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बारोवारी

बारोवारी (बंगाली: বারোয়ারি) पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में त्योहारों के अवसर पर जनता से एकत्रित किए गए चंदे के साथ आयोजित सामूहिक पूजा और उत्सव को कहते हैं। दुर्गा पूजा के दिनों में बंगाल-भर में कई मोहल्लों में बारोवारियाँ संगठित होती हैं।द टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार के अनुसार कोलकाता में लगभग 3500 बरोवारी पूजा होती हैं।

नामोत्पत्ति

कहा जाता है कि १७९० ईसवी या उसके आसपास किसी मोहल्ले में रहने वाले कुछ परिवारों में दुर्गा पूजा के दौरान आपसी अनबन हो गई जिस वजह से उन परिवारों के कुछ पुरुषों को पारिवारिक पूजा में हिस्सा नहीं लेने दिया गया। ऐसे बाराह दोस्तों ने मिलकर स्वयं ही एक सामूहिक पूजा आयोजित करी और यह मोहल्ले में इतनी लोकप्रिय रही कि ऐसी समितियाँ बनाकर उत्सव आयोजित करना बंगाल में आम हो गया। क्योंकि यह सबसे १२ यारों ने आयोजित करी थी, इसलिये इसका नाम 'बारोयारी' हो गया, जो समय के साथ बिगड़कर 'बारोवारी' बन गया।[1][2]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Linguistic Situation In North-East India, pp. 113, Concept Publishing Company, 2003, ISBN 9788180690266, ... In social life the barowari or public puja, which had first been performed near Santipur in Bengal about in 1790, came to occupy a significant place though this sort of puja subsisting on public subscriptions tended to take the character of a festival rather than a religious function ...
  2. Ritual worship of the great goddess: the liturgy of the Durgā Pūjā with interpretations, Hillary Rodrigues, State University of New York Press, 2003, ISBN 9780791453995, ... The first of these was the so-called Barowari Puja, named after the group of twelve friends who first celebrated it in 1790 ...