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बाणमाता जी


श्री बाण माताजी चितौड़गढ़ दुर्ग

श्री बाण माता जी (श्री ब्रह्माणी माताजी, श्री बायण माताजी, श्री बाणेश्वरी माताजी) मेवाड के सूर्यवंशी, सिसोदिया,राणावत,गहलोत, चुण्डावत, शक्तावत , [गुहिल] राजवंश की कुलदेवी है।[1][2]

Baneshwari mataji

बाण माता जी को सैनिक क्षत्रिय समाज के गहलोत गौत्र के भी अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते हैं।राव काजलसेन गहलोत द्वारा बाण माता कि जोत और मूर्ति को अपनो साथ चित्तौड़गढ़ से कुचेरा,नागौर ले आए। उसके बाद राव हेमा गहलोत द्वारा बाण माता कि मूर्ति को कूचेरा से मण्डोर तहसील ले आए।[3] बाण माता जी का मन्दिर चितौड़गढ़ दुर्ग मेंं स्थित है।[4] बाण माताजी को गुजरात से लाये थे। वहाँ उनको श्री ब्रह्माणी माता के नाम से पूजा जाता है। चित्तौड़गढ़ मन्दिर मैं आरती व देखभाल का कार्य पालीवाल ब्राह्मण परिवार द्वारा किया जाता है वर्तमान मै प्रभुलाल जी यहाँ के पुजारी हैं।

श्री बाणमाताजी मन्दिर चित्तौड़गढ़ नवरात्रि के समय श्री बाण माताजी सेवा संस्थान(चित्तौड़गढ़) द्वारा दर्शनार्थियों के लिए खाने पीने और व्रतधारियों के लिए भी व्यवस्था की जाती है, श्री बाण माताजी मन्दिर के बाहर ३६५ दिन निशुल्क भोजनशाला भी चलती है जो यात्रियों के लिए अहम सुविधा प्रदान करती है।


सन्दर्भ

  1. मॉकटाइम, प्रकाशन. Rajasthan Patwari Previous Papers. मॉकटाइम पब्लिकेशन द्वारा.
  2. बाणमाता का अस्तित्व Archived 2017-02-02 at the वेबैक मशीन अभिगमन तिथि.25 जून 2017
  3. "श्रीबाण माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है ये परिवार". अभिगमन तिथि 22 जून 2020.
  4. टीम, प्रभात (2021). RAJASTHAN PATWAR CHAYAN PARIKSHA-2021 (14 SOLVED PAPERS EVAM 5 PRACTICE SETS). प्रभात प्रकाशन.