पोखरावां गाँव, सूर्यगढा (लखीसराय)
पोखरामा | |
— गाँव — | |
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |
देश | भारत |
राज्य | बिहार |
ज़िला | लखीसराय |
जनसंख्या | ६६७८ |
लिंगानुपात | १०००/९९५ ♂/♀ |
साक्षरता • पुरुष • महिला | ६६% • ७८% • ५४% |
आधिकारिक भाषा(एँ) | हिन्दी, मगही, मैथिली, भोजपुरी, अंगिका, उर्दु, अंग्रेज़ी |
जलवायु तापमान • ग्रीष्म • शीत | • २३ °C (एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"। °F) • २७-३९ °C (एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "२"। °F) • १० -२० °C (एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"। °F) |
आधिकारिक जालस्थल: http://lakhisarai.bih.nic.in/ |
निर्देशांक: 25°06′N 85°54′E / 25.10°N 85.90°E
पोखरामा सूर्यगढा, लखीसराय, बिहार स्थित एक गाँव है।
भूगोल
पोखरावां जिसका प्रचलित नाम पोखरामा है, यह गाँव लखीसराय से लगभग १५ k.m की दूरी पर पूरब की ओर है। कृषि-भौगोलिक दृष्टिकोण से यह गाँव अपने-आप में समृद्ध है। गाँव के दक्षिण दिशा मे २ किलो-मीटर की दूरी पर पर्वत श्रृंखलाएं हैं जो सितमाकोमाथि के नाम से विख्यात है, और इस पर्वतमाला के बीच में श्रृंगीऋषि का झरना पवित्र कुंड है तथा शिव-पार्वती जी का जाग्रत मन्दिर है । कहते हैं कि अयोध्या नरेश राजा दशरथ के पुत्र हेतु दशरथ के बहनोई श्रृंगी ऋषि ने यहीं पर यज्ञ किया था ।
एतिहासिक महत्व है कि बंगाल के नवाब सिराज़ूद्दौला और शेरखां केे बीच किऊल की लडाई में शेरखां को सहयोग देकर पोखरावां (पोखरामा) ने ज़मीदारी हासिल किया था ।
जनसांख्यिकी
यहाँ की जनसंख्या ६५०० से ७००० के बीच है। यहाँ भुमिहार की संख्या सबसे ज्यादा है। उसके बाद ब्राह्मण है। पूर्व में पोखरामा ग्राम में भूमिहार और श्रोत्रिय ब्राह्मणों के साथ-साथ कहार, धानुक, तेली(वैश्य जाति), नाई, धोबी, यादव, मुसहर, और ढाढ़ी इत्यादि जातियाँ एक साथ रहते थे और पंच-पौनियाँ के नाम पर पूजे जाते थे,परन्तु, १९वीं शदी के अन्तिम बीस वर्ष जातिबाद उन्माद के पैदा कर दिए जाने के कारण पोखरामा की जनसंख्या बिखर गई । बढ़ती हुई आबादी बिखराव का कारण बना था ।
यातायात
यातायात के दो साधन है।
सड़क
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या ८० से यह "प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना"द्वारा जुड़ा हुआ है। सड़क-मार्ग से पोखरामा ग्राम कजरा रेलवे-स्टेशन से जुड़ा हुआ है और उरैन स्टेशन से कच्चा मार्ग है । वैसे, सड़क से पोखरामा ग्राम का लखीसराय, अलीनगर, सूर्यगढ़ा, अरमा और कजरा से लगाव है । तमाम सड़को की मरम्मती व जीर्णोद्धार अपेक्षित है ।
रेलमार्ग
उरैन और कजरा दो प्रमुख स्टेशन है।
आदर्श स्थल
यहाँ बहुत सारे मंदिरों में, पोखरामा ग्राम-ठाकुरबाड़ी के अलावा दुःखभंजन स्थान, काली स्थान, क्षेमकरणी, सूर्यमंदिर और माधोपुर पथ के साधबाबा (इमली वृक्ष) इस पूर क्षेत्र में पूजनीय है। यहां छठ के अवसर पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है। इसके अतिरिक्त शीतलामाय मंदिर, अन्नपूर्णा देवी और हनुमान मन्दिर जो वर्तमान में निर्माणाधीन है।
शिक्षा
पोखरामा ग्राम की शिक्षानुपात इस क्षेत्र में उच्च स्तर की रही है । जब पटना यूनिवर्सिटी की स्थापना नहीं हुई थी, तब पोखरामा के कई व्यक्ति कलकत्ता विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करते थे । उस समय रेल की इतनी सुविधा भी नहीं थी । स्व.युगेश्वर प्रसाद सिंह, स्व. सहदेव सिंह यहाँ से कानूनविद हुए जो मुंगेर कोर्ट में अधिवक्ता थे । स्व. सत्यदेव सिंह, स्व.गोविन्द सिंह, स्व.आजो सिंह, स्व.ब्रह्मदेव सिंह स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी रहे थे और कई बार जेल गए थे । निकट के कजरा-बाज़ार में 1947 के बाद स्व.सत्यदेव बाबू के मरणोपरांत "सत्यदेव आश्रम" की स्थापना की गई थी । इनदिनों भी शिक्षा का स्तर पोखरामा में तुलनात्मक उच्च है । यहाँ से न्यायाधीश, प्राचार्य, निदेशक, वकील, डॉक्टर, सेना में कर्नल जैसे पदों को भी देश को दिया हुआ है । यहाँ *2 स्तर के विद्यालय की तत्काल आवश्यकता है । वर्तमान में, इस क्षेत्र की चुस्त स्कूली शिक्षा के लिए करोड़ों की लागत से "पोखरामा फॉउंडेशन" (POKHRAMA FOUNDATION) के तहत NGO माध्यम से शिक्षा विकास का कार्यक्रम प्रगति पर है ।