प्रेशर कुकर
ऐसा कोई भी बर्तन जिसमें भोजन पकाने के लिये वायुमंडलीय दाब से अधिक दाब उत्पन्न करके खाना बनाने की व्यवस्था हो उसे प्रेशर कुकर या दाब-पाचक कहते हैं। प्रेशर कूकर में भोजन जल्दी बन जाता है क्योंकि अधिक दाब होने के कारण पानी १०० डिग्री सेल्सियस से भी अधिक ताप तक गरम किया जा सकता है क्योंकि अधिक दाब पर पानी का क्वथनांक अधिक होता है।
इतिहास
प्रेशर कुकर के इतिहास पर नजर दौडाएं तो पता चलता है की वर्ष १६७९ में फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री डेनिस पापिन ने पहला प्रेशर कुकर बनाया था, जिसे उन्होंने 'स्टीम डाइजेस्टर' नाम दिया | उस वक्त उन्होंने अपने इस आविष्कार का लंदन की रोंयल सोसाइटी के समक्ष प्रदर्शन भी किया था। हालांकि इसे इस्तेमाल करना आसान भी नहीं था और इसके लिए ख़ास तरह की भट्टी की भी जरुरत पड़ती थी, लिहाजा इसे लंबे समय तक ज्यादातर होटलों व उद्योगों में ही इस्तेमाल किया जाता रहा | लोगों के घरों तक पहुँचने के लिए इसे बीसवीं सदी तक इंतज़ार करना पडा | वर्ष १९१५ में पहली बार इस उपकरण के लिए 'प्रेशर कुकर' शब्द का इस्तेमाल किया गया | अमेरिका के न्यूयोंर्क में वर्ष १९३९ में आयोजित वैश्विक मेले में अल्फ्रेड विशलर ने पहली बार ऐसा एल्युमिनियम प्रेशर कुकर प्रदर्शित किया, जिसका आकार घरों में खाना बनाने वाली देगजी या पतीली जैसा था। इसे आधुनिक कुकर का शुरूआती रूप मान सकते हैं | यह मॉडल जल्द ही घर-घर में लोकप्रिय हो गया |
लाभ
यह एक शृंखला है जो भारतीय खाना के बारे में है। |
भारतीय खाना |
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भारत प्रवेशद्वार |
- भोजन पकाने में कम समय लगता है (समय की बचत)
- कम जल का खर्च
- ईंधन कम खर्च होता है।
- अधिक ताप पर भोजन बनने के कारण सभी कीटाणु मारे जाते हैं।
- प्रेशर कुकर एक कारगर स्टेरिलाइजर (कीटाणुनाशी) के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
- प्रेशर कुकर से खाना पकाने में ताप का वितरण समान रूप से होता है। अतः पूरा भोजन समान रूप से पकता है।
- अधिक ऊंचाई वाले स्थानों (जैसे पहाड़ों पर) इससे बहुत लाभ मिलता है क्योंकि बिना दाब के वहाँ भोजन पकाने पर पानी १०० डिग्री सेल्सियस से भी कम ताप पर उबलने लगता है जिससे भोजन पकाने में अधिक समय एवं असुविधा का सामना करना पड़ता है।
- बर्तन धोने की तकलीफ भी कम होती है क्योंकि बर्तन/खाना जलता नहीं है।
- प्रेशर कुकर का ढक्कन बहुत कस के बन्द होता है। इसलिये इसमें रखकर भोजन को कहीं ले जाने में भी सुविधा होती है। भोजन या इसका रस बाहर नहीं आता।
- जरूरत पड़ने पर इसका ढक्कन हटाकर सामान्य तरीके से भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।