बागुन सुमब्राई
बागुन सुम्ब्रुई (24 फरवरी 1924 – 22 जून 2018) एक भारतीय राजनीतिज्ञ, आदिवासी नेता तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। वह 1977 से 2004 तक पांच बार झारखंड के सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र के संसद रहे।[1] वह एक गांधीवादी नेता थे और उन्हें "झारखंड के गांधी" के नाम से भी जाना जाता है।
जीवनी
सुम्ब्राई का जन्म 24 फरवरी 1924 में तत्कालीन बिहार के सिंहभूम (अब पश्चिमी सिंहभूम जिला, झारखण्ड) के मुफस्सिल थाना में भूता नामक गांव में हुआ था।[2]
उन्होंने सातवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी। वह संथाली, हिन्दी, बांग्ला, अंग्रेजी सहित अनेक भाषाओं के जानकार थे।
आंदोलन
बागुन सुम्ब्राई के पिता ब्रिटिश शासन के दौरान एक मुंडा थे। पिता की मृत्यु के बाद उन्हें ग्राम मुंडा चुना गया। ग्राम मुंडा रहने के दौरान उन्होंने चार पीढ़ के 138 गांवों को 1945 में वन विभाग को मालगुजारी देने से इन्कार किया और अंग्रेजी शासन के खिलाफ जबर्दस्त आंदोलन चलाया। बाद में, वह राजनीति में शामिल हो गए।
राजनीतिक जीवन
सुम्ब्राई ने राजनीति में आने से पहले ही डायन प्रथा जैसी कुरीतियों के खिलाफ कई सामाजिक आंदोलनों की शुरुआत की थी। उनका राजनीति सफर 1967 से झारखंड पार्टी के साथ शुरू हुआ। उन्होंने झारखंड पार्टी के संस्थापक जयपाल सिंह मुंडा के साथ अलग झारखंड राज्य के लिए कई आंदोलन किए। बागुन सुम्ब्राई ने "बिहारी भगाओ आंदोलन" भी चलाया था।
सुम्ब्राई 1952 से लेकर 1977 तक झारखंड पार्टी के सदस्य रहे। 1967-69 में पहली बार वह बिहार विधानसभा में सिंहभूम निर्वाचन क्षेत्र से झारखंड पार्टी के विधायक बने। वह 1967, 1969, 1972 और 2000 में सिंहभूम निर्वाचन क्षेत्र से चार बार विधायक बने। वह 1967-68 में लोक लेखा समिति के सदस्य बने। 1969-72 में बिहार सरकार के वन उत्पादन, परिवहन, कल्याण और खेल मंत्री भी रहे। 1972 में वह एसटी, एससी और बीसी कल्याण समिति के सदस्य रहे। 2000 में वह बिहार और झारखंड सरकार में जनजातीय कल्याण मंत्री तथा श्रम और कल्याण मंत्रालय में सलाहकार समिति के सदस्य थे।[3]
1977-79 में सुम्ब्राई पहली बार सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए। वह 1977-79 में छठी लोकसभा, 1980-84 में सातवीं लोकसभा, 1984-89 में आठवीं लोकसभा, 1989-91 में नौवीं लोकसभा और 2004 में चौदहवीं लोकसभआ मे सिंहभूम से पांच बार सांसद रहे।[4]
1968-79 में सुम्ब्राई अखिल भारतीय झारखंड पार्टी के अध्यक्ष बने, 1979 में वह जनता पार्टी, बिहार के सदस्य बने। फिर 1980 में भारतीय जनता पार्टी, बिहार के सदस्य बने।
पत्नियां
सुम्ब्राई अपने वैवाहिक जीवन के लिए भी हमेशा चर्चा में रहे। उनकी अनेक महिलाओं के साथ वैवाहिक संबंध थे।[5] वह खुद भी चार पत्नी होने की बात स्वीकार करते थे। इनमें दशमती सुम्ब्रई, चंद्रवती सुम्ब्रई, पूर्व मंत्री मुक्तिदानी सुम्ब्रई, और अनिता बलमुचू सुम्ब्रई हैं। उनकी पहली पत्नी दसमती सुम्ब्रई, दूसरी पत्नी चंद्रवती सुम्ब्रई, तीसरी पत्नी मुक्तीदानी सुम्ब्रई तीनों का स्वर्गवास हो चुका है। पहली पत्नी से कोई बच्चा नहीं था, जबकि दूसरी पत्नी से एक पुत्र छोटा सुम्ब्रई था जिसकी मृत्यु हो चुकी है। तीसरी पत्नी से पुत्र हिटलर सुम्ब्रई व एक बेटी हैं। चौथी पत्नी अनीता से एक बेटा अविनाश सुम्ब्रई हैं।[6]
वह परित्याक्ता, विधवा और सामाजिक प्रताड़ना की शिकार महिलाओं की मदद किया करते थे, इस कारण अनेक महिलाएं सुम्ब्रई को अपना पति मानने लगीं। उनकी बहुपत्नियों का मसला एकीकृत बिहार विधानसभा में उठा, तो उस वक्त एक समिति ने जांच में पाया था कि 28 महिलाओं ने बागुन सुम्ब्रई को अपना पति बताया है।[7] इस प्रकार उनकी लगभग 58 पत्नियां होने की बात कही जाती है।
मृत्यु
सुम्ब्राई का 22 जून 2018 को 94 वर्ष की आयु में जमशेदपुर में निधन हो गया।
सन्दर्भ
- ↑ Standard, Business (2018-06-22). "Veteran Cong leader and former Lok Sabha MP Bagun Sumbrai dies". www.business-standard.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-06-25.
- ↑ "बागुन सुम्ब्रुई: झारखंड की राजनीति में एक ऐसा नाम जो जीते जी बना एक कहानी". Hindustan (hindi में). अभिगमन तिथि 2023-06-25.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "Jharkhand : सिंहभूम से सर्वाधिक पांच बार सांसद रहे बागुन, खास वजह से रहते थे चर्चा में". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2023-06-25.
- ↑ "नहीं रहे झारखंड के गांधी, बस कंडक्टर के लिए गिरा दी थी सरकार, बेटे का नाम रखा था हिटलर". Jansatta. 2018-06-24. अभिगमन तिथि 2023-06-25.
- ↑ "दिलचस्प हैं इस सांसद की स्टोरी, इतनी पत्नियां की नाम तक भूले...!". khas khabar. 2018-07-20. अभिगमन तिथि 2023-06-26.
- ↑ "Jharkhand : सिंहभूम से सर्वाधिक पांच बार सांसद रहे बागुन, खास वजह से रहते थे चर्चा में". Dainik Jagran. अभिगमन तिथि 2023-06-26.
- ↑ deepak (2022-12-31). "MP Bagun Sumbrai : भारत को वो सांसद, जिसकी थी 28 पत्नियां!, 910 रूपए में जीता चुनाव". मूल से 26 जून 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-06-26.