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प्राचीन भारतीय ग्रन्थकारों की सूची

साहित्यकार

ग्रन्थकारग्रन्थ
अभिनवगुप्ततन्त्रालोक, अभिनवभारती
आदि शंकराचार्यविवेकचूडामणि, अपरोक्षानुभूति, आत्मशतकम्, मनीषपञ्चकम्
अगत्तियरअगत्तियम्
अमरसिंहअमरकोष
आण्डालतिरुप्पावै, नाच्चियार् तिरुमोळि
अक्षपाद गौतमन्यायसूत्र
आनन्दवर्धनध्वन्यालोक
अष्टावक्रअष्टावक्र गीता
अश्वघोषबुद्धचरित
AvvaiyarPurananuru
बादरायणब्रह्मसूत्र
बाणभट्टहर्षचरित, कादम्बरी
भरत मुनिनाट्यशास्त्र
भारविकिरातार्जुनीयम्
भर्तृहरिवाक्यपदीय, शतकत्रय
भवभूतिमहावीरचरित, मालतीमाधव, उत्तररामचरितम्
भासस्वप्नवासवदत्ता, उरुभंग, प्रतिमानाटक, अभिषेक नाटक, पञ्चरात्र, मध्यमव्ययोग, दूतघटोत्कच, दूतकाव्य, कर्णभार, हरिवंश (बालचरित), प्रतिज्ञा यौगन्धरायणम्
बिल्हणविक्रमांकदेवचरित, चौरपञ्चाशिका
चाणक्यअर्थशास्त्र, नीतिशास्त्र
दण्डीदशकुमारचरित, काव्यादर्श
धनयलभविष्यत कहा
गूणाढ्यबृहत्कथा
हालगाहा सतसई
हर्षवर्धनरत्नावली, नागानन्द, प्रियदर्शिका
इलांगो अडिगलशिलाप्पदीकारम
जैमिनीपूर्वमीमांसा सूत्र, जैमिनी भारत, जैमिनी सूत्र
जयदेवगीतगोविन्द
कल्हणराजतरंगिणी
कालिदासअभिज्ञानशाकुन्तलम्, मेघदूत, रघुवंश, कुमारसम्भव, विक्रमोर्वसीय, मालविकाग्निमित्र, ऋतुसंहार
कम्बनकम्बरामायण, Erezhupathu, Silaiezhupathu, Kangai Puranam, Sarasvati Anthati
क्षेमेन्द्रबृहत्कथामञ्जरी, रामायणमञ्जरी
कुन्दकुन्दसमयसार, नियमसार, Pancastikayasara, प्रवचनसार, अट्ठपहुदा, Barasanuvekkha
Nagakuthanaarकुण्डलकेशी
कुन्तकवक्रोक्तिजीवित
लगधवेदांग ज्योतिष
माघशिशुपाल वध
महेन्द्र वर्मन प्रथममत्तविलास प्रहसन, Bhagavadajjuka
Mahidasa Aitareyaऐतरेय ब्राह्मण
मम्मटकाव्यप्रकाश
मतंग मुनिबृहद्देशी
नागार्जुनमूलमध्यमककारिका, शून्यतासप्तति, विग्रहव्यावर्तनी, Vaidalyaprakaraṇa, व्यवहारसिद्धि, Yuktiṣāṣṭika, Catuḥstava, रत्नावली, प्रतीत्यसमुत्पादहृदयकारिक, सूत्रसमुच्चय, बोधिचित्तविवण, सुहृल्लेख, बोधिसम्भार
नन्दिकेश्वरअभिनयदर्पण, भरतार्णव
राजशेखरViddhasalabhañjika, बालभारत, कर्पूरमञ्जरी, बालरामायण, काव्यमीमांसा
रति राम साहिबभागवद गीता
सिद्धसेन दिवाकरन्यायावतार, सन्मतिसूत्र
Sīthalai SāttanārManimekalai
सोमदेवकथासरित्सागर
SphujidhvajaYavanajataka
श्रीहर्षनैषधीयचरित
शूद्रकमृच्छकटिक
ThiruvalluvarThirukkural
TirutakkatevarCivaka Cintamani
उमास्वातितत्वार्थ सूत्र
वाल्मीकिरामायण, योगवासिष्ठ
वात्स्यायनन्यायसूत्र भाष्य, कामसूत्र
विज्ञानेश्वरमीताक्षरा
Vilambi NaganaarNanmanikadigai
विशाखदत्तमुद्राराक्षस, देवीचन्द्रगुप्तम्
विष्णु शर्मापञ्चतन्त्र
व्यासमहाभारत
याज्ञवल्क्यशतपथ ब्राह्मण, योग याज्ञवल्क्य, याज्ञवल्क्य स्मृति

छन्दशास्त्र

संस्कृत छन्दशास्त्र से सम्बन्धित लगभग १५० ग्रन्थ ज्ञात हैं जिनमें कोई ८५० छन्दों की परिभाषा और वर्णन है।

