पर भारी भीड़ उमड़ती है

कोकिलचंद बाबा मंदिर, गंगरा

जमुई जिले में गंगरा एक गाँव है, जो बाबा कोकिलचंद के पैतृक निवास के लिए प्रसिद्ध है। कोकिलचंद बाबा मंदिर में चारों ओर से लोग पूजा करने आते हैं। यह 700 साल पुराना माना जाता है। इस गाँव के कोई भी लोग शराब नहीं पीते है। यहाँ लगभग 700 वर्षों से शराबबंदी हैं।

जीवन उन्नयन के लिऐ बाबा कोकिलचंद का त्रिसूत्रीय संदेश मूल मंत्र के समान है । ये त्रिसूत्र है - 1* शराब से दूर रहना 2*नारी का सम्मान करना 3* अन्न की रक्षा करना जो आज भी प्रासंगिक है । बाबा कोकिलचंद धाम गंगरा सदियों से शराब मुक्त है ।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Senior BJP Leader Phagu Chauhan Appointed Governor of Bihar, to Take Over From Lal Ji Tandon". News18. 20 July 2019. अभिगमन तिथि 25 July 2019.
  2. "State Profile". Government of Bihar. मूल से 22 September 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 September 2017.
  3. "Bihar Profile" (PDF). census.gov.in. अभिगमन तिथि 14 March 2020.
  4. "Bihar Budget Analysis 2022-23". PRS Legislative Research. 2021. अभिगमन तिथि 4 April 2022.
  5. "The Bihar Official Language Act, 1950" (PDF). Cabinet Secretariat Department, Government of Bihar. 1950. मूल से 13 April 2015 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 9 April 2015.
  6. "Sub-national HDI – Area Database". Global Data Lab (अंग्रेज़ी में). Institute for Management Research, Radboud University. मूल से 23 September 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 July 2021.
  7. Provisional Population Totals – India. Censusindia.gov.in, पृष्ठ 108. 111. (Report).
  8. "Census 2011 (Final Data) – Demographic details, Literate Population (Total, Rural & Urban)" (PDF). planningcommission.gov.in. Planning Commission, Government of India. मूल (PDF) से 27 January 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 October 2018.
  9. "G-20 के मेहमान नालंदा विश्विद्यालय के बारे में जानकर रह गए दंग". प्रभात खबर. 11 सितम्बर 2023. अभिगमन तिथि 29 नवंबर 2023.
  10. "सोनपुर मेला में रशिया के कलाकारों ने लोक नृत्य से बांधा समा, भारत को बताया परफेक्ट देश". प्रभात खबर. 29 नवंबर 2023. अभिगमन तिथि 29 नवंबर 2023.
  11. Benedikter, Thomas (2009). Language Policy and Linguistic Minorities in India: An Appraisal of the Linguistic Rights of Minorities in India. Münster: LIT Verlag. पृ॰ 89. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-3-643-10231-7. मूल से 19 October 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 April 2015.
  12. "Archived copy" (PDF). मूल (PDF) से 5 March 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 May 2016.सीएस1 रखरखाव: Archived copy as title (link)
  13. Chitransh, Anugya (1 September 2012). "Bhojpuri is not the only language in Bihar". Hill Post. मूल से 28 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 April 2015.
  14. "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 अप्रैल 2019.
  15. "बिहार के फेमस फूड्स, जीवन में एक बार जरूर करें ट्राई". प्रभात खबर. 13 दिसंबर 2023. अभिगमन तिथि 13 दिसंबर 2023.
  16. "बिहार निकाय चुनाव 2022: पटना-भागलपुर समेत 9 नगर निगम में महिलाएं बनेंगी मेयर".
  17. "Bihar Civic elections likely in May 2017". मूल से 31 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 मार्च 2017.
  18. "बिहार : नगर विकास एवं आवास विभाग की पहल, पुनर्गठन से नगर परिषदों की बढ़ जायेगी संख्या". मूल से 24 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
  19. "Ward delimitation begins in Chhapra". मूल से 27 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
  20. "पहली बार कोई महिला बनेगी पटना नगर निगम की मेयर". मूल से 24 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
  21. "छपरा को निगम बख्तियारपुर को मिला नगर परिषद का दर्जा". मूल से 24 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
  22. "Types of Higher Government Jobs- Civil Services". Government Jobs. 27 फरवरी 2022. मूल से 27 फ़रवरी 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 फ़रवरी 2022.
  23. "उत्तर वैदिक काल से शुरू हुआ था सोनपुर मेला". मूल से 26 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 मार्च 2017.
  24. "BIHAR: A QUICK GUIDE TO SARAN". मूल से 23 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 मार्च 2017.
  25. "बिहार में घूमने के लिए कौन सी जगह है सबसे बेस्ट, यहां करें विजिट". प्रभात खबर. 16 जनवरी 2023. अभिगमन तिथि 13 दिसंबर 2023.
  26. Sharma, Sunil (10 जनवरी 2018). "खुद को बचाने के लिए सूर्य मंदिर ने बदल ली थी दिशा". www.patrika.com.

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