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प्राक्कलन समिति

प्राकलन समिति

प्राकलन समिति को भारतीय संसद के वित्तीय कार्यों में सहयोग करने के उद्देश्य से 1950 में तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई की सिफारिश पर बनाया गया था। इस समिति में लोकसभा से चयनित 30 सदस्य होते हैं मगर कोई भी मंत्री इस समिति के सदस्य नहीं बन सकता हैं। समिति सदस्यों का चुनाव लोकसभा सदस्यों में से एकल संक्रमणीय मत के द्वारा होता है, और इस समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति इन्ही सदस्यों में से लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती हैं, समिति अध्यक्ष हमेशा सत्तारूढ़ दल से होता है जिसका कार्यकाल 1 वर्ष होता है।

प्राक्कलन समिति के बारे में संक्षिप्त जानकारी

स्थापना1950
वर्तमान अध्यक्ष (2024)संजय जायसवाल
अध्यक्ष की नियुक्तिलोकसभा अध्यक्ष द्वारा
कार्यकालएक वर्ष
कुल सदस्य30 (केवल लोकसभा)
चुनाव का तरीकाएकल संक्रमणीय मत प्रणाली के माध्यम से आनुपातिक प्रतिनिधित्व

प्राक्कलन समिति के प्रमुख कार्य

प्राक्कलन समिति भारतीय लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण संस्था है। यह सरकार को जवाबदेह बनाने में मदद करती है और यह सुनिश्चित करती है कि जनता का पैसा सही तरीके से खर्च हो। यह समिति सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों पर किए जाने वाले खर्चों की जांच और आकलन करके ये बताती हैं की सरकार द्वारा खर्च किया गया धन कितना कुशल और प्रभावी रहा है। यह समिति सरकार को खर्च में कटौती और बचत करने के तरीकों का सुझाव देने का काम करती हैं और साथ ही यह समिति सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

समिति अपनी जांच के बाद एक रिपोर्ट तैयार करती है। इस रिपोर्ट में समिति अपनी टिप्पणियां, सुझाव और सिफारिशें प्रस्तुत करती है। यह रिपोर्ट संसद में पेश की जाती है और सरकार को इस रिपोर्ट में दिए गए सुझावों के आधार पर उपयुक्त कार्यवाही करनी होती हैं।