इसकी टीकाएं-
  • जयदेवकृत -- जयदेवछन्द (६ठी शताब्दी)
  • गणस्वामी -- जानाश्रयीछन्दोविचितिः (६ठी शताब्दी)
  • अज्ञात -- छन्दोरत्नमञ्जूषा (६ठी शताब्दी)
  • भट्ट हलायुध -- छन्दशास्त्र का भाष्य (१०वीं शताब्दी)
  • लक्ष्मीनाथसुतचन्द्रशेखर -- पिङ्गलभावोद्यात
  • चित्रसेन -- पिङ्गलटीका
  • रविकर -- पिङ्गलसारविकासिनी
  • राजेन्द्र दशावधान -- पिङ्गलतत्वप्रकाशिका
  • लक्ष्मीनाथ -- पिङ्गलप्रदीप
  • वंशीधर -- पिङ्गलप्रकाश
  • वामनाचार्य -- पिङ्गलप्रकाश
अन्य ग्रन्थों में छन्दशास्त्र का वर्णन

दर्शन के प्रमुख ग्रन्थ

न्यायसूत्र - गौतम
न्यायभाष्य - वात्स्यायन
न्यायवार्तिक - उद्योतकर द्वारा न्यायभाष्य पर टीका
न्यायवार्तिकतात्पर्यटीका - वाचस्पति मिश्र द्वारा न्यायवार्तिक के ऊपर टीका
न्यायसूचीनिबन्ध - वाचस्पति मिश्र
न्यायसूत्रधार - वाचस्पति मिश्र
न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि - उदयन द्वारा न्यायवार्तिकतात्पर्यटीका की टीका (984 ई)
न्यायकुसुमांजलि - 'आस्तिक' न्याय का प्रथम व्यवस्थित ग्रन्थ
आत्मतत्त्वविवेक, किरणावली, न्यायपरिशिष्ट - उदयन
न्यायमंजरी - जयन्त भट्ट (१०वीं शताब्दी)
तार्किकरक्षा - वरदराज (१२वीं शताब्दी)
तर्कभाषा - केशव मिश्र (१३वीं शताब्दी)
तत्त्वचिंतामणि - गंगेशोपाध्याय (12वीं शताब्दी) - नव्यन्याय का प्रथम प्रमुख ग्रन्थ है।
न्यायनिबन्धप्रकाश - गंगेश उपाध्याय के पुत्र वर्धमान उपाध्याय द्वारा रचित (१२२५ ई)। यद्यपि यह न्यायतात्पर्यपरिशुद्धि की टीका है, किन्तु इसमें उनके पिता गंगेश उपाध्याय के विचारों का समावेश है।
आलोक - जयदेव (१३वीं शताब्दी, तत्त्वचिन्तामणि की टीका)
तत्त्वचिन्तामणिव्याख्या - वासुदेव सार्वभौम (१६वीं शताब्दी , नवद्वीप के नव्यन्याय सम्प्रदाय की प्रथम श्रेष्ठ कृति)
तत्त्वचिन्तामणिदीधिति, पदार्थखण्डन - रघुनाथ शिरोमणि (नवद्वीप के नव्यन्याय सम्प्रदाय की दूसरी महत्वपूर्ण कृतियाँ)
न्यायसूत्रवृत्ति - विश्वनाथ (१७वीं शताब्दी)
तर्कसंग्रह दीपिका - अन्नंभट्ट (१७वीं शताब्दी, इनमें प्राचीन न्याय एवं नव्यन्याय तथा वैशेषिक दर्शनों का समिश्रण है।)
वैशेषिकसूत्र - कणाद -- वैशेषिक दर्शन का प्राचीनतम ग्रन्थ
रावणभाष्य और भारद्वाजवृत्ति - वैशेषिकसूत्र की दो टीकाएं, अनुपलब्ध
पदार्थधर्मसंग्रह - प्रशस्तपाद (४थी शताब्दी ; यद्यपि इसे प्रायः वैशेषिकसूत्र का भाष्य समझा जाता है किन्तु यह एक स्वतन्त्र ग्रन्थ है।)
दशपदार्थशास्त्र - चन्द्र (६४८ ई ; पदार्थधर्मसंग्रह पर आधारित, सम्प्रति इसका केवल चीनी अनुवाद ही उपलब्ध है।)
व्योमवती - व्योमशिव (८वीं शताब्दी ; पदार्थधर्मसंग्रह की सबसे प्राचीन उपलब्ध टीका)
न्यायकन्दली - श्रीधर (९९१ ई) -- पदार्थधर्मसंग्रह की टीका
किरणावली - उदयन (१०वीं शताब्दी) -- पदार्थधर्मसंग्रह की टीका
लीलावती - श्रीवत्स (११वीं शताब्दी) -- पदार्थधर्मसंग्रह की टीका
सप्तपदार्थी - शिवादित्य (११वीं शताब्दी) -- इसमें न्याय और वैशेषिक को एक ही सिद्धान्त के अंग के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
सांख्य-प्रवचन-सूत्र या सांख्यसूत्र ( १३वीं-१४वीं शताब्दी ; अपने वर्तमान रूप में यह कपिल का मूल ग्रन्थ नहीं है)
सांख्यकारिका - ईश्वरकृष्ण (ई. तृतीय शताब्दी)
तत्व समास -
तत्वकौमुदी - वाचस्पति मिश्र (भाष्यग्रन्थ)
सांख्यप्रवचनभाष्य - विज्ञानभिक्षु (१६वीं शताब्दी ; भाष्यग्रन्थ)
मठरावृत्ति - मठराचार्य (भाष्यग्रन्थ)
योगसूत्र - पतंजलि
व्यासभाष्य - व्यास मुनि द्वारा लिखित योगसूत्रों की सर्वोत्तम व्याख्या

मीमांसा दर्शन

मीमांसासूत्र - महर्षि जैमिनि

वेदान्त दर्शन

ब्रह्मसूत्र - महर्षि व्यास द्वारा रचित इस दर्शन का मूल ग्रन्थ है।

जैन दर्शन

जैनागम - महावीर स्वामी के उपदेश 41 सूत्रों में संकलित हैं, जो जैनागमों में मिलते हैं।
तत्वार्थाधिगम सूत्र - उमास्वाति (300 ई. ; जैन दर्शन का प्राचीन और प्रामाणिक शास्त्र है।)

बौद्ध दर्शन

त्रिपिटक (सुत्त पिटक, विनय पिटक और अभिधम्म पिटक) - बुद्ध के उपदेश तीन पिटकों में संकलित हैं। ये पिटक बौद्ध धर्म के आगम हैं।
अभिधर्मकोश - बसुबन्धु
प्रज्ञापारमितासूत्र -
लंकावतारसूत्र -

व्याकरण

रचनाकारकृति
आपस्तम्बधर्मसूत्र
कात्यायनवार्तिक
पाणिनिअष्टाध्यायी
पतंजलिमहाभाष्य , योग सूत्र
पिंगलछन्दशास्त्र
शाकटायनलक्षणशास्त्र
शौनकऋग्वेद प्रातिशाख्य, बृहद्देवता, चरणव्यूह, ऋग्वेद की ६ अनुक्रमणियाँ
वररुचिप्राकृतप्रकाश
यास्कनिरुक्त

आयुर्वेद

रचयिताकृति
चरकचरक संहिता
कश्यपकश्यप संहिता
माधवनिदान
सुश्रुतसुश्रुत संहिता
वाग्भटअष्टांग संग्रह अष्टांग हृदय संहिता

ज्योतिष

शास्त्रशास्त्रकाररचनाकाल
भृगुसंहिताभृगु मुनि
सारावलीकल्यान वर्मन
बृहत् पराशर होरा शास्त्रपाराशर
उत्तरकालामृतकालीदास (कवि कालिदास से भिन्न)तेरहवीं शताब्दी
चमत्कार चिंतामणिभट्ट नारायण
बृहज्जातकम्वराहमिहिर
बृहत्संहितावराहमिहिर
पञ्चसिद्धान्तिकावराहमिहिर

गणित

कृतिकारकृति
आर्यभटआर्यभटीय, आर्यसिद्धान्त
बौधायनशुल्बसूत्र, बौधायन श्रौतसूत्र, धर्मसूत्र
भास्कराचार्य प्रथमआर्यभटीय भाष्य, महाभास्करीय, लघुभास्करीय
भास्कर द्वितीयसिद्धान्तशिरोमणि (जिसके चार भाग हैं: लीलावती, बीजगणित, ग्रहगणित, और गोलाध्याय)
ब्रह्मगुप्तब्राह्मस्फुटसिद्धान्त
हलायुधमृतसञ्जीवनी
महावीराचार्यगणितसारसंग्रह
परमेश्वरभटदीपिका, कर्मदीपिका, परमेश्वरी, सिद्धान्तदीपिका, विवरण, दृग्गणित, गोलदीपिका, ग्रहणमन्दन, ग्रहनव्याख्यादीपिका, वाक्यकरण
वराहमिहिरपञ्चसिद्धान्तिका, बृहत्संहिता, बृहत जातक, दैवज्ञ वल्लभ, लघु जातक, योग यात्रा, विवाह पटल
वीरसेनधवला

प्रमुख वास्तुशास्त्रीय ग्रन्थ

३५० से भी अधिक ग्रन्थों में स्थापत्य की चर्चा मिलती है। इनमें से प्रमुख ग्रन्थ निम्नलिखित हैं-[1][2]

