फ़िलिस्तीनी राज्यक्षेत्र
फ़िलिस्तीन (अरबी: فلسطين) दुनिया का एक राज्यक्षेत्र है। यह इस क्षेत्र का नाम है जो लेबनान और मिस्र के बीच था के अधिकांश हिस्से पर इजराइल के राज्य की स्थापना की गई है। 1948 से पहले सभी क्षेत्र फ़िलिस्तीन कहलाता था। जो खिलाफ़त उस्मानिया में स्थापित रहा लेकिन बाद में अंग्रेजों और फ़्रांसीसियों ने इस पर कब्जा कर लिया। 1948 में यहाँ के अधिकांश क्षेत्र पर इस्राइली राज्य की स्थापना की गई। फिलिस्तीन वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर दावा करता है[1] जिसके साथ यरुशलम इसकी निर्दिष्ट राजधानी है; व्यवहार में, आंशिक प्रशासनिक नियन्त्रण केवल वेस्ट बैंक में 167 "द्वीपों" और गाजा पट्टी के आन्तरिक भाग पर होता है, और इसका प्रशासनिक केन्द्र वर्तमान में रामल्ला में स्थित है।
नाम और क्षेत्र
फिलिस्तीन पश्चिमी एशिया में एक भौगोलिक क्षेत्र है जिसे आमतौर पर इज़राइल, वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और कुछ परिभाषाओं में, पश्चिमी जॉर्डन के कुछ हिस्सों को शामिल करने के लिए माना जाता है। बाइबल में फिलीस्तीन को कैन्नन कहा गया है और उससे पहले ग्रीक इसे फलस्तिया कहते थे। रोमन इस क्षेत्र को जुडया प्रान्त के रूप में जानते थे।
इतिहास
तीसरी सहस्ताब्दि में यह प्रदेश बेबीलोन और मिस्र के बीच व्यापार के लिहाज से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनकर उभरा। फिलीस्तीन क्षेत्र पर दूसरी सहस्त्राब्दि में मिस्रियों तथा हिक्सोसों का राज्यथा। लगभग इसा पूर्व १२०० में हजरत मूसा ने यहूदियों को अपने नेतृत्व में लेकर मिस्र से फिलीस्तीन की तरफ़ कूच किया। हिब्रू (यहूदी) लोगों पर फिलिस्तीनियों का राज था। पर सन् १००० में इब्रानियों (हिब्रू, यहूदी) ने दो राज्यों की स्थापना की (अधिक जानकारी के लिए देखें - यहूदी इतिहास) - इसरायल और जुडाया। ईसापूर्व ७०० तक इनपर बेबीलोन क्षेत्र के राज्यों का अधिकार हो गया। इस दौरान यहूदियों को यहाँ से बाहर भेजा गया। ईसापूर्व ५५० के आसपास जब यहाँ फ़ारस के हख़ामनी शासकों का अधिकार हो गया तो उन्होंने यहूदियों को वापस अपने प्रदेशों में लौटने की इजाजत दे दी। इस दौरान यहूदी धर्म पर जरथुस्त धर्म का प्रभाव पड़ा।
सिकन्दर के आक्रमण (३३२ ईसापूर्व) तक तो स्थिति शांतिपूर्ण रही पर उसके बाद रोमनों के शासन में यहाँ दो विद्रोह हुए - सन् ६६ और सन् १३२ में। दोनों विद्रोहों को दबा दिया गया। अरबों का शासन सन् ६३६ में आया। इसके बाद यहाँ अरबों का प्रभुत्व बढ़ता गया। इस क्षेत्र में यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों आबादी रहती थी। १५१७ में तुर्कों का शासन था
पारसी शासन (538 ई॰पू॰)
पार्शिया साम्राराज्य कि स्थापना के बाद, यहुदियों को अपनी धार्मिक पुस्तक के अनुसार अपने देश इज़राइल जाने कि अनुमति मिल गयी। इस ही समय यहूदियो ने अपना दूसरा मन्दिर यरुशलम में स्थापित किया।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Ban sends Palestinian application for UN membership to Security Council". United Nations News Centre. 23 September 2011. मूल से 10 October 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 September 2015.