बहारों के सपने
| बहारों के सपने | |
|---|---|
|  बहारों के सपने का पोस्टर | |
| निर्देशक | नासिर हुसैन | 
| लेखक | राजिन्दर सिंह बेदी (संवाद) | 
| निर्माता | नासिर हुसैन | 
| अभिनेता | राजेश खन्ना, आशा पारेख, प्रेमनाथ | 
| संगीतकार | आर॰ डी॰ बर्मन | 
| प्रदर्शन तिथि | 1967 | 
| देश | भारत | 
| भाषा | हिन्दी | 
बहारों के सपने 1967 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। इसका निर्देशन और निर्माण नासिर हुसैन ने किया। इसमें राजेश खन्ना और नासिर हुसैन की मनपसंद अभिनेत्री आशा पारेख है। इसमें प्रेमनाथ, मदन पुरी और एक अन्य नासिर हुसैन की पसंद राजेन्द्रनाथ भी थे। नासिर की एक और पसंद की जोड़ी ने संगीत दिया - मजरुह सुल्तानपुरी ने गीत और आर॰ डी॰ बर्मन ने संगीत।[1]
संक्षेप
बम्बई के पास एक छोटे से औद्योगिक शहर में भोलानाथ (नाना पालसिकर) रहते हैं, जो स्थानीय मिल में काम करते हैं। वह गौरी के पति, एक बेटी, चंपा के पिता और उनके सब से चहेते, बेटे रमैया के गौरवान्वित पिता है। रमैया (राजेश खन्ना) कला संकाय में स्नातक हैं, - शहर में एकमात्र जिसने यह डिग्री हासिल की है। लेकिन समय कठिन है, और नौकरियों का आना मुश्किल है। जब भोलानाथ अपनी नौकरी खो देता है, तो रमैया रोजगार खोजने का फैसला करता है। उसे एक मिल में मजदूर की नौकरी मिल जाती है जिसमें उसके पिता काम करते थे।
रमैया अपने सह-मजदूरों के साथ बहुत लोकप्रिय हो जाता है और वे जल्द ही उसे अपने नया संघ का नेता चुनते हैं। यह रमैया को मिल के मालिक कपूर (प्रेमनाथ) के नेतृत्व में मिल के प्रबंधन के साथ संघर्ष में डालता है, जो आदेश देते हैं कि रमैया को जल्द से समाप्त कर दिया जाये। लेकिन रमैया मजदूरों की शिकायतों का समाधान करने के लिए दृढ़ है। अब उसे चोरी के इल्जाम में फँसा दिया जाता है; पुलिस को उसकी तलाश है, और इसलिए रमैया छिप जाता है। जब रमैया मजदूरों की बैठक में नहीं दिखता है, तो कुछ का मानना होता है कि उसे मिल प्रबंधन द्वारा खरीद लिया गया है। वे लोग मामले को अपने हाथों में लेने का फैसला करते हैं - मिल को जलाने से, कपूर और उनके परिवार को मार डाला जायेगा।
मुख्य कलाकार
- राजेश खन्ना — रमैया "राम"
- आशा पारेख - गीता
- प्रेमनाथ — मिस्टर कपूर
- राजेन्द्रनाथ — पांडू
- मदन पुरी — रंजीत
- नाना पालसिकर — भोलानाथ
- पी जयराज — दास
- अनवर हुसैन — लच्छू
- सुलोचना लाटकर — गौरी
- मनोरमा — गीता की आंटी
संगीत
सभी गीत मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।
| क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि | 
|---|---|---|---|
| 1. | "चुनरी सम्भाल गोरी उड़ी चली" | मन्ना डे, लता मंगेशकर | 6:35 | 
| 2. | "जमाने ने मारे जवाँ" (I) | मोहम्मद रफी | 3:15 | 
| 3. | "आजा पिया तोहे प्यार दूँ" | लता मंगेशकर | 4:12 | 
| 4. | "जमाने ने मारे जवाँ" (II) | मोहम्मद रफी | 4:13 | 
| 5. | "ओ मोरे सजना ओ मोरे बलमा" | लता मंगेशकर | 4:17 | 
| 6. | "दो पल जो तेरी आँखों से" | आशा भोंसले, उषा मंगेशकर | 4:26 | 
| 7. | "क्या जानू सजन होती है" | लता मंगेशकर | 5:41 | 
| कुल अवधि: | 32:39 | ||
सन्दर्भ
- ↑ "50 Years: रिलीज़ के एक हफ़्ते बाद बदला गया था राजेश खन्ना की इस फ़िल्म का Climax". दैनिक जागरण. 23 जून 2017. मूल से 27 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 फरवरी 2019.