  • अपराजितपृच्छा (रचयिता : भुवनदेवाचार्य ; विश्वकर्मा और उनके पुत्र अपराजित के बीच वार्तालाप)
  • ईशान-गुरुदेवपद्धति
  • कामिकागम
  • कर्णागम (इसमें वास्तु पर लगभग ४० अध्याय हैं। इसमें तालमान का बहुत ही वैज्ञानिक एवं पारिभाषिक विवेचन है।)
  • मनुष्यालयचन्द्रिका (कुल ७ अध्याय, २१० से अधिक श्लोक)
  • प्रासादमण्डन (कुल ८ अध्याय)
  • राजवल्लभ (कुल १४ अध्याय)
  • तंत्रसमुच्चय
  • वास्तुसौख्यम् (कुल ९ अध्याय)
  • विश्वकर्मा प्रकाश (कुल १३ अध्याय, लगभग १३७४ श्लोक)
  • विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र (कुल ८४ अध्याय)
  • सनत्कुमारवास्तुशास्त्र
  • वास्तुमण्डन
  • मयशास्त्र (भित्ति सजाना)
  • बिम्बमान (चित्रकला)
  • शुक्रनीति (प्रतिमा, मूर्ति या विग्रह निर्माण)
  • सुप्रभेदागम
  • विष्णुधर्मोत्तर पुराण
  • आगम (इनमें भी शिल्प की चर्चा है।)
  • अग्निपुराण
  • ब्रह्मपुराण (मुख्यतः वास्तुशास्त्र, कुछ अध्याय कला पर भी)
  • वास्तुविद्या
  • प्रतिमालक्षणविधानम्
  • गार्गेयम्
  • मानसार शिल्पशास्त्र (कुल ७० अध्याय; ५१०० से अधिक श्लोक; कास्टिंग, मोल्डिंग, कार्विंग, पॉलिशिंग, तथा कला एवं हस्तशिल्प निर्माण के अनेकों अध्याय)
  • अत्रियम्
  • प्रतिमा मान लक्षणम् (इसमें टूटी हुई मूर्तियों को सुधारने आदि पर अध्याय है।)
  • दशतल न्याग्रोध परिमण्डल
  • शम्भुद्भाषित प्रतिमालक्षण विवरणम्
  • मयमतम् (मयासुर द्वारा रचित, कुल ३६ अध्याय, ३३०० से अधिक श्लोक)
  • बृहत्संहिता (अध्याय ५३-६०, ७७, ७९, ८६)
  • शिल्परत्नम् (इसके पूर्वभाग में 46 अध्याय कला तथा भवन/नगर-निर्माण पर हैं। उत्तरभाग में ३५ अध्याय मूर्तिकला आदि पर हैं।)
  • युक्तिकल्पतरु (आभूषण-कला सहित विविध कलाएँ)
  • शिल्पकलादर्शनम्
  • समरांगणसूत्रधार (रचयिता : राजा भोज ; कुल ८४ अध्याय, ८००० से अधिक श्लोक)
  • वास्तुकर्मप्रकाशम्
  • मत्स्यपुराणम्
  • गरुणपुराण
  • कश्यपशिल्प (कुल ८४ अध्याय तथा ३३०० से अधिक श्लोक)
  • भविष्यपुराण (मुख्यतः वास्तुशिल्प, कुछ अध्याय कला पर भी)
  • अलंकारशास्त्र
  • अर्थशास्त्र (खिडकी एवं दरवाजा आदि सामान्य शिल्प, इसके अलावा सार्वजनिक उपयोग की सुविधाएँ)
  • चित्रकल्प (आभूषण)
  • चित्रकर्मशास्त्र
  • मयशिल्पशास्त्र (तमिल में)
  • विश्वकर्मा शिल्प (स्तम्भों पर कलाकारी, काष्ठकला)
  • अगत्स्य (काष्ठ आधारित कलाएँ एवं शिल्प)
  • मण्डन शिल्पशास्त्र (दीपक आदि)
  • रत्नशास्त्र (मोती, आभूषण आदि)
  • रत्नपरीक्षा (आभूषण)
  • रत्नसंग्रह (आभूषण)
  • लघुरत्नपरीक्षा (आभूषण आदि)
  • मणिमहात्म्य (lapidary)
  • अगस्तिमत (lapidary crafts)
  • अनंगरंग (काम कलाएँ)
  • कामसूत्र
  • रतिरहस्य (कामकलाएँ)
  • कन्दर्पचूणामणि (कामकलाएँ)
  • नाट्यशास्त्र (फैशन तथा नाट्यकलाएँ)
  • नृतरत्नावली (फैशन तथा नाट्यकलाएँ)
  • संगीतरत्नाकर ((फैशन, नृत्य तथा नाट्यकलाएँ)
  • नलपाक (भोजन, पात्र कलाएँ)
  • पाकदर्पण (भोजन, पात्र कलाएँ)
  • पाकविज्ञान (भोजन, पात्र कलाएँ)
  • पाकार्णव (भोजन, पात्र कलाएँ)
  • कुट्टनीमतम् (वस्त्र कलाएँ)
  • कादम्बरी (वस्त्र कला तथा शिल्प पर अध्याय हैं)
  • समयमात्रिका (वस्त्रकलाएँ)
  • यन्त्रकोश (संगीत के यंत्र Overview in Bengali Language)
  • चिलपटिकारम् (शिल्पाधिकारम्); दूसरी शताब्दी में रचित तमिल ग्रन्थ जिसमें संगीत यंत्रों पर अध्याय हैं)
  • मानसोल्लास (संगीत यन्त्रों से सम्बन्धित कला एवं शिल्प, पाकशास्त्र, वस्त्र, सज्जा आदि)
  • वास्तुविद्या (मूर्तिकला, चित्रकला, तथा शिल्प)
  • उपवन विनोद (उद्यान, उपवन भवन निर्माण, घर में लगाये जाने वाले पादप आदि से सम्बन्धित शिल्प)
  • वास्तुसूत्र (संस्कृत में शिल्पशास्त्र का सबसे प्राचीन ग्रन्थ; ६ अध्याय; छबि रचाना; इसमें बताया गया है कि छबि कलाएँ किस प्रकार हाव-भाव एवं आध्यात्मिक स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के साधन हैं।)

अन्य भारतीय भाषाओं के शिल्पशास्त्रीय ग्रन्थ

  • शिल्प प्रकाश - रामचन्द्र भट्टारक (ओड़िया में , इसमें विस्तृत चित्र तथा शब्दावली भी दी गयी है।)

