बालेश्वर यादव
बालेश्वर यादव | |
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बालेश्वर यादव | |
जन्म | जनपद मऊ, उत्तर प्रदेश |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
राजनीतिक दल | समाजवादी पार्टी |
निवास | बदनपुर गाँव, मधुबन क्षेत्र, मऊ, उत्तर प्रदेश |
पेशा | राजनेता और लोक गायक |
धर्म | हिन्दू |
बालेश्वर यादव (भोजपुरी: बलेसर ; १९४२ - ११ जनवरी २००८) भोजपुरी/अवधी के प्रसिद्ध लोकगायक थे। उनके गाये बिरहा बहुत ही लोकप्रिय हुए। उनका जन्म पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ के मधुबन क्षेत्र के बदनपुर गाँव हुआ था जो वर्तमान में जनपद मऊ का हिस्सा है जो घाघरा नदी के किनारे पर स्थित है। बालेश्वर भोजपुरी जगत के पहले सुपरस्टार थे, इनके कई गानों को बॉलीवुड में कॉपी किया गया।[1]
परिचय
इनका विवाह श्रीमती छंगूरी देवी से बचपन में ही हो गया था। बालेश्वर यादव ने देश विदेश में बिरहा के द्वारा समाज में फैली कुरीतियां, अशिक्षा, निर्धनता, बेरोजगारी, दहेज़ प्रथा, बालविवाह, जातिप्रथा, धर्मान्धता, ब्राह्मणवाद, संकीर्ण राजनीती जैसी अन्य समस्याओं पर गहरा प्रभाव डाला है।
प्रारंभिक उपलब्धि
सन 1962 में सांसद झारखंडे राय के संपर्क में आकर लखनऊ रेडिओ स्टेशन से लोकगीत का प्रोग्राम देने का मौका मिला, बस वहीँ से बालेश्वर यादव भोजपुरी बिरहा के चाहने वालों के दिल की धड़कन बन गए। [2]
देश विदेश की उपलब्धियां
बालेश्वर यादव जी ने भोजपुरी लोकगीत का झंडा न सिर्फ देश में बल्कि विदेश जैसे गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, मारीशस, फिजी एवम हालैंड आदि देशों में जहाँ भी भारतीय सदियों से बसे हैं, अपनी संगीत, लोकगीत एवं देश का झंडा फहराया है।
मृत्यु
बालेश्वर यादव ने 09 जनवरी 2011 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी हॉस्पिटल लखनऊ में अंतिम सांसे ली, जिससे देश एवं भोजपुरी प्रेमियों को अपूर्ण क्षति हुई है। [3]
इनकी प्रमुख गाए हुए गाने निम्न्वत है:
- सईया साजन
- ससुरा में जैयबू
- दुश्मन मिले सवेरे लेकिन मतलबी यार ना मिले
- हम कोइलरी चली जाइब ए ललमुनिया के माई
- बिकाई ए बाबू BA पास घोड़ा
- चलीं ए धनिया ददरी क मेला
- हमार बलिया बीचे बलमा हेराइल सजनी
- अपने त भइल पुजारी ए राजा, हमार कजरा के निहारी ए राजा
- बाबू क मुंह जैसे फ़ैज़ाबादी बंडा, दहेज में मांगेलें हीरो होंडा
- दुश्मन मिले सवेरे लेकिन मतलबी यार ना मिले
- मूरख मिले बलेसर, पर पढ़ा-लिखा गद्दार ना मिले,
- पान खा ला मुन्नी साढ़े तीन बजे मुन्नी
- तीन बजे मुन्नी जरूर मिलना, साढ़े तीन बजे.
बालेश्वर यादव ने इस गाने को लिखा जिससे प्रेरणा पाकर अनजान ने अमिताभ बच्चन की ‘आज का अर्जुन' में गाना शामिल किया था ‘चली आना तू पान की दुकान पे साढ़े तीन बजे’ ।[4] बालेश्वर यादव ने 2008 में सूरीनाम में आखिरी शो किया था ।
उपलब्धि
संगीत क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए १९९४ में इन्हें यश भारती पुरस्कार[5] से नवाजा गया।
शिष्य
भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव, खेसारी लाल यादव, अवधी गायक दिवाकर द्विवेदी आदि ने बालेश्वर यादव जी से गीत गाना सीखा है
सन्दर्भ
- ↑ "वो 'झरेला' भोजपुरी गायक, जिसका गाना बॉलीवुड चुराता है". द लल्लन टॉप. मूल से 9 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2019.
- ↑ News Desk, Harraiya Times (2021-02-08). "बालेश्वर यादव - प्रारंभिक उपलब्धि". Harraiya Times. मूल से 8 फ़रवरी 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-02-08.
- ↑ News Desk, Harraiya Times (2021-02-08). "बालेश्वर यादव की जीवनी, उम्र, राजनीतिक जीवन और कहानी". Harraiya Times. मूल से 8 फ़रवरी 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-02-08.
- ↑ "'चली आना तू पान की दुकान पे', भोजपुरी सिंगर का वो मशहूर गाना जो अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया". जनसत्ता. मूल से 31 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 जून 2020.
- ↑ "Yash Bharti Award List". मूल से 2 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित.