बाब-ए-पाकिस्तान
बाब ए-पाकिस्तान (उर्दू: باب پاكستان ) (अर्थात् पाकिस्तान का द्वारगाह) पाकिस्तान का एक भावी राष्ट्रीय स्मारक है जो फिलहाल निर्माणाधीन है। इस स्मारक को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लाहौर शहर के उसी स्थल पर निर्मित किया जा रहा है जहां पर पाकिस्तान की आज़ादी के बाद, भारत से आए मुसलमान शरणार्थियों के सबसे बड़े शीविरों में से एक हुआ करता था। इस प्रकार के स्मारक का भाव, सर्वप्रथम 1985 में पंजाब के राज्यपाल ग़ुलाम जिलानी ख़ान ने प्रस्तावित किया था एवं इसे फ़ौरन ततकालीन राष्ट्रपति मुहम्मद ज़ियाउलहक़ द्वारा स्वीकृती दे दी गई। इस स्मारक की बनावट को लाहौर-स्थित अर्क़िटेक्ट(वासूतशास्त्री) अम्ज़द मुख़तार ने तईयार किया है, जो की लाहौर के नैश्नल काॅलेज औफ़ आर्ट्स्(रष्ट्रिय कला महाविद्यालय) के ग्रैजुएट हैं। [1]
इस परियोजने को प्रारंभन के दौरान, 1988 में रार्ष्ट्रपती ज़ियाउलहक़की मृत्यू के बाद आई अस्थिर राजनैतिक स्थिती के कारण कुछ कठिनाईयों का अनुभव करना पड़ा। इस परियोजना को पुनरआरंभित करने का प्रयास 1991 में प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ द्वारा किया गया था। तृतीय प्रयास राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के शासन द्वारा किया गया था। [2]वर्ष 2007 के स्थितीनुसार निर्माण जारी है और वर्ष 2014 तक पूर्ण होने को निर्धारित है।[3]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Bab-e-Pakistan Project". Government of Pakistan. मूल से 25 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 November 2007.
- ↑ "Musharraf approves Bab-e-Pakistan construction". Government of Pakistan. 29 March 2004. मूल से 7 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 November 2007.
- ↑ "Bab-e-Pakistan to be ready by August 2009". Daily Times of Pakistan. 6 April 2007. मूल से 8 अप्रैल 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 November 2007.