काव्यशास्त्र से सम्बन्धित ग्रन्थ

टीकाएँ

रसविद्या के प्रमुख ग्रन्थ

इस विद्या के संस्कृत में बहुत से ग्रन्थ हैं।

  1. रसार्णव -- गोविन्दाचार्य
  2. आनन्दकन्द
  3. रसहृदयतन्त्र -- गोविन्द भगवतपाद
  4. रसरत्नसमुच्चय -- वाग्भट
  5. रसकामधेनु
  6. रसमञ्जरी -- शालिनाथ
  7. रसप्रकाशसुधाकर -- यशोधर
  8. रसप्रकाश -- यशोधर
  9. रसरत्नाकर—नित्यनाथ सिद्ध
  10. रससङ्केतकलिका—चामुण्डा
  11. रसाध्याय
  12. रसजलनिधि
  13. रसेन्द्रचिन्तामणि -- सुधाकर रामचन्द्र
  14. रसेन्द्रचिन्तामणि -- ढुण्ढुकनाथ
  15. रसेन्द्रचूडामणि -- सोमदेव
  16. रसेन्द्रमङ्गल -- नागार्जुन
  17. रसकौमुदी—सर्वज्ञचन्द्र
  18. रससार—गोविन्द आचार्य

  1. रसचण्डाशुः या रसरत्नसंग्रह
    -- दत्तो बल्लाल बोरकर (२५ अप्रैल, १९१९)
  2. रसेन्द्र सार
  3. रसोपनिषत
  4. रस पद्धति
  5. रसराजलक्ष्मी --रामेश्वर भट्ट
  6. रसपारिजात
  7. रसमुक्तावली -- देवनाथ
  8. देव्यरसरत्नाकर
  9. स्वर्णतन्त्र
  10. स्वर्णसिद्धि
  11. गोरख संहिता
  12. दत्तात्रेय संहिता
  13. वज्रोदन
  14. शैलोदक कल्प
  15. गन्धक कल्प
  16. रुद्रयामल तंत्र
  17. लौहपद्धति -- सुरेश्वर

  1. लोह सर्वस्व
  2. योगसार
  3. रत्न घोष
  4. पारद सूर्य विज्ञान
  5. कपिल सिद्धान्त
  6. रसभेषजकल्प -- सूर्य पण्डित
  7. कङ्कालीग्रन्थ -- नासिरशाह

नीतिशास्त्र के ग्रन्थ

संगीत ग्रन्थ

नाट्यशास्त्रभरत मुनि
बृहद्देशीमतंग मुनि
नारदीय शिक्षा
संगीत मकरंद
सरस्वती हृदयालंकारमिथिला के राजा नान्यदेव11वीं शती
अभिलषितार्थ चिंतामणिसोमेश्वर12वीं शती
संगीतचूड़ामणिसोमेश्वर के पुत्र प्रतापचक्रवर्ती या जगदेकमल्ल12वीं शती
संगीतसुधाकरचालुक्यवंशीय सौराष्ट्रनरेश महाराज हरिपाल1175 ई.
संगीतरत्नावलीसोमराज देव या सोमभूपाल1180
गीतगोविन्दजयदेव12वीं शती ई.
पंडिताराध्यचरितम्पाल्कुरिकि सोमनाथतेलगु में, 1270 ई.
संगीतरत्नाकरशारंगदेव१३वीं शती
शृंगारहारशाकंभरि के राजा हम्मीरलगभग 1300 ई.
संगीत-समय-सारजैन आचार्य पार्श्वदेवलगभग 1300
संगीतसारविद्यारण्यचौदहवीं शताब्दी
रागतरंगिणीलोचन कविपन्द्रहवीं शताब्दी
संगीतशिरोमणिअनेक पण्डितों का योगदानमलिक सुलतान के आह्वान पर, पन्द्रहवीं शताब्दी
रसिकप्रियामेवाड़ के महाराणा कुंभगीतगोविन्द की टीका, 1431-1469 ई.
संगीतराजमहाराणा कुम्भ
मानकुतूहलग्वालियर के राजा मानसिंह तोमरहिन्दी में, 15वीं शती
षड्रागचंद्रोदयपुण्डरीक विट्ठलसोलहवीं शताब्दी
रागमालापुण्डरीक विट्ठल
रागमंजरीपुण्डरीक विट्ठल
नर्तननिर्णयपुण्डरीक विट्ठल
स्वरमेलकलानिधिकर्णाटक संगीत के विद्वान् रामामाला1550 ई.
स्वरमेल कलानिधिरामामात्यसोलहवीं शताब्दी
रागविबोधसोमनाथ1609 ई.
संगीतसुधातंजोर के राजा रघुनाथअपने मंत्री गोविंद दीक्षित की सहायता से 1620 ई. में
चतुर्दंडीप्रकाशिकाव्यंकटमखीसन् 1630 ई.
संगीतदर्पणदामोदर मिश्रलगभग सन् 1630 ई.
हृदय प्रकाशहृदयनारायण देवसत्रहवीं शताब्दी
हृदय कौतुकम्हृदयनारायण देवसत्रहवीं शताब्दी
संग्रहचूड़ामणिगोविंद1680-1700
संगीत पारिजातअहोबल१७वीं शती
संगीत दर्पणदामोदर पण्डित
अनूपविलासभावभट्ट
अनूपसंगीतरत्नाकारभावभट्ट
अनुपांकुशभावभट्ट
संगीतसारजयपुर के महाराज प्रतापसिंह1779-1804 ई.
अष्टोत्तरशतताललक्षणाम्सोमनाथ
रागतत्वविबोधश्रीनिवास18वीं शती
रागतत्वविबोध:श्रीनिवास पण्डितअठारहवीं शताब्दी
संगीतसारामृतम्तंजोर के मराठा राजा तुलजेन्द्र भोंसले18वीं शती
रागलक्षमण्तुलजेन्द्र भोंसले
लक्ष्यसंगीतम्‌विष्णु नारायण भातखंडेसंस्कृत ; 1910, १९३४
अभिनवरागमंजरीविष्णु नारायण भातखंडेसंस्कृत ; 1910, १९३४
हिंदुस्तानी संगीत पद्धतिविष्णु नारायण भातखंडेमराठी में
हिंदुस्तानी संगीत क्रमीक (छह भागों में)विष्णु नारायण भातखंडे
संगीत तत्त्वदर्शकविष्णु दिगंबर पलुस्कर20वीं शती

