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फ्रैडरिक बास्तियात

उदारवादी आर्थिक चिंतक और विचारक फ्रैडरिक बास्तियात

फ्रैडरिक बास्तियात (30 जून 1801 (बेयोन, फ्रांस) – 24 दिसम्बर 1850) उदारवादी आर्थिक चिंतक और विचारक।

परिचय

फ्रेडरिक बास्तियात का जन्म 1801 में बेयोन में हुआ था और 1850 में रोम में उनका निधन हुआ था। जब वे नौ साल के थे, उनके माता-पिता का निधन हुआ। तत्पश्चात उनके भव्य माता-पिता ने उनका पालन-पोसन किया। उनका परिवार एक छोटे से कस्बे मुग्रोन से ताल्लुक रखता था, जहां उन्होंने अपनी जिंदगी का अधिकांश हिस्सा गुजारा और जहां पर उनकी एक प्रतिमा भी स्थापित है। मुग्रोन, बेयोन के उत्तर-पूर्व में एक फ्रांसीसी हिस्से 'लेस लेंडेस' (Les Landes) में स्थित है। उन्होंने अपनी जिंदगी का बाद का हिस्सा पेरिस में 'लेस जर्नल डेस इकानॉमिस्तेस' (Le Journal des Economistes) के संपादक और 1848 में संसद सदस्य के तौर पर गुजारा।

एक अर्थशास्त्री के तौर पर उन्हें सुस्पष्ट दिमाग और विरोधियों को उखाड़ देने वाली व्यंग्यात्मक शैली हासिल थी। उन्होंने अपने वक्त में आर्थिक विज्ञान को उपभोक्ताओं, यानी लोगों की सोच के आधार पर विकसित करके एक नई दिशा दी थी। वह लेन-देन और निजी पसंद की आजादी के मुखर और कभी न थकने वाले जांबाज थे, जो कारोबार में किसी भी तरह की बाधा या अनुदान के सख्त खिलाफ थे। आज 150 साल बाद भी उनके द्वारा किए गए काम की ताजगी और औचित्य बरकरार है। संस्थाओं और समाजों के गठन को लेकर उनकी कई भविष्यवाणियां खरी साबित हुई हैं।

एक दार्शनिक के तौर पर, वे आधुनिक काल के कई उदारवादियों के पूर्वजों की तरह थे, उन्होंने व्यक्तिगत आजादी और जवाबदेही पर कई आधारभूत नीतियां तैयार कर दी थीं।

एक स्थानीय जज, के तौर पर वे कुशलता और समानता के अग्रदूत थे।

एक राजनीतिज्ञ के तौर पर, वे सरकार के छोटे आकार के पक्षधर थे और जनता की जेब से बढ़ते अनवरत खर्चों के खिलाफ लड़ते रहते थे। उन्होंने उपनिवेशवाद के विस्तार और गुलामी प्रथा की भी मुखर आलोचना की थी। वे सत्ता के विकेंद्रीकरण, सांसद रहते मंत्री बनने और संसद में सरकारी अधिकारियों की संख्या को सीमित करने के पक्षधर थे। वह राजनीति में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी के भी पक्षधर थे।

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