बिमल मित्र
बिमल मित्र | |
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चित्र:Bimal Mitra author.jpg | |
जन्म | 18 मार्च 1912 फतेहपुर, बंगाल प्रांत, ब्रिटिश भारत |
मौत | 2 दिसम्बर 1991 चेतला, कलकत्ता, पश्चिम बंगाल, भारत | (उम्र 78)
पेशा | लेखक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | उपन्यास, कहानी |
उल्लेखनीय कामs | साहेब बीबी गुलाम, कोरी दिए किनलाम |
खिताब | रबीन्द्र पुरस्कार |
विमल मित्र या बिमल मित्र (18 दिसंबर 1912 - 1991) एक विख्यात बांग्ला लेखक व उपन्यासकार हैं। विमल ने सन् 1938 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बांग्ला साहित्य में एम.ए. की उपाधि ली और रेलवे में विभिन्न पदों पर नौकरी की। जून 1956 में उन्होनें डिप्टी चीफ कंट्रोलर के पद से इस्तीफा दे दिया और स्वतंत्र लेखन करने लगे। उन्होंने भारतीय साहित्य को लगभग साढ़े तीन दशकों तक लिखते हुए 60 से अधिक उपन्यास और कहानी संग्रह दिए हैं। उनकी सर्वाधिक चर्चित कृतियों में साहिब बीवी और गुलाम शामिल है, जिस पर एक लोकप्रिय फिल्म का भी निर्माण हुआ। मुजरिम हाजिर नाम उनकी एक अन्य कृति पर एक लोकप्रिय टीवी धारावाहिक का भी निर्माण हुआ।
हिन्दी पाठकों को उनकी जो रचनाएं अनुवादित होकर पढ़ने को मिली, उनमें 'साहब बीवी और गुलाम', 'खरीदी कौड़ियों के मोल' (दो-खंड), 'इकाई, दहाई, सैकड़ा', 'बेगम मेरी विश्वास' (दो खंड), 'दायरे के बाहर', 'मैं', 'राजा बादल', 'चरित्र', 'गवाह नंबर 3', 'वे दोनों', 'काजल', 'कन्यापक्ष', 'रोकड़ जो नहीं मिली,' 'चलो कलकत्ता,' 'हासिल रहा तीन', 'तपस्या', 'राग भैरवी', 'सुबह का भूला' जैसी कृतियां उल्लेखनीय हैं।