शब्दकोश

  • निघण्टु -- यास्क—वैदिक शब्दकोश
  • निरुक्त—यास्क -- निघण्टु पर शब्दार्थ कोश
  • अमरकोश ('नामलिंगानुशासन' या 'त्रिकांड') -- अमरसिंह
  • विश्वप्रकाश
  • मेदिनी
  • नानार्थार्णवसंक्षेप
  • वर्णदेशना
  • षडर्थनिर्णयकोश -- 'राक्षस' कवि
  • षड्मुखकोश
  • बृहत अमरकोश -- राजमुकुट कृत अमरकोश टीका
  • बृहानन्द अमरकोश -- सर्वदानन्द
  • बृहत् हारावली -- भानुदीक्षित
  • हारवली
  • शब्दार्णवसंक्षेप
  • कल्पद्रुकोश
  • धातुपाठ -- पाणिनि
  • गणपाठ -- पाणिनि
  • धन्वन्तरिनिघण्टु -- धन्वन्तरि
  • अनेकार्थसमुच्चय—शाश्वत—इसी को 'शाश्वतकोश' भी कहते हैं
  • अभिधानरत्नमाला -- भट्ठ हलायुध (समय लगभग १० वीं० शताब्धी ई०)
  • वैजयन्ती कोश -- यादवप्रकाश (समय १०५५ से १३३७ के मध्य)
  • पाइयलच्छी नाममाला --
  • देशीनाममाला -- हेमचंद्र -- (प्राकृत—अपभ्रंश—कोश)
  • अभिधानचिंतामणि या 'अभिधानचिंतामणिनाममाला' -- हेमचंद्र -- प्रसिद्ध पर्यायवाची कोश
  • लिंगानुशासन—हेमचंद्र
  • यशोविजय—हेमचंद्र -- 'अभिधानचिंतामणि' पर उनकी स्वविरचित टीका
  • व्युत्पत्तिरत्नाकर (देवसागकरणि) --हेमचंद्र -- टीकाग्रन्थ
  • सारोद्धार' (वल्लभगणि) -- प्रसिद्ध टीका
  • अनेकार्थसंग्रह -- हेमचन्द्र
  • विश्वप्रकाश - महेश्वर (११११ ई०) -- इसे 'विश्वकोश' भी अधिकतः कहा जाता है।
  • शब्दभेदप्रकाश -- महेश्वर—वस्तुतः विश्वप्रकाश का परिशिष्ट है।
  • अनेकार्थ -- मंख पंडित (१२ वीं शती ई०)
  • नानार्थसंग्रह—अजयपाल (लगभग १२ वीं—१३ वी शती के बीच)
  • नाममाला -- धनञ्जय (ई० १२ वी० शताब्दी उत्तरार्ध के आसपास अनुमानित)
  • हारावली -- पुरुषोत्तमदेव (समय ११५९ ई० के पूर्व)
  • त्रिकांडकोश -- पुरुषोत्तमदेव -- यह अमरसिंह के त्रिकाण्डकोश से अलग है।
  • वर्णदेशन—पुरुषोत्तमदेव
  • एकाक्षरकोश -- पुरुषोत्तमदेव
  • द्विरूपकोश -- पुरुषोत्तमदेव
  • वर्णदेशना -- पुरुषोत्तमदेव
  • त्रिकांडकोष -- पुरुषोत्तमदेव
  • हारावली -- पुरुषोत्तमदेव
  • द्विरूपकोश -- श्रीहर्ष (उपरोक्त ग्रन्थ से अलग ग्रन्थ)
  • नानार्थार्णव—केशवस्वामी (समय १२ वीं या १३ वीं शताब्दी)
  • नानार्थशब्दकोश -- मेदिनि -- (लगभग १४ वी शताब्दी के आसापास) ; यह 'मेदिनिकोष' नाम से अधिक विख्यात है।
  • अपवर्गनाममाला -- जिनभद्र सुरि -- इसको 'पंचवर्गपरिहारनाममाला भी कहते है।
  • शब्दरत्नप्रदीप -- कल्याणमल्ल (समय लगभग १२९५ ई०)
  • शब्दरत्नाकर—महीप (लगभग १३७४ ई०)
  • भूरिकप्रयोग -- पद्यगदत्त
  • शब्दमाला -- रामेश्वर शर्मा
  • नानार्थरत्नमाला -- भास्कर अथवा दंडाधिनाथ (१४ वी शताब्दी के विजयनगर के राजा हरिहरगिरि की राजसभा में थे)
  • अभिधानतंत्र -- जटाधर
  • अनेकार्थ या नानार्थकमंजरी -- नामांगदसिंह का लघु नानार्थकारी है।
  • रूपमंजरीनाममाला -- रूपचंद्र (१६वीं शती)
  • शारदीय नाममाला -- हर्षकीर्ति
  • शब्दरत्नाकर—वर्मानभट्ट वाण
  • नामसंग्रहमाला -- अप्पय दीक्षित
  • नामकोश -- सहजकीर्ति (१६२७)
  • पंचचत्व प्रकाश -- सहजकीर्ति (१६४४)
  • कल्पद्रुमकोश -- केशव -- 'केशवस्वामी' से ये भिन्न हैं।
  • नानार्थर्णव—केशवस्वामी
  • शब्दरत्नावली -- मथुरेश (समय १७वी शताब्दी)
  • कोशकल्पतरु -- विश्वनाथ
  • नानार्थपदपीठिका -- सुजन
  • शब्दलिंगार्थचंद्रिका -- सुजन
  • पर्यायपदमंजरी --
  • शब्दार्थमंजूषा --
  • पर्यायरत्नमाला -- महेश्वर (संभवतः पर्यायवाची कोश 'विश्वप्रकाश' के निर्माता महेश्वर से भिन्न हैं।
  • पर्यांयशब्दरत्नाकर—धनंजय भट्टाचार्य
  • विश्विमेदिनी -- सारस्वत भिन्न
  • विश्वनिघंटु -- विश्वकवि
  • लोकप्रकाश -- क्षेमेन्द्र
  • अनेकार्थमाला -- महीप
  • पर्यामुक्तावली -- हरिचरणसेन
  • पंचनत्वप्रकाश -- वेणीप्रसाद
  • राघव खांड़ेकर—केशावतंस
  • अनेकार्थध्वनिमंजरी -- महाक्षपणक
  • आख्यातचीन्द्रिक -- भट्टमल्ल (क्रियाकोश)
  • लिंगानुशासन—हर्ष
  • शब्दभेदप्रकाश -- अनिरुद्ध
  • शिवकोश (वैद्यक) -- शिवदत्त वैद्य
  • गणितार्थ नाममाला --
  • नक्षत्रकोश --
  • लैकिकन्यायसाहस्री -- भुवनेश (लौकिक न्याय की सूक्तियाँ)
  • लौकिक न्यायसंग्रह -- (लौकिक न्याय की सूक्तियाँ)
  • लौकिक न्याय मुक्तावली -- (लौकिक न्याय की सूक्तियाँ)
  • लौकिकन्यायकोश -- (लौकिक न्याय की सूक्तियाँ)
  • शब्दकल्पद्रुम -- राधाकान्त देव (१८८६-९४)
  • वाचस्पत्यम् --

