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बहुविवाह

बहुविवाह (प्रथा) ऐसी प्रथा है जिसमें कोई व्यक्ति स्त्री या पुरुष एक से अधिक व्यक्तियों से विवाह करता है।

वर्तमान भारतीय राजनैतिक परिदृश्य में'*बहुविवाह एवं " श्रेष्ठ पद पर आसीन व्यक्ति को एक अधिक विवाह करना अनुचित हैं*

भारत देश के कुछ राजनेताओं की कुत्सित मानसिकता का सामान्य जनता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं| देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो चुके हैं| महिला और पुरुष कई क्षेत्र में समान रूप से कार्यरत्त है| परन्तु अभी-भी कुछ ऐसी परम्पराए हैं| जो महिलाओ की उन्नति में बाधक हैं| उन उन्नति में बाधक जातिगत-परम्परा, सामाजिक-परम्परा और कानूनों में बदलाव लाकर देश की महिलाओ के लिये सुघड़ जीवन- शैली का निर्माण किया जाना अतिआवश्यक है। *लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में निर्वाचन हेतु प्रस्तुत निर्वाचन अभ्यावेदन मे प्रत्याशी द्वारा सःशपथ उद्घोषणा करवाई जाये की अभ्यार्थी(प्रत्याशी) ने एक से अधिक विवाह, छेड़-छाड़, महिलाओ का शोषण अथवा महिलाओ के खिलाफ किसी भी प्रकार का कोई अपराध सम्पादित नहीं किया हो| उक्त उदघोषण का कड़ाई से पालन करवाया जाना चाहिए| जब उच्चपदेन व्यक्ति ही इन्द्रिय सुख के लिए संविधान का उल्लंघन करेंगे तब सामाजिक जीवन प्रभावित होगा* | अत: राजनैतिक क्षेत्र से ऐसे पथभ्रष्ट राजनेताओ को हरगिज जगह नही देना चाहिए| 21 वी सदी में भी भारत की “महिलाओं कि स्थिति दयनीय हैं| कुछ इन्द्रिय सुख को सर्वोपरि रखने वाले राजनेताओ के कारण महिलाएं भय, तनाव, एवं बोझ के अधीन जीवन निर्वाह कर रही हैं| देश में कई ऐसे राजनेता भी रहे हैं जिन्हें किसी नियम या कानून का डर नहीं होता तथा अपने राजनैतिक प्रभाववश वे पुलिस, मिडिया और गवाहों को प्रभावित करने में सफल हो जाते हैं तथा दुष्कर्म के दोषी होते हुए भी सम्मानजनक पद पर रहकर शासकीय सुविधाओ का लाभ लेते हुये जीवनयापन करते है। वहीँ शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिला को समाज में चरित्रहीन की संज्ञा दी जाती है और उस शोषित स्त्री को इस हद तक प्रताड़ित किया जाता है कि वह अन्याय से हताश होकर आत्महत्या तक कर लेती हैं। “ किसी भी राजनैतिक दल द्वारा ऐसे राजनेता को निर्वाचन में भाग लेने से प्रतिषिद्ध किया जाए, जो बलात्कार,स्त्री उत्पीड़न, बहुविवाह का दोषी हो|देश मे हनीट्रैप के शिकार कई राजनेता और अधिकारी हुए हैं जिनकी चर्चा सम्पूर्ण भारत में हुई थी| उक्त घटना का एक पहलु कुछ महिलाओ ने कई राजनेताओ और अधिकारियों को अपना शिकार बनाया| परन्तु दूसरा पहलु बताता हैं कि उच्चपद पर आसीन राजनेता और अधिकारी भी इन्द्रिय-तृप्ति के लिए इन महिलाओं से शिकार (शोकीन) बनने को आतुर रहे हैं| अर्थात हनीट्रैप में किसी एक को दोषी नहीं ठहराया जा सकता| कथित प्रकरणानुसार हनीट्रैप के शौकीन और एक से अधिक विवाह करने वाले व्यक्ति को निर्वाचन और शासकीय सेवा में स्थान नहीं दिया जाना चाहिए| ऐसा व्यक्ति जिसका समाज अनुसरण करे अगर वह संविधान का उल्लंघन कर विवाह उपरांत पराई स्त्री से सम्बन्ध रखे या बहुविवाह करेगा तो वह आम जनता को गलत सन्देश देगा जिससे अच्छे समाज की रचना नहीं हो सकेगी एवं देश का विकास प्रभावित होगा। पराई स्त्री से इन्द्रिय सुख लेने वाले राजनेता का बचाव और आम जनता को सजा यह पक्षपात किसी भी देश में नहीं होना चाहिए। कुछ राजनेता संविधान का उल्लंघन कर सामाजिक जवाबदारी और नैतिक मूल्यों पर विचार किये बिना परस्त्री गमन करते हैं। फिर भी उन्हें राजनीति में सम्मानजनक पद देना सीधे–सीधे स्त्री जाति का अपमान करना हैं|