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प्रदीप कुमार

प्रदीप कुमार

Pradeep Kumar in the film Bandhan (1956)
जन्म 4 जनवरी 1925
Calcutta, Bengal Presidency, British India
मौत 27 अक्टूबर 2001(2001-10-27) (उम्र 76)
Kolkata, West Bengal, India
कार्यकाल 1952-1987
बच्चे 4, including Beena Banerjee

प्रदीप कुमार (बांग्ला : প্রদীপ বটব্যাল) (4 जनवरी 1925 - 27 अक्टूबर 2001) हिन्दी फ़िल्मों के एक अभिनेता थे। हिन्दी सिनेमा में उनको ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने 1950 और साठ के दशक में अपने ऐतिहासिक किरदारों के जरिये दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। उस जमाने में फ़िल्मकारों को अपनी फ़िल्मों के लिए जब भी किसी राजा, महाराजा, राजकुमार अथवा नवाब की भूमिका की जरूरत होती थी तो 'प्रदीप कुमार' को याद किया जाता था। उनके उत्कृष्ट अभिनय से सजी अनारकली, ताजमहल, बहू बेगम और चित्रलेखा जैसी फ़िल्मों को दर्शक आज भी नहीं भूले हैं।

परिचय

पश्चिम बंगाल में चार जनवरी 1925 को ब्राह्मण परिवार में जन्में शीतल बटावली उर्फ प्रदीप कुमार बचपन से ही फ़िल्म अभिनेता बनने का सपना देखा करते थे। इस ख्वाब को पूरा करने के लिए वह रंगमंच से जुड़े। हालाँकि इस बात के लिए उनके पिताजी राजी नहीं थे। वर्ष 1944 में उनकी मुलाकात निर्देशक देवकी बोस से हुई जो एक नाटक में प्रदीप कुमार के अभिनय को देखकर काफी प्रभावित हुए। उन्हें प्रदीप कुमार से एक उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और उन्होंने अपनी बंगला फ़िल्म अलखनंदा में उन्हें काम करने का मौका दिया।

फ़िल्म अलखनंदा से प्रदीप कुमार नायक के रूप में अपनी पहचान बनाने में भले ही सफल नहीं हुए लेकिन अभिनेता के रूप में उन्होंने सिने कैरियर के सफर की शुरूआत कर दी। इस बीच प्रदीप कुमार ने एक और बंगला फ़िल्म भूली नाय में अभिनय किया। इस फ़िल्म ने सिल्वर जुबली मनायी। इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा की ओर भी अपना रुख कर लिया। वर्ष 1949 में प्रदीप कुमार अपने सपने को साकार करने के लिए मुंबई आ गये और कैमरामैन धीरेन डे के सहायक के तौर पर काम करने लगे। 1 वर्ष 1949 से 1952 तक वह फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। प्रदीप कुमार को फ़िल्मों में नायक बनने का नशा कुछ इस कदर छाया हुआ था कि उन्होंने हिंदी और उर्दू भाषा की तालीम हासिल करनी शुरू कर दी।

फ़िल्म अलखनंदा के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली, वह उसे स्वीकार करते चले गये। इस बीच उन्होंने कृष्णलीला, स्वामी, विष्णुप्रिया और संध्या बेलार रूपकथा जैसी कई फ़िल्मों में अभिनय किया, लेकिन इनमें से कोई भी फ़िल्म बाक्स आफिस पर सफल नहीं हुई। वर्ष 1952 में प्रदर्शित फ़िल्म आनंद मठ में प्रदीप कुमार पहली बार मुख्य अभिनेता की भूमिका में दिखाई दिये। हालाँकि इस फ़िल्म में पृथ्वीराज कपूर जैसे महान अभिनेता भी थे। फिर भी वह दर्शकों पर अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस फ़िल्म की सफलता के बाद प्रदीप कुमार बतौर अभिनेता फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए।

प्रमुख फिल्में

वर्षफ़िल्मचरित्रटिप्पणी
1989आखिरी बाज़ीकोबरा
1988रुख़सत
1988वारिसकिशन सिंह
1986मेरा धर्म
1985ऊँचे लोगठाकुर विक्रम सिंह
1985एक डाकू शहर में
1985महा शक्तिमान
1984लैला
1984पुराना मन्दिरठाकुर रणवीर सिंह
1983रज़िया सुल्तान
1983लाल चुनरिया
1982चलती का नाम ज़िन्दगी
1981क्रांतिशमशेर सिंह
1980चम्बल की कसम
1980आखिरी इंसाफ
1978तुम्हारी कसम
1978परमात्मा
1978खट्टा मीठा
1977कलाबाज़जी डी सप्रू, सर्कस मालिक
1977सफेद झूठ
1976शंकर शंभु
1976दो अनजाने
1975चैतालीअविनाश
1973दूर नहीं मंज़िल
1971मेहबूब की मेहन्दी
1967बहू बेगमनवाब युसुफ़
1967रात और दिनप्रताप
1966अफ़साना
1966दो दिलों की दास्तान
1965भीगी रात
1964चित्रलेखा
1963मेरी सूरत तेरी आँखेंसुधीर बड़जात्या कुमार
1963उस्तादों के उस्ताद
1963ताजमहल
1962राखीआनन्द
1962आरतीदीपक
1961संजोग
1961पासपोर्टशेखर
1960महलों के ख़्वाब
1960घूंघट
1959प्यार की राहें
1958पुलिस
1957झलक
1957फैशन
1957गेटवे ऑफ इण्डियाकिशोर
1957नया ज़माना
1957यहूदी की लड़की
1956शिरीं फ़रहाद
1956जागते रहो
1956राज हठ
1956एक शोला
1955अलबेली
1954नागिनसनातन

निर्देशक के रूप में

वर्षफ़िल्मटिप्पणी
1966दो दिलों की दास्तान

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