कामशास्त्र सम्बन्धी ग्रन्थ

इसकी तीन टीकाएँ प्रसिद्ध हैं-

  • (1) जयमंगला प्रणेता का नाम यथार्थत: यशोधर है जिन्होंने HQ (1243-61) के राज्यकाल में इसका निर्माण किया।
  • (2) कंदर्पचूडामणि बघेलवंशी राजा रामचंद्र के पुत्र वीरसिंहदेव रचित पद्यबद्ध टीका (रचनाकाल सं. 1633; 1577 ई.)।
  • (3) कामसूत्रव्याख्या — भास्कर नरसिंह नामक काशीस्थ विद्वान् द्वारा 1788 ई. में निर्मित टीका। इनमें प्रथम दोनों प्रकाशित और प्रसिद्ध हैं, परंतु अंतिम टीका अभी तक अप्रकाशित है।

वात्स्यायन के पश्चात रचित ग्रन्थ

  • (क) नागरसर्वस्व पद्मश्रीज्ञान कृत :- कलामर्मज्ञ ब्राह्मण विद्वान वासुदेव से संप्रेरित होकर बौद्धभिक्षु पद्मश्रीज्ञान इस ग्रन्थ का प्रणयन किया था। यह ग्रन्थ ३१३ श्लोकों एवं ३८ परिच्छेदों में निबद्ध है। यह ग्रन्थ दामोदर गुप्त के "कुट्टनीमत" का निर्देश करता है और "नाटकलक्षणरत्नकोश" एवं "शार्ङ्गधरपद्धति" में स्वयंनिर्दिष्ट है। इसलिए इनका समय १०वीं शताब्दी का अंत में स्वीकृत है।
  • (ख) अंनंगरंग कल्याणमल्ल कृत:- मुस्लिम शासक लोदीवंशावतंश अहमदखान के पुत्र लाडखान के कुतूहलार्थ भूपमुनि के रूप में प्रसिद्ध कलाविदग्ध कल्याणमल्ल ने इस ग्रन्थ का प्रणयन किया था। यह ग्रन्थ ४२० श्लोकों एवं १० स्थलरूप अध्यायों में निबद्ध है।
  • (ग) रतिरहस्य कोक्कोक कृत :- यह ग्रन्थ कामसूत्र के पश्चात दूसरा ख्यातिलब्ध ग्रन्थ है। परम्परा कोक्कोक को कश्मीरी स्वीकारती है। कामसूत्र के सांप्रयोगिक, कन्यासंप्ररुक्तक, भार्याधिकारिक, पारदारिक एवं औपनिषदिक अधिकरणों के आधार पर पारिभद्र के पौत्र तथा तेजोक के पुत्र कोक्कोक द्वारा रचित यह ग्रन्थ ५५५ श्लोकों एवं १५ परिच्छेदों में निबद्ध है। इनके समय के बारे में इतना ही कहा जा सकता है कि कोक्कोक ७वीं से १०वीं शताब्दी के मध्य हुए थे। यह कृति जनमानस में इतनी प्रसिद्ध हुई सर्वसाधारण कामशास्त्र के पर्याय के रूप में "कोकशास्त्र" नाम प्रख्यात हो गया।
  • (घ) पंचसायक कविशेखर ज्योतिरीश्वर कृत  :- मिथिलानरेश हरिसिंहदेव के सभापण्डित कविशेखर ज्योतिरीश्वर ने प्राचीन कामशास्त्रीय ग्रंथों के आधार ग्रहणकर इस ग्रंथ का प्रणयन किया। ३९६ श्लोकों एवं ७ सायकरूप अध्यायों में निबद्ध यह ग्रन्थ आलोचकों में पर्याप्त लोकप्रिय रहा है। आचार्य ज्योतिरीश्वर का समय चतुर्दश शतक के पूर्वार्ध में स्वीकृत है।
  • (ड) रतिमंजरी जयदेव कृत  :- अपने लघुकाय रूप में निर्मित यह ग्रंथ आलोचकों में पर्याप्त लोकप्रिय रहा है। रतिमंजरीकार जयदेव, गीतगोविन्दकार जयदेव से पूर्णतः भिन्न हैं। यह ग्रन्थ डॉ॰ संकर्षण त्रिपाठी द्वारा हिन्दी भाष्य सहित चौखंबा विद्याभवन, वाराणसी से प्रकाशित है।
  • (च) स्मरदीपिका मीननाथ कृत  :- २१६ श्लोकों में निबद्ध यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित चौखंबा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी से प्रकाशित है।
  • (छ) रतिकल्लोलिनी सामराज दीक्षित कृत  :- दाक्षिणात्य बिन्दुपुरन्दरकुलीन ब्राह्मण परिवार में उत्पन्न एवं बुन्देलखण्डनरेश श्रीमदानन्दराय के सभापण्डित आचार्य सामराज दीक्षित द्वारा १९३ श्लोकों में निबद्ध इस ग्रन्थ का प्रणयन संवत १७३८ अर्थात १६८१ ई० में हुआ था। यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित चौखंबा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी से प्रकाशित है।
  • (ज) पौरूरवसमनसिजसूत्र राजर्षि पुरुरवा कृत  :-यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित चौखंबा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी से प्रकाशित है।
  • (झ) कादम्बरस्वीकरणसूत्र राजर्षि पुरुरवा कृत  :-यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित चौखंबा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी से प्रकाशित है।
  • (ट) शृंगारदीपिका या शृंगाररसप्रबन्धदीपिका हरिहर कृत :- २९४ श्लोकों एवं ४ परिच्छेदों में निबद्ध यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित चौखंबा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी से प्रकाशित है।
  • (ठ) रतिरत्नदीपिका प्रौढदेवराय कृत :- विजयनगर के महाराजा श्री इम्मादी प्रौढदेवराय (1422-48 ई.) प्रणीत ४७६ श्लोकों एवं ७ अध्यायों में निबद्ध यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित चौखंबा संस्कृत सीरीज आफिस, वाराणसी से प्रकाशित है। श्री इम्मादी प्रौढदेवराय का समय पंचदश शतक के पूर्वार्ध में स्वीकृत है।
  • (ड) केलिकुतूहलम् पं० मथुराप्रसाद दीक्षित कृत  :- आधुनिक विद्वान् पं० मथुराप्रसाद दीक्षित द्वारा ९४८ श्लोकों एवं १६ तरंगरूप अध्यायों में निबद्ध यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित कृष्णदास अकादमी, वाराणसी से प्रकाशित है।

अन्य

इन बहुश: प्रकाशित ग्रंथों के अतिरिक्त कामशास्त्र की अनेक अप्रकाशित रचनाएँ उपलब्ध हैं -

  • तंजोर के राजा शाहजी (1664-1710) की शृंगारमञ्जरी;
  • नित्यानन्दनाथ प्रणीत कामकौतुकम्,
  • रतिनाथ चक्रवर्तिन् प्रणीत कामकौमुदी,
  • जनार्दनव्यास प्रणीत कामप्रबोध,
  • केशव प्रणीत कामप्राभ्ऋत,
  • कुम्भकर्णमहीन्द्र (राणा कुम्भा) प्रणीत कामराजरतिसार,
  • वरदार्य प्रणीत कामानन्द,
  • बुक्क शर्मा प्रणीत कामिनीकलाकोलाहल,
  • सबलसिंह प्रणीत कामोल्लास,
  • अनन्त की कामसमूह,
  • माधवसिंहदेव प्रणीत कामोद्दीपनकौमुदी,
  • विद्याधर प्रणीत केलिरहस्य,
  • कामराज प्रणीत मदनोदयसारसंग्रह,
  • दुर्लभकवि प्रणीत मोहनामृत,
  • कृष्णदासविप्र प्रणीत योनिमञ्जरी,
  • हरिहरचन्द्रसूनु प्रणीत रतिदर्पण,
  • माधवदेवनरेन्द्र प्रणीत रतिसार,
  • आचार्य जगद्धर प्रणीत रसिकसर्वस्